छत्तीसगढ़

रायपुर में भी नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खपाने की आशंका

Admin2
12 May 2021 6:06 AM GMT
रायपुर में भी नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खपाने की आशंका
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राजधानी का इंदौर-जबलपुर से कारोबारी संबंध

कोरोना से हुई अधिकांश मौत कहीं नकली रेमडेसिविर के कारण तो नहीं

मरीज के परिजनों से जांच की शुरुआत करनी चाहिए। रेमडेसिविर इंजेक्शन लगे थे या नहीं?

मध्यप्रदेश पुलिस की तर्ज पर राज्य पुलिस को भी जब्त किए हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन की असली व नकली की जांच करनी चाहिए।

श्मशान व कब्रिस्तान से मौत हुए मरीज के परिजनों का नंबर लेकर जांच की शुरुआत करने पर असलियत सामने आएगी।

छत्तीसगढ़ में मौतों की संख्या बढऩे के पीछे नकली रेमडेसिविर भी एक कारण हो सकता है रेमडेसिविर।

पकड़े गए कालाबाजारियों से दोबारा पूछताछ जरूरी, अस्पतालों की भी हो जांच

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। मध्यप्रदेश पुलिस ने इंदौर-जबलपुर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खपाने के आरोप में बड़ी कार्रवाई करते हुए दर्जन भर दलालों, दवा कारोबारियों और अस्पताल संचालक को गिरफ्तार किया है। इनके तार गुजरात के एक गिरोह से जुड़े हुए हैं जो नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाकर उसे बाजार में खफा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में राजधानी सहित कई शहरों में रेमडेसिविर की कालाबाजारी के मामले सामने आए हैं, जिनमें कुछ कालाबाजारी, कुछ मेडिकल फिल्ड से जुड़े लोग और कुछ सरकारी कर्मचारी भी पकड़े गए। लेकिन पुलिस ने मामले में गिरफ्तारी से बढ़कर आगे कुछ नहीं किया नतीजा रेमडेसिविर के कालाबाजारी में शामिल अस्पताल, दवा कारोबारी और इन्हें संरक्षण देने वालों पर आंच नहीं आई। पुलिस ने यह भी पड़ताल करने की जरूरत नहीं समझी कि कालाबाजारियों से जब्त इंजेक्शन और अस्पतालों में इस्तेमाल किए जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन असली है या नकली। सरकार द्वारा अस्पतालों को उपलब्ध कराए जाने से पहले बड़े पैमाने पर मरीजों के परिजन दवा दुकानों और दलालों से ही इंजेक्शन खरीद रहे थे, अस्पतालों में भी दवा वितरक इंजेक्शन उपलब्ध करा रहे थे ऐसे में इंजेक्शन असली थे या नकली इसकी पड़ताल भी जरूरी थी।

जबलपुर के अस्पताल संचालक का रायपुर से संबंध

नकली इंजेक्शन खपाने के मामले में जबलपुर पुलिस ने सिटी हास्पिटल के संचालक को गिरफ्तार किया है। जानकारी मिली है कि गिरफ्तार अस्पताल संचालक का रायपुर के बड़े व्यापारी नेता से पारिवारिक संबंध है। बताया जा रहा है कि छग के इस बड़े व्यापारी नेता और पदाधिकारी के कई रिश्तेदार मेडिकल व्यवसाय से जुड़े हुए हैं, ऐसे में यह आशंका बलवती है कि गुजरात से इंदौर और जबलपुर होकर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खपाने का रायपुर और राज्य के अन्य शहरों से भी जुड़ा हुआ हो। पुलिस को मध्यप्रदेश में हुई गिरफ्तारी और नकली इंजेक्शन खपाने के मामले को संज्ञान में लेकर स्थानीय स्तर पर भी इसकी पड़ताल करनी चाहिए ताकि महामारी के दौर में लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने और जीवन से खिलवाड़ करने वालों से पर्दा उठ सके।

नकली रेमडेसिविर से मौतों के बाद मध्य प्रदेश में हड़कंप

नमक-ग्लूकोज से बने नकली रेमडेसिविर से हुई मौतों के बाद मध्यप्रदेश में हड़कंप मच गया है। सरकार ने एसटीएफ एडीजी को जांच की निगरानी का जिम्मा सौंपा है। इंदौर के विजयनगर थाना पुलिस के मुताबिक शुरुआत अजहर अहमद, जुबैर खान, मोहम्मद साजिद, निर्मल साकल्य, दिनेश चौधरी और धीरज साजनानी की गिरफ्तारी से हुई है। पुलिस ने इनसे मिले सुराग के आधार पर सोमवार रात देवास से चीकू शर्मा, आशीष ठाकुर और सुनील लोधी को हिरासत में लिया। पूछताछ में आरोपियों ने दवा बाजार के दवा कारोबारियों का नाम कबूला। मंगलवार दोपहर टीम दवा बाजार पहुंची और दो कारोबारियों को हिरासत में ले लिया। पूछताछ में बता चला आरोपी सैकड़ों नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बाजार में खपा चुके हैं। पुलिस के मुताबिक आरोपियों के तार गुजरात से दवा माफिया पुनित शाह,कौशल वोला और दलाल सुनील मिश्रा गिरोह से जुड़े है। तीनों आरोपित गुजरात की सूरत पुलिस के कब्जे में है। आरोपी सुनील मिश्रा के माध्यम से ही सस्ते दामों पर नकील इंजेक्शन खरीद कर शहर के विभिन्न अस्पतालों में सप्लाई करते थे।

जबलपुर पुलिस ने सिटी अस्पताल के संचालक को गिरफ्तार किया

वहीं जबलपुर पुलिस ने सिटी अस्पताल के मालिक सरबजीत सिंह मोखा को गिरफ्तार कर लिया है। मोखा के अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगे हैं। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह बीमारी का बहाना बना रहा था। पुलिस सोमवार की रात इसके अस्पताल भी गई थी लेकिन यह नहीं मिला था। दरअसल, सरबजीत सिंह मोखा के तार गुजरात के मोरबी में बनी नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन से जुड़े हैं। जबलपुर से गिरफ्तार दवा व्यवसायी ने सरबजीत सिंह मोखा का नाम लिया था। उसके बाद इसने कहा था कि मुझे फंसाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस जांच में मोखा के खिलाफ सबूत मिले हैं। इसके बाद सरबजीत सिंह मोखा पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था। आज उसकी गिरफ्तारी हुई है। सरबजीत सिंह मोखा वीएचपी का जबलपुर जिलाध्यक्ष था। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में नाम सामने आने के बाद संगठन ने इसे सभी पदों से हटा दिया है। वहीं, मोखा के संबंध कई बड़े नेताओं से भी हैं। इसकी कई तस्वीर सामने आई है। पिछले दिनों कोविड केयर सेंटर के लिए मोखा ने रेडक्रॉस को 11 लाख रुपये का दान दिया था। दरअसल गुजरात के मोरबी में ग्लूकोज और नमक से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार हुए थे। पुलिस जांच में यह बात सामने आई कि 500 इंजेक्शन जबलपुर में खपाए गए हैं।

आरोपियों के तोड़े जाएंगे घर 21 पर लगा रासुका

नकली रेमडेसिविर मामले में मध्यप्रदेश पुलिस सख्त कार्रवाई कर रही है। पुलिस ने इंदोर में पकड़े गये आरोपियों को के घर कुर्क करने का भी निर्णय लिया है। वहीं अभितक पकड़े गए लगभग 21 आरोपियों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की जा रही है।

लोकल कालाबाजारियों और अस्पतालों के तार एमपी-गुजरात गिरोह से तो नहीं?

गुजरात मेें ग्लूकोज और नमक से बने रेमडेसिविर को बाजार में खपाने का बड़ा खेल चल रहा था, मध्यप्रदेश की पुलिस ने इंदौर और जबलपुर में बड़े पैमाने पर दलालों और दवा कारोबारियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों में जबलपुर का एक अस्पताल संचालक भी शामिल है। कहीं इस गिरोह का लिंक छत्तीसगढ़ और राजधानी रायपुर से तो नहीं जुड़ा है। जानकारी के अनुसार मौदहापारा में जो आरोपी रेमडेसिविर की कालाबाजारी करते पकड़े गए थे उसके मुख्य आरोपी के पास सौ से ज्यादा इंजेक्शन होने की बात सामने आई थी हालाकि पुलिस ने इसकी बरामदगी नहीं बताई है, इसी तरह निजी अस्पताल वाले भी जब तक बाजार में इंजेक्शन की शार्टेज नहीं थी तब तक बड़ी संख्या में इसका स्टाक कर चुके थे। अब जब नकली इंजेक्शन बाजार में खपाए जाने के मामले पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में सामने आए हैं वो भी इंदौर और जबलपुर जैसे शहरों में जहां रायपुर और छग के अन्य शहरों का सीधा कारोबारी संबंध है, फिर इंदौर सबसे नजदी फार्मासिटिकल हब है ऐसे में नकली इंजेक्शन खपाने वालों के तार यहां के अस्पतालों, दवा कारोबारियों से न जुड़े हों ऐसा मुमकिन नहीं है। इसलिए राज्य की पुलिस को रेमडेसिविर की कालाबाजारी से जुड़े सभी मामलों में फिर जांच कर पकड़े गए आरोपियों से फिर से पूछताछ करनी चाहिए। इससे यहां भी नकली इंजेक्शन खपाने और इस मामले में लोकल दलालों, दवा कारोबारियों और अस्पताल प्रबंधनों की भूमिका का पता लगाया सकेगा।

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