छत्तीसगढ़
कृषि सहकारी समिति से खाद बीज का उठाव करें किसान: कलेक्टर
Shantanu Roy
25 May 2024 1:08 PM GMT
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सारंगढ़-बिलाईगढ़। कलेक्टर धर्मेश कुमार साहू ने जिले के किसानों को संबोधित करते हुए कहा है कि खरीफ मौसम प्रारंभ हो चुका है। इसके साथ ही खेती का काम भी बढ़ने लगा है। जिले के किसान भी अपने खेतों में जुताई बुवाई का काम शुरू कर दिए हैं। अब तक के मौसम पूर्वानुमान अनुसार इस साल सामान्य वर्षा हो सकती है। ऐसे में किसान अगले पखवाड़े से बोनी में तेजी लाने लगेंगे। खेत में बुवाई के लिए सबसे पहला काम किसान को खाद-बीज की व्यवस्था करना होता है। इस कार्य को सुगमता से कृषि विभाग द्वारा समय पूर्व खाद बीज का भंडारण सभी सहकारी समितियों में करा दिया गया है। जहां से किसान अपनी आवश्यकता अनुसार ऋण पर खाद और बीज प्राप्त कर सकते हैं। यदि हमारे किसान समय पूर्व अपने खाद और बीज की व्यवस्था कर लेते हैं, तो मानसून आते ही बुवाई कार्य प्रारंभ कर सकेंगे। कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार सभी प्रकार के खाद जैसे यूरिया, डीएपी, पोटाश, सुपर फास्फेट, सभी कृषि साख समिति में उपलब्ध है लेकिन डीएपी एक ऐसी खाद है, जो भारत में नहीं बनती है। इसके लिए अन्य देशों से आयात पर निर्भर रहना पड़ता है चूंकि इस वर्ष डीएपी खाद का आयात सामान्य से कम हुआ है।
ऐसी स्थिति में इस खाद की सप्लाई नहीं हो रही है लेकिन डीएपी यदि किसानों को नहीं भी मिलता है तो किसान इसके विकल्प के रुप में संचालनालय अनुसंधान सेवायें इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा बताए गए (अनुशंसित) रासायनिक खाद फास्फेट या 12:32.16 या 2020013 का उपयोग कर सकते हैं। सभी खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। सुपर फास्फेट के उपयोग से फास्फोरस तत्व के साथ ही सल्फर और कैल्शियम पोषक तत्त्व भी प्राप्त होता है, जो फसल की बढ़वार में महत्वपूर्ण होता है। सारंगढ़ जिले को सभी सहकारी समितियों में अब तक कुल 11839 मैट्रिक टन खाद का भंडारण किया जा चुका है। इसी प्रकार बीज निगम बरमेकला से कुल 8070 क्विटल बीज भी समितियों को भेजा गया है जिसमें स्वर्णा, एमटीयू, 1001, एमटीयू 1153 किस्म का बीज उपलब्ध है। धान के अलावा अन्य दलहनी तिलहनी फसलों जैसे अरहर, मूंग, उड़द, रागी, तिल, मूंगफली आदि बीजों की भी समय पूर्व व्यवस्था की जा रही है। किसान अपनी आवश्यकता अनुसार रासायनिक खाद बीज का अग्रिम उठाव कर लेवें ताकि समय पर बोनी का कार्य प्रारंभ कर सकें। मृदा में फास्फोरस तत्व की उपलब्धता हेतु उर्वरक तथा जैव उर्वरकों का प्रयोग करके खाद (उर्वरक) डी.ए.पी. का वैकल्पिक व्यवस्था किया जा सकता है। विकल्प हेतु सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक (16 प्रतिशत फास्फोरस), एक बोरी डी.ए.पी. से मिलने वाले तत्वों की पूर्ति हेतु लगभग आधा बोरी यूरिया तथा तीन बोरी सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग कर सकते हैं। मिश्रित उर्वरक (यथा इफको 12:32:16, ग्रोमोर 28:28:0 तथा अन्य फास्फोरस युक्त मिश्रित उर्वरक) और मृदा में उपस्थित स्फूर की उपलब्धता में वृद्धि करने हेतु स्फूर घुलनकारी जैव उर्वरकों (यथा पी.एस.वी.) का प्रयोग लाभकारी होगा।
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Shantanu Roy
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