- कालाबाजारी और मुनाफाखोरों के चंगुल में फंस गए उपभोक्ता
- मुनाफाखोर फिर सक्रिय, शहर बसा नहीं कि लुटेरे तैयार
- ऐसे लोगों को चिन्हित कर सामाजिक बहिष्कार किया जाये
- कालाबाज़ारियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले
- कोरोना काल में भी जमकर मुनाफा कमाया था इन लोगों ने
रायपुर (जसेरि)। कोरोना और ओमीक्रान के प्रकोप को देखते हुए प्रशासन ने एहतियातन प्रदेश में नाइट कफ्र्यू लगाया है। नाइट कफ्र्यू से एक दिन पहले तक राशन सामग्री और डेली निड्स के साथ साग-भाजी में आलू-प्याज की मुनाफाखोरी फिर से लाकडाऊन लगने की उम्मीद में अभी से मुनाफा कमाना चालू कर दिया है। जबकि शासन का मात्र नाइट कफ्र्यू लागू करने आदेश दिया है न कि दिन में कफ्र्यू लगाने संबंधी को आदेश नहीं दिया है। लेकिन जमाखोरी करने वाले कारोबारी अफवाह फैलाकर कमाई का रास्ता निकाल लिया है। इस संबंध में कलेक्टर और जिला खाद्य अधिकारी से फोन पर संपर्क कर ने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी।
प्रदेश में लाकडाऊन के नाम पर मुनाफाखोरों ने अभी से लोगों को भयभीत कर सामानोंं के दामों में बेतहाशा वृद्धि कर दिया है। शासन इस पर कार्रवाई करने में लाचार नजऱ आ रही है। मार्केट से बीड़ी-सिगरेट, गुटखा गुड़ाखू गायब हो गए है। पिछले साल की तरह इस बार भी लाकडाउन के नाम पर दोगुने दाम पर बेचने वाले गिरोह सक्रिय हो गए है। विमल, राजश्री और दूसरे ब्रांड के गुटखा लगभग गायब है और जो मिल रहा है ऊंचे दामों पर। वहीं खाद्य सामग्री का बुरा हाल है, आटा-तेल, साबुन, मसाला दोगुने-तीन गुने दाम पर मिल रहे है। जो कि लाकडाउन से तीन दिन पहले जो आटा 130 में मिल रहा था आज वह 150 में मिल रहा है। इसी प्रकार तेल का पैकेट 120 के जगह 150, गुड़ाखू 85 रूपये का पैकेट 190 से 220 तथा 5 रूपये की गुड़ाखू डिब्बी 15 रूपये में मिल रही है। इसी तरह दूसरी चीज़ों में दुकानदारों ने कीमत बढ़ाकर बेच रहे हैं। पिछले कोरोना काल में लोगों ने मरने वाले व्यक्तियों को भी लुटने से बाज़ नहीं आये थे, वही नज़ारा अभी से दिखने लगा है। शासन-प्रशासन का डर कालाबाजारियों और मुनाफाखोरों को नहीं है ऐसा आभास हो रहा है। प्रदेश में कोरोना के बढ़ते रफ्तार और लाकडाउन में फिर जमाखोरी कर कमाई के लिए मुनाफाखोरों ने अवैध रूप से भंडारण करना शुरू कर दिए है। शराब कोचिए मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र से शराब लाकर शहर के बाहर आउटर में गोडाउन लेकर अवैध भंडारण कर रहे है पुलिस और आबकारी विभाग की उडऩदस्ता टीम लगातार छापा मार कार्रवाई कर शराब पकड़ रही है। जब से रात्रिकालीन लाकडाउन लगा है तब से सब्जी की गाडियों में शराब की सप्लाई करने का मामला सामने आया है। वहीं आलू-प्याज के आलावा दूसरे सामने के थोक व्यापारी भी लाकडाउन की संभावना को देखते हुए अवैध शुरू कर दिया है। जबकि लाकड़ाउन का अभी कोई संभावना नहीं है। शराब कोचिए भंडारण में सक्रिय कोरोना के बढ़ते रफ्तार को देखते हुए यदि पूर्ण लाकडाउन लग जाएगा तो शराब दुकान भी बंद हो जाएंगे। जिसका बेजा फायदा उठाने कोचिए प्रदेश के साथ दूसरे राज्यों से शराब लाकर छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जिला मुख्यालय के आऊटर में खेत या फार्म हाउस को किराए पर लेकर शराब स्टाक कर रहे है। लाकडाउन लगते ही इन स्थानों से शराब की सप्लाई पहेल की तरह शुरू हो जाएगी। पिछली बार जब लंबा लाकडाउन लगा था, तब सरकार ने मदिरा प्रेमियों की सुविधा के लिए आनलाइन शराब की सप्लाई की व्यवस्था की थी, सरकार ने हाल ही में शराब की आनलाइन सप्लाई की घोषणा करते ही शराब कोचिए सक्रिय होकर अवैध रूप में भंडारण में जुट गए है। थोक में दूसरे राज्यों से शराब लाने का सिलसिला जारी है। आलू-प्याज को मार्केट में रोकने अवैध भंडारण : दैनिक रोजमर्रा के जीवन में सब्जी कोई भी हो लेकिन आलू-प्याज के बिना सब्जी बनना मुश्किल है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर कोचिए यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र से ट्रकों से आलू-प्याज मंगवा रहे है। राजधानी में कोचिए का सिंडिकेट तैयार : लाकडाउन का बेजा फायदा उठाने के लिए कोचियों का सिंडिकेट तैयार हो गया है। जो लाकडाउन लगते ही भाव बढ़ाकर आलू-प्याज की थोक और फुटकर विक्रेताओं को देंगे। पिछले लाकडाउन में आलू-प्याज के दाम 100-120 रुपए तक पहुंच गए थे। बाजार में अभी आलू 20 रुपए तो प्याज 35 रुपए किलो चल रहा है। अगर गलती से पूर्ण लाकडाउन हो गया तो कोचिए फिर दाम बढ़ाकर बचने के लिए सिंडिकेट बना लिया है। जो मार्केट में मांग के अनुरूप सप्लाई करेंगे।
जो व्यापारी ऐेसा कर रहे हैं तो उस पर प्रशासन कार्रवाई करेगी। हम उपभोक्ताओं की शिकायत मिलते ही संबंधितों पर कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं। दुकानदारों को चाहिए कि प्रशासन की गाइड लाइन के अनुरूप उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर सामग्री बेचे नहीं तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
- तरूण राठौर फूड कंट्रोलर