कांकेर। धान के फसल में कीट नियंत्रण के लिए सलाह देते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर वरीष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बीरबल साहू ने कहा कि वर्तमान में अधिकांश क्षेत्रो में धान फसल गभोट अवस्था में है उनमे दाना नहीं भरने व पोची होने के लक्षण दिखाई दे रहे है, इस प्रकार के लक्षण मुख्यतः गंधी बग तथा पेनिकल माईट नामक कीट के प्रभाव से होता है। दोनों कीटो द्वारा दानो का रस चूस लिया जाता है, जिसके कारण बाली निकलने पर धान में दूध भराव नहीं हो पाता तथा वे लाल, कत्थई रंग के हो जाते हैं व दानों में बदरा के रुप में विकसित होते हैं। दोनों कीटो के प्रभाव फसलों में समान रूप से दिखाई देते है, गंधी बग द्वारा क्षति पहुंचाए गए दानो में बारीक़ छिद्र सुई चुभाये जैसे आकृति दिखती है और उसके किनारों पर जंग लगे जैसे लक्षण दिखाई पड़ता है, दाने पोचे होते है। गंधी बग कीट की शिशु एवं प्रौड़ अवस्थाएं फसल को नुकसान पहुंचाती हैं। पूर्ण विकसित बग मच्छर की आकृति का हरापन लिए भूरा रंग का व आकार में लगभग 25 मिली मीटर लंबा होता हैं। यह पत्तियों में अपने अंडे देती है, यह कीट पत्तियों एवं बालियों से रस चूस लेती है, इससे दानें पोंचे रह जाते हैं। पेनिकल माईट एक प्रकार का सूक्ष्म मकड़ी है, जो नग्न आँखों से दिखाई नहीं देता यह पत्तियों को भी अपना भोजन बनता है, साथ ही बालियों को प्रभावित करता है, जिससे उत्पादन पर असर पड़ता है।
कृषि विज्ञान केंद्र कांकेर द्वारा कीट नियंत्रण हेतु सलाह दिया गया है कि पेनिकल माईट के नियंत्रण लिए स्पायरोमेसिफेन 2.5 मिली लीटर या फेनपायरोक्सीमेट 2.0 मिली लीटर या डाइकोफ़ॉल 2.5 मिली लीटर या इथीऑन 2.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें। गंधी बग के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोपिरिड 6 प्रतिशत $ लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4 प्रतिशत एस.सी. 300 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें। वर्षाकाल में तथा धूप के समय दवाओं का छिडकाव ना किया जाय, साथ ही दवा का छिडकाव हवा की दिशा को ध्यान में रखते हुए शाम के समय प्रभावित स्थानों पर हाथो में दस्ताना तथा चेहरे पर मास्क या गमछा बांधकर छिडकाव करें।