25 फीसदी बढ़ेगा भाड़ा, सीमेंट ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल खत्म
मंत्री से बैठक के बाद निर्णय
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। पिछले लंबे समय से हड़ताल पर चल रहे सीमेंट ट्रांसपोर्टस संगठन की हड़ताल खत्म हो गई है. इस हड़ताल के खत्म होने में मंत्री मोहम्मद अकबर ने अहम योगदान निभाया है. जानकारी के मुताबिक परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर द्वारा दोनो पक्षों की बात सुनकर दोनो पक्षों की सहमति लेते हुऐ फरवरी 2021 मे बढ़े 12त्न माल भाड़े मे 13 प्रतिशत जोड़कर अभी 15/10/2021 तक कुल 25त्न माल भाड़ा बढाने आदेश दिया गया है. बेस भाड़ा फरवरी 2021 को मानकर सीमेंट इंडस्ट्रीज़ मे परिवहन होने वाले सभी जिन्सो (फलाई ऐश बल्कर , किल्कंर, कोयला , जिप्सम आदि) पर लागू होगा. इसमे जिन कम्पनियों ने मार्च 2021 के बाद बस्तर, कोरापुट क्षेत्र मे 3प्रतिशत भाड़ा बढ़ाया था 12 + 3 = 15प्रतिशत कम करके बस्तर, कोरापुट क्षेत्र मे 10प्रतिशत माल भाड़ा बढाया जाऐगा और जिन सीमेंट कंपनियों द्वारा कई स्टेशन मे भाड़ा कम किया गया था उनको फरवरी 2021 का बेस भाड़ा पकड़कर कुल अभी 15/10/2021 तक 25प्रतिशत भाड़ा बढाना होगा. जो कंपनियां फरवरी 2021 के पहले बीडिंग सिस्टम से चल रही थी जिनका कोई बेस भाड़ा नहीं था वह अपने नजदिक वाली कंपनी का भाड़ा लिस्ट को बेस मानते हुऐ वृध्दि करेंगी.
सीमेंट ढुलाई प्रभावित होने से कंपनियों की बढ़ी मुश्किलें
सीमेंट ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल के खिलाफ अब बड़ी कंपनियों ने मोर्चा खोल दिया है। कंपनियों का कहना है कि सभी सीमेंट फैक्ट्रियों में एक महीने से प्रोडक्शन का काम प्रभावित है। कई यूनिट बंद होने की कगार पर है। ऐसे में कंपनियां अपना बैंक कर्जा भी नहीं चुका पाएगी। महीने की ईएमआई भी प्रभावित हो रही है।
प्रोडक्शन और सप्लाई में असर की वजह से राज्य सरकार को मिलने वाला जीएसटी कलेक्शन भी कम हो रहा है। सीमेंट कंपनियों के संचालकों का कहना है कि केवल कुछ ट्रांसपोर्टर ही अपने फायदे के लिए हड़ताल को लंबा खींच रहे हैं। सप्लाई के काम में ट्रक आपरेटर्स, ड्राइवर्स, मजदूर, स्थायी कर्मचारी, कंपनी मालिक हजारों लोग जुटे हैं। ऐसे में कुछ लोगों की वजह से सभी का काम प्रभावित हो रहा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि बड़े ट्रांसपोर्टरों की दोनों मांगें गैरकानूनी हैं। ट्रांसपोर्टरों की पहली मांग है किअन्य राज्यों से आए ट्रकों को भाड़े पर नहीं लिया जाए।
कहीं भी ऐसा कोई कानून नहीं है जो दूसरे राज्यों के लोगों को अन्य राज्य में सेवा देने या व्यापार करने से रोकता हो। इसलिए यह मांग ही गलत है। सीमेंट कंपनी वाले ऐसे लोगों को मना करते हैं तो यह एक तरह का जुर्म होगा। इसी तरह दूसरी मांग जो बीडिंग को लेकर है वो भी गलत है। ट्रांसपोर्ट नियमों के खिलाफ जाकर काम का आवंटन करने को कह रहे हैं, जो कानूनन गलत है। सीमेंट कंपनियां टेंडर में एल-वन वालों को ही काम देती है, लेकिन ट्रांसपोर्टर इस नियम का भी विरोध कर रहे हैं। ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल की वजह से एक महीने से भी ज्यादा समय से सड़क मार्ग से सीमेंट की सप्लाई नहीं हो पा रही है। आम लोगों को बढ़ी हुई कीमत में सीमेंट खरीदना पड रहा है। सरकार को जीएसटी का नुकसान हो रहा है।