दिलीप सिंह कंवर अचानकमार टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में स्थित छोटे से गांव कटामी के निवासी हैं। वे अपने क्षेत्र में बाघों के संरक्षण और स्थानीय निवासियों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। उनका मुख्य कार्य मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना और एक सतत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है। कंवर ने स्थानीय समुदायों के साथ निकटता से काम करते हुए पर्यावरणीय अनुकूलन की प्रथाओं को बढ़ावा दिया है, जिससे न केवल बाघ संरक्षण में मदद मिली, बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा। उनकी पेट्रोलिंग क्षमता अत्यधिक प्रभावी रही है, और उनके सामुदायिक वन प्रबंधन के प्रयासों के कारण कटामी क्षेत्र में अतिक्रमण या अवैध गतिविधियां नहीं हुई हैं। कंवर के सतत प्रयासों के चलते उन्होंने वन्यजीवों और मनुष्यों के बीच संघर्ष को न्यूनतम रखते हुए संरक्षण को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।
वनरक्षक मनमोहन सिंह राज, दियाबार परिसर के रक्षक (जिसमें दो परिसरों का अतिरिक्त प्रभार है), अपने मुख्यालय में रहते हुए समयबद्ध पेट्रोलिंग के लिए जाने जाते हैं। उनके कुशल प्रबंधन के कारण उनके बीट में किसी भी प्रकार का अतिक्रमण या शिकार जैसी अवैध गतिविधियां नहीं हुई हैं, जबकि आसपास के गांवों में ऐसी आशंका बनी रहती है।