छत्तीसगढ़

इन परामर्शों का उपयोग कर किसान अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं...

Shantanu Roy
10 Jan 2023 1:52 PM GMT
इन परामर्शों का उपयोग कर किसान अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं...
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कवर्धा। कबीरधाम जिले के किसानों के लिए रबी फसल की सुरक्षा के लिए कृषि विभाग द्वारा परामर्श जारी की गई है। जिसके माध्यम से किसान अपने फसलों को सुरक्षित रख सकते है। कृषि विभाग के उप संचालक राकेश शर्मा ने बताया कि रबी फसल गेंहू, चना, मटर, मसूर, सरसो, गन्ना सहित अन्य सामान्य फसलों को बचाने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है। इसके लिए किसान जारी किए गए परामर्श का उपयोग कर अपने फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं।

द्वितीय सिंचाई बुवाई के 40-50 दिन बाद कल्ले निकलते समय करें। समय से बोई गई फसल में तृतीय सिंचाई बुवाई के 60-65 दिन बाद तने में गांठे बनते समय करे। गेंहू में यूरिया का उपयोग सिंचाई उपरांत ही करें। जिससे कि नत्रजन का समुचित उपयोग हो सके। यूरिया का छिड़काव (टॉप ड्रेसिंग) सुबह या रात में न करें। क्योकि ओस की बूंदो के सम्पर्क में यूरिया आने से पौधे की पत्तियों को जला देती है। अतः दिन के समय यूरिया का छिड़काव करें। चने के खेत में कीट नियंत्रण के लिए 'टी' आकार की खूंटिया (35-40/हेक्टेयर) लगाएं। फली में दाना भरते समय खूंटियाँ निकाल ले। चने की फसल में चने की इल्ली का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर (1-2 लार्वा/मी.पंक्ति) से अधिक होने पर इसके नियंत्रण के लिए कीटनाशी दवा फ्लूबेन्डामाइड 39.35 प्रतिशत एस.सी. की 100 मिली/हेक्टेयर या इन्डोक्साकार्व 15.8 प्रतिशत ई.सी. की 333 मिली/हेक्टेयर का 400-500 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।मटर की फसल की पत्तियों पर धब्बे दिखाई दे तो मेक्काजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. फफूँदनाशी का 2 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 12 प्रतिशत $ मेन्कोजेब 63 प्रतिशत डब्ल्यू.पी. फफूँदनाशी के मिश्रण का 2 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

मटर की फसल में चुर्णिल फफूँदी (पाउडरी मिल्ड्यू) रोग के लक्षण जैसे पत्तियों, फलियों एवं तनों पर सफेद चूर्ण दिखाई दे, तो इसके नियंत्रण के लिए फसल पर कैराथेन फफूँदनाशी का 1 मिली/लीटर या सल्फेक्स 3 ग्राम/लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।फसल पर एन.पी.के. (19ः19ः19) पानी में घुलनशील उर्वरक को फूल आने से पहले और फली बनने की अवस्था पर 5 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए जिससे कि उपज में वृद्धि हो सके। फसल पर माहू कीट का प्रकोप दिखाई देने पर डायमिथोएट 30 ई.सी. 2 मि. ली./ली. या इमिडाक्लोप्रिड 0.2 मि.ली./ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।सरसों में सिंचाई जल की उपलब्धता के अनुसार करें। यदि एक सिंचाई उपलब्ध हो, तो 50-60 दिनों के अवस्था पर करें। दो सिंचाई उपलब्ध होने की अवस्था में पहली सिंचाई-बुवाई के 40-50 दिनों बाद दूसरी सिंचाई 90-100 दिनों बाद करें। यदि तीन सिंचाई उपलब्ध है, तो पहली 30-35 दिन पर व अन्य दो 30-35 दिन के अंतराल पर करें।

बुवाई के लगभग 2 माह बाद जब फलियों में दाने भरने लगे, उस समय दूसरी सिंचाई करें। तापमान में तीव्र गिरावट के कारण पाले की भी आशंका रहती है। इससे फसल बढ़वार और फली विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इससे बचने के लिए सल्फर युक्त रसायनों का प्रयोग लाभकारी होती है। डाई मिथाइल सल्फो ऑक्साइड का 0.2 प्रतिशत अथवा 0.01 प्रतिशत थायो यूरिया का छिड़काव लाभप्रद होता है। थायोयूरिया 500 ग्राम 500 लीटर पानी में घोल बनाकर फूल आने के समय एवं दूसरा छिड़काव फलियां बनने के समय प्रयोग करें। इससे फसल का पाले से भी बचाव होता है। फसल पर माहू कीट का प्रकोप दिखाई देने पर डायमिथोएट 30 ई.सी. मि.ली./ली. या इमिडाक्लोप्रिड 0.2 मि.ली./ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। शीतकालीन गन्ने की फसल में गुडाई करें। खेत में नमी की कमी होने पर सिंचाई कर सकते है। सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर, रैन-गन, ड्रिप इत्यादि का उपयोग करें, जिससे सिंचाई के जल का समुचित उपयोग हो सके। रबी दलहन में हल्की सिंचाई (4-5 से.मी.) करनी चाहिए, क्योंकि अधिक पानी देने से अनावश्यक वानस्पतिक वृद्धि होती है एवं दाने की उपज में कमी आ जाती है। रबी फसलों की पत्तियों पर धब्बे दिखाई दे तो मेन्कोजेब 2 ग्रा या कार्बेन्डाजिम $ मेन्कोजेब (साफ) 2 ग्रा./ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। जब भी पाला पड़ने की आशंका हो या मौसम विभाग द्वारा पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए अथवा खेत की मेंड़ों पर धुआं करें।

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