छत्तीसगढ़

IPS जीपी सिंह पर दर्ज FIR निरस्त

Nilmani Pal
13 Nov 2024 7:25 AM GMT
IPS जीपी सिंह पर दर्ज FIR निरस्त
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तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने व्यक्तिगत दुश्मनी और बदला लेने के लिए फर्जी FIR दर्ज कराई थी, जिसके कारण सभी FIR रद्द की गई है...

रायपुर। आय से अधिक संपत्ति, राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग केस में फंसे IPS जीपी सिंह को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने उनके खिलाफ दर्ज तीनों FIR को निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इस तरह से परेशान करने के लिए झूठे केस दर्ज कर फंसाया गया है। किसी भी केस में उनके खिलाफ ठोस सबूत नहीं है।

छत्तीसगढ़ के 1994 बैच के IPS अधिकारी जीपी सिंह के खिलाफ 2021 में ACB ने सरकारी आवास सहित कई ठिकानों पर छापेमारी कर 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति और कई संवेदनशील दस्तावेज़ बरामद किए थे। इसके बाद जीपी सिंह पर राजद्रोह का केस दर्ज हुआ, जिसमें उन पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप था। आरोप है कि भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री रहते अफसरों पर दबाव बनाकर फर्जी और 2 नंबर के कामों को मनमाने ढंग से कराने के लिए फर्जी आरोप लगा रहे थे। ऐसा ही उच्चस्तरीय गलियारों में पहले से चर्चा में है और था भी। और इसी चर्चा को सही साबित करता है, हाईकोर्ट का यह फैसला जो पुरे प्रदेश के लिए नजीर बन रहा है।

इस फैसले की भूरी भूरी प्रशंसा चारो ओर हो रही है इस फैसले से लोगो को कानून और न्याय व्यवस्था पर विश्वास और बढ़ा है। और उस चर्चित लाइन का जिक्र हो रहा है कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। आम राजनैतिक और प्रशासनिक हल्को में अवसर, इस बहुचर्चित F.1. R.9) ब्लेकर यह चर्चा आम रही है कि जी पी सिंह को तात्कालिन मुख्यमंत्री का वॉचमैन नही बनना और उनकी जी हजुरी नही करना तथा उनके अनैतिक आदेशों का पालन नही करना, भूपेश बघेल को नागवार गुजरा तथा उनके दाये बारों कड़े जाने वाले दो अधिकारियो के ईशारे पर नही चलना उनके खिलाफ गया।

उल्लेखनीय है कि वे दोनो अधिकारी जो खुद जेल चले गए और ईधर जी. पी. सिंह को न्याय भी मिल गया। कहा जाता है कि जी.पी. सिंह ने EOW मुखिया रहते हुए नान घोटाले की फाइलो में छेड़‌छाड़ से इंकार करना ही इस षड़यंत्र का सूत्रधार बना और नान घोटाले में आरोपी एक अधिकारी जो आज जेल मे हैं उसने तात्कालिन मुख्यमंत्री की शह पर इस षड्यंत्र की रचना की झूठे छापों और गवाहो की मदद से बनाये गये मामलो में एक ईमानदार अफसर को जेल जाना पड़ा और मानसिक परेशानी उठानी पड़ी। जिसकी वजह से उनके परिवार में भी गम का माहौल बना हुआ था। बहरहाल अब जीपी सिंह को अब न्याय मिला। गौरतलब देखना ये है कि राज्य सरकार इस ईमानदार और मजबूत इरादे वाले अधिकारी को कौन सी बड़ी जिम्मेदारी देती है?


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