जल्द ही जंगल में ऑपरेशन प्रहार-3 होगा
नक्सली हमला सोची समझी साजिश
जवानो ने बहादुरी के साथ नक्सलियों को दिया मुहतोड़ जवाब
प्रेस नोट मे मोदी सरकार के पूंजीपतियों के प्रति प्रेम का विरोध और किसानों के प्रति सहानुभूति का संदेश दिया है
ज़ाकिर घुरसेना
रायपुर। सीआरपीएफ जवानो पर हमला हुआ वह सोची समझी साजिश के तहत मानी जा रही है। बताया जा रहा है कि नक्सलवादी नेता हिड़मा सात लेयर की सुरक्षा के साथ जंगल में रहता है उसके बटालियन का नाम मिलिट्री बटालियन ऑफ़ हिड़मा है जो अत्याधुनिक सेवाओं से लैस है। नक्सली नेता हिड़मा के पास पीएलजीए यानी पीपुल लिबरेशन ग्रुप आर्मी की कंपनी नंबर 2 के साथ आंध्रदलम की अन्य टुकड़ी भी साथ रहती है।इसके आलावा स्थानीय लोग और गांव वाले भी इसके सुरक्षा में रहते हैं। बड़ी संख्या में नक्सलियों को इकट्ठा कर पूरी प्लानिंग कर उसने इस घटना को अंजाम दिया। नक्सलियों के कायराना हरकत से पूरा देश गुस्से में है ,देश ही नहीं विदेशी राष्ट्रप्रमुखों ने भी नक्सलियों के इस कायराना हरकत पर रोष जताया और आतंकवाद जिस सूरत में हो खत्म होना जरुरी बताया और इस मुहीम में साथ खड़े होने का भरोसा भी दिलाया है। देखा जाये तो हर साल एक बड़ी घटना को नक्सलियो द्वारा अंजाम दिया जाता है। हिड़मा ने सरकार को कई बार ललकार भी चुका है। देखा जाये तो नक्सली नेता द्वारा सरकार से सशर्त बातचीत भी करने सूचना भिजवाया था, लेकिन इतनी जल्दी ऐसी क्या बात हो गई कि इनको ऐसा कदम उठाना पड़ा। कम से कम सरकार के जवाब का इंतजार तो करना था। बहरहाल बीजापुर के तर्रेम थाना क्षेत्र के टेकलगुड़ा के जंगल में शनिवार को नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में शहीद जवानों की संख्या भले ही 22 हो गई हो ,हमारे जवानो ने अदम्य साहस और बहादुरी का परिचय देते हुए जहाँ आज तक पुलिस नहीं पहुंच पायी थी उस जगह पर नक्सलियों से लोहा लिया नक्सलियों को मुहतोड़ जवाब दिया । गौरतलब है कि शुक्रवार रात को बीजापुर और सुकमा जिले के विभिन्न् कैंपों से सीआरपीएफ, कोबरा, डीआरजी व एसटीएफ के 2056 जवानों को बीजापुर और सुकमा के सरहदी जंगलों में नक्सलियों की तलाश में उतारा गया था। शनिवार को जब जवान लौट रहे थे, तभी एक टुकड़ी को नक्सलियों ने टेकलगुड़ा गांव के पास एंबुश में फंसा लिया। नक्सलियों ने चारो तरफ से एक किमी के दायरे में तीन जगह एंबुश लगा रखा था। कुछ नक्सली पहाड़ी तो कुछ गांव से फायरिंग कर रहे थे। इससे पहले कि जवानों को संभलने का मौका मिलता इससे पहले ही पीछे से भी फायरिंग होने लगी थी।
घायल जवान पेड़ों की आड़ से लड़ते रहे
तस्वीरों को देखने से पता चलता है कि घायल होने के बावजूद जवान पेड़ों की आड़ से लड़ते रहे। हालांकि आधुनिक हथियारों से लैस नक्सलियों ने ताबड़तोड़ गोले दागे। शाम होने के बाद जवानों ने फायरिंग रोकी और कैंप की ओर चले गए, जबकि नक्सली रातभर गांव और उसके आसपास मंडराते रहे। पहाड़ी पर पांच जवान शहीद हुए थे। जवानों के जाने के बाद नक्सलियों ने उन शवों को नीचे उतारकर उस पेड़ के पास रख दिया जहां पहले से ही एक जवान का शव पड़ा था।
लैंडमाइंस और केचर्स भी लगा रखे थे
बीजापुर जिला मुख्यालय से करीब 75 किमी दूर तर्रेंम थाना क्षेत्र सिलगेर गांव के पास के जंगल में नक्सलियों की बटालियन नंबर एक के कमांडर दुर्दांत नक्सली हिड़मा की मौजूदगी की सूचना मिल रही थी। इस आधार पर शुक्रवार को डीआरजी, सीआरपीएफ, एसटीएफ व कोबरा बटालियन की संयुक्त टीम रवाना की गई थी। जिसमे कुल 2059 जवान शामिल थे। नक्सलियों ने जवानो को सर्चिंग से वापसी के दौरान बीजापुर के तर्रेम व सुकमा के सिलगेर के बीच जोन्नागुड़ा के जंगल में फोर्स की एक टुकड़ी को नक्सलियों ने एंबुश में फंसा लिया।चारो तरफ से घरकर नक्ससलियों ने जवानो पर फायरिंग करने लगे। अचानक हुए इस फायरिंग से जवानो ने हौसला कायम रखते हुए अदम्य साहस का परिचय देते हुए मुकाबला किया लेकिन गांव में छिपे नक्सलियों ने जवानो के ऊपर नज़दीक से गोलीबारी करना भारी पड़ गया। नक्सलियों ने लैंडमाइंस और केचर्स भी लगा रखे थे। केचर्स में फंस कर जवानो का पैर फंसकर लहुलुहान हो जाता है। यह भी बताया जा रहा है कि नक्सली पहाड़ पर थे जबकि फोर्स खुले मैदान में। अनुमान लगाया गया है कि मौके पर लगभग तीन सौ नक्सली मौजूद थे। उन्होंने अचानक फायरिंग शुरू कर दी और तुरंत जवानों ने भी मोर्चा संभाल लिया। इसमें वे हर साल बड़ी वारदातों को अंजाम देते रहे हैं। नक्सलियों ने नारायणपुर जिले में 23 मार्च को जवानों से भरी बस को विस्फोट कर उड़ा दिया था। इसमें पांच जवान शहीद हुए थे। और अब शनिवार को दूसरी बड़ी वारदात कर डाली।
नक्सली कमांडर हिड़मा करता है इलाके का नेतृत्व
दुर्गम जंगलों से घिरा यह इलाका नक्सलियों के बटालियन नंबर वन का इलाका है। इसका नेतृत्व दुर्दांत नक्सली माड़वी हिड़मा करता है। हिड़मा के इस इलाके में होने की सूचना पर जवानों को सर्च आपरेशन पर भेजा गया था। फोर्स करीब 11.30 बजे टेकलगुड़ा गांव से सौ मीटर दूर पहुंची। तभी अचानक फायरिंग शुरू हो गई। घायल जवान गांव की ओर भागे पर वहां पहले से नक्सली तैयार थे। मौके पर करीब छह घंटे में तीन मुठभेड़ हुई है। दूसरी मुठभेड़ गांव में हुई और सबसे ज्यादा नुकसान यहीं हुआ है। घायल जवानों पर गांव में छिपे नक्सलियों ने नजदीक से गोलियां बरसाईं। अचानक हुए हमले के लिए जवान तैयार नहीं थे फिर भी उन्होंने अद्भुत बहादुरी का परिचय दिया। वहीं एक ओर पहाड़ी है जिसमें नक्सलियों ने मोर्चा लगा रखा था। जवान नीचे खुले मैदान व खेत के बीच थे।
नक्सलियों के खिलाफ जल्द होगी कार्रवाई
मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि अब आगे शहीदों की तादात बढे इसके पहले नक्सलियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने का सही वक्त आ गया है। सुरक्षा बलों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। नक्सलियों के विरुद्ध और तेजी से अभियान चलाएंगे। उन्होंने घायलों को बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश देकर घायल जवानो से मुलाकात कर हौसला अफजाई भी की । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी छत्तीसगढ़ आये और उन्होंने भी जवानो की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देने को कहा । अब सवाल ये उठता है कि 2010 से लेकर आज तक कई बड़े हमले हुए उसके बावजूद नक्सलियों के खिलाफ ठोस करवाई नहीं होना भी आश्चर्यजनक लगता है। जबकि आये दिन जवानो के साथ कांग्रेस, भाजपा या अन्य दलो के नेताओ को भी नक्सली अपना निशाना बना रहे हैं। 25 मई 2013 में 30 से अधिक कांग्रेस के दिग्गज नेताओ की शहादत हो या 6 अप्रैल 2010 ताड़मेटला हमले में सीआरपीएफ के 76 जवानो की शहादत हो या अन्य वारदात लोगो के जेहन से अभी तक उतर नहीं पायी है और कल ये कायराना करतूत कर बैठे। '
नक्सलियों द्वारा अब तक किए गए बड़े हमले
6 अप्रैल 2010 में ताड़मेटला हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद ।
25 मई 2013 झीरम घाटी हमले में 30 से अधिक कांग्रेसी व जवान शहीद ।
11 मार्च 2014 को टहकवाड़ा हमले में 15 जवान शहीद ।
12 अप्रैल 2015 को दरभा में एम्बुलेंस पर हमला 5 जवानों सहित ड्राइवर व एएमटी शहीद ।
मार्च 2017 में भेज्जी हमले में 11 सीआरपीएफ जवान शहीद।
6 मई 2017 को सुकमा के कसालपाड़ में किया गया हमला जिसमें 14 जवान शहीद ।
25 अप्रैल 2017 को सुकमा के बुरकापाल बेस केम्प हमले में 32 सीआरपीएफ जवान शहीद।
21 मार्च 2020 को सुकमा के मिनपा हमले में 17 जवान शहीद ।