इंदिरा बैंक के पूर्व ब्रांच मैनेजर से 8 घंटे हुई पूछताछ, आज फिर बुलाया
रायपुर (जसेरि)। छत्तीसगढ़ के चर्चित प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की जांच अब फिर शुरु हो गई है. आरोपी ब्रांच मैनेजर उमेश सिन्हा से आज कोतवाली पुलिस ने पूछताछ की. पुलिस के 3 अधिकारियों ने 8 घंटे तक उनसे 15 बिंदुओं पर पूछताछ की. उमेश सिन्हा ने पुलिस के सवालों के कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिए. इस मामले में पुलिस मंगलवार को भी उनसे पूछताछ करेगी. रायपुर स्थित सहकारी बैंक इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक में 2006 में यह घोटला सामने आया था. करीब 28 करोड़ के इस घोटाले में बैंक मैनेजर सहित संचालक मंडल के सदस्यों जिनमें ज्यादार महिलाएं शामिल थी, उन्हें आरोपी बनाया गया था. इसमें तत्कालीन सरकार के मंत्रियों और कुछ अफसरों का भी नाम आया था. पिछली सरकार के कार्यकाल में जब पुलिस ने इस मामले की चार्जशीट कोर्ट में पेश की तो उसमें नार्को टेस्?ट का जिक्र ही नहीं किया था, जबकि इस टेस्ट में कई बड़े नामों का जिक्र था. इसी वजह से राज्?य में सत्?ता बदलने के बाद सरकार ने मामले की फिर से जांच करने की कोर्ट से अनुमति मांगी थी. वहीं अब कोर्ट में इस मामले की जांच की अनुमति दे दी है. आपको बता दें कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने वर्ष 2013 में बैंक के तत्कालीन मैनेजर के नार्को टेस्ट की सीडी को सार्वजनिक किया था. सीडी में मैनेजर ने डॉ. रमन सिंह, अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल, राजेश मूणत और रामविचार नेताम को एक-एक करोड़ रुपये बांटने का दावा किया था. इस खुलासे के बाद बघेल ने मुख्यमंत्री सहित पूरे मंत्री परिषद को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने की मांग की थी।
दूसरी ओर उस समय सरकार के प्रवक्ता बृजमोहन अग्रवाल ने कहा था कि इस सीडी को न्यायालय में सबूत के तौर पर पेश ही नहीं किया गया है, क्योंकि जांच के दौरान बयानों में विरोधाभास मिला था, जबकि कांग्रेस नेता ने पत्रवार्ता में बताया था कि बैंक मैनेजर उमेश सिन्हा की सीडी देखने पर साफ था कि उसने बैंक के चेयरमैन रीता तिवारी के आदेश पर मुख्यमंत्री सहित चार कैबिनेट मंत्रियों को एक-एक करोड़ रुपये बांटे थे. यही नहीं, दिवंगत डीजीपी ओपी राठौर को भी एक करोड़ रुपये दिए गए थे. मैनेजर ने खुद एक रुपया भी नहीं लिया था. मामला खुलने के बाद चेयरमैन रीता तिवारी आनन फानन में विदेश निकल गई थी.