- अतिक्रमण से शहर के मुख्य मार्गों में लोगों का चलना हुआ मुश्किल, जाम से ट्रैफिक बदहाल
- कब्जाधारियों को छुटभैय्ये नेताओं का संरक्षण, उगाही कर चला रहे दुकानदारी
- अतिक्रमणकारियों का पूरे प्रदेश में चल रही दबंगई गली-मोहल्ले में जहां भी दिखा खाली जमीन लगा दिया टपरा या ठेला
- मोहल्लेवासियों के विरोध करने पर देते है नेता गिरी की धौंस
- अधिकारियों से सांठगांठ कर रोज लग रहे है शहर में नए ठेले-गुमटी
- राजधानी के व्यस्ततम मार्ग में खुलेआम अतिक्रमण
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। इस साल बरसात दगा दे गई वर्ना बाढ़ से गांव क्या शहर के अधिकतर मोहल्ले चपेट में आते। देखा जाये तो बाढ़ की स्थिति हर साल प्रदेश में देखने को मिलती थी, अभी भी बाढ़ की स्थिति देखने को मिल रही है फर्क सिर्फ इतना है ये बाढ़ अवैध कब्जों की है। पानी का बाढ़ कुदरती और कुछ प्रशासन की लापरवाही से होती है। अभी भी बाढ़ प्रशासन की लापरवाही से हो रही है जो अवैध कब्जों की बाढ़ है। इन अवैध कब्जेधारियों को छुटभैय्ये नेताओ और अधिकारियों की वरहदस्त होती है ये अवैध कब्जाधारी उनके शह पर ही कहीं भी सरकारी जमीं दिखे अवैध कब्ज़ा करने में देर नहीं करते। कहीं पर तो अवैध कब्जाधारियों ने मुख्य सड़को को ही घेर लिए है लोगो को आने जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।अतिक्रमणकारियों के आगे प्रशासन लाचार दिख रहा होता है। लोग शिकायत भी किससे करें, जहाँ भी शिकायत करेंगे सुनवाई होती नहीं क्योकि अवैध कब्ज़ा रसूखदारों की होती है। स्टेशन से शहर के आखरी कोने तक अधिकतर जगहों पर सरकारी जमीन हथिया लिया गया है। सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा का खामियाजा शहर भुगत रहा है। लेकिन अधिकारी अतिक्रमण हटाने की दिशा में अब तक कोई ठोस पहल नहीं करते सिर्फ नाममात्र की कार्रवाई कर मामला फिर ठन्डे बास्ते में डाल देते हैं।
अतिक्रमणकारियों के आगे विभाग लाचार : अतिक्रमण करने वालों के आगे सरकारी विभाग पूरी तरह असहाय नजऱ आते हैं। अधिकतर सरकारी दफ्तरों के सामने अवैध कब्जे साफ तौर पर देखा जा सकता है क्या यही स्मार्ट सिटी की पहचान है। सरकारी विभागों के सामने से कब्जा हटाने के लिए विभाग के कर्मियों द्वार पहल भी की जाती है लेकिन अतिक्रमणकारी दुकानदारों पर कोई असर नहीं पडता बल्कि यह कहकर लौटा दिया जाता है कि उक्त जमीन हमने आवंटित कराया है। अतिक्रमण के कारण आम जनता को आवागमन की परेशानी बढ जाती है।
शहर की सरकारी जमीन पर बढ़ रहा अवैध कब्जा : पिछले दस से पंद्रह सालों में शहर की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा जमाने का सिलसिला काफी तेज हुआ है। यह सबकुछ प्रशासनिक उदासीनता के कारण हुआ है। लोगो ने इन सरकारी जमीनों को निजी बताकर भोले-भाले लोगो को बेचकर उनकी जीवन भर की कमाई भी डकार लिए हैं। हालांकि नगर निगम रायपुर द्वारा अतिक्रमण के खिलाफ मुहीम भी चलाई थी लेकिन कुछ दिन चलने के बाद ठन्डे बस्ते में चली गई। लोगो ने छुटभैये नेताओ और अधिकारियो की मिलीभगत से सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर लिए हैं । कुछ लोग सरकारी जमीन पर झोपडी और दुकानदारी कर रहे है। इसका असर शहर की जलनिकासी की व्यवस्था पर पडा है। सड़क किनारे की जमीन पर अतिक्रमण से जलनिकासी की व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है। जमकर बारिश होने पर शहर जलमग्न हो जाता है। हालात यह है कि कुछ जगह धर्म के नाम पर जमीन हथियाया गया है। वैसे अतिक्रमण को हटाने में प्रशासन हिम्मत नहीं जुटा रहा है।
अतिक्रमण की चपेट में बाजार की मुख्य सड़कें : यह भी देखा गया ही कि शहर की मुख्य सड़को को भी अतिक्रमणकारियों ने नहीं छोड़ा। मुख्य सड़के लोगो की लाइफलाइन होती है लेकिन अवैध कब्जाधारियों ने लाइफ लाइन ही बिगाड़ दी है। व्यापारियों ने सड़को पर कब्ज़ा जमाया हुआ है लोगो को चलने में काफी परेशानी होती है। शाम के वक्त तो मालवीय रोड, एमजी रोड, सदरबाजार, बैजनाथपारा और भीड़भाड़ वाले इलाके में जाने के लिए हजारो बार सोचना पड़ता है। अधिकतर जगहों की मुख्य सड़क अतिक्रमण की चपेट में होती हैं ।
जमीन के गोरखधंधे में संलिप्त रसूखदारों व माफियाओं को सत्ता-संरक्षण हासिल
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व मंत्री ने राजधानी से लगे आऊटर इलाकों की शासकीय भूमि पर अवैध कब्जों की शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने और बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर के रिहायशी इलाकों समेत आऊटर में भू-माफिय़ाओं व राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर हो रही अवैध प्लाटिंग को लेकर प्रदेश सरकार व प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है। प्रवक्ता ने ज़मीन के इस गोरखधंधे में संलिप्त रसूखदारों को सत्ता-संरक्षण दिए जाने का आरोप लगाया है। प्रवक्ता ने कहा कि भू- माफिय़ाओं की सक्रियता के उदाहरण पूरे प्रदेश से लगातार सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सत्ता-संरक्षण हासिल कर जमीन के गोरखधंधे के फैलाव का अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि रायपुर समेत अंबिकापुर, बिलासपुर और जगदलपुर तक ज़मीन माफिय़ा सक्रिय हैं। जगदलपुर और इससे लगे 9 गाँवों में ऐसे 387 मामले सामने आए हैं। इन सभी मामलों में नियमों की पूरी तरह अनदेखी की गई है। इस शहर के आसपास के इलाकों में अवैध प्लाटिंग कर शासन और कॉलोनी लाइसेंस के नियमों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि जगदलपुर के निगम क्षेत्र समेत आऊटर में क़ायदे-क़ानून को ताक पर रखकर रोज करोड़ों रुपए के सौदे करके ज़मीनों की खरीद-बिक्री चल रही है और अनेक मामलों में तो कृषि भूमि का डायवर्सन कराए बिना ही उसे आवासीय उपयोग के लिए बेचने का खेल भू-माफिय़ा कर रहे हैं।