छत्तीसगढ़

मछली पालन से आत्मनिर्भर हुआ कृषक महेश मंडावी

Nilmani Pal
20 Jan 2022 9:47 AM GMT
मछली पालन से आत्मनिर्भर हुआ कृषक महेश मंडावी
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रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित योजनाओं से लाभ उठाकर मछली पालन करने वाले किसान आर्थिक संपन्नता की ओर अग्रसर हो रहे हैं, वे स्वयं तो आत्मनिर्भर हो रहे हैं, साथ ही अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। युवा किसान भी अब शासन की योजनाओं का लाभ उठाकर लाभान्वित हो रहे है जिससे उनके जीवन स्तर में अभूतपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है वही शासन की योजनाएं भी धरातल पर फलीभूत हो रही है। कांकेर जिले के नरहरपुर विकासखण्ड के ग्राम बादल के किसान महेश मंडावी मछली पालन व्यवसाय को अपनाकर अब आत्मनिर्भर बन चुका है। इस कार्य से उन्हें हर साल 03 से 04 लाख रूपये की आमदनी हो रही है।

विकासखंड नरहरपुर के ग्राम बादल निवासी महेश मंडावी को पहले से ही मछलीपालन में लगाव था, मछलीपालन इकाई संचालन में रूचि होने के कारण उन्होंने मत्स्य अधिकारी से संपर्क कर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत मछलीपालन हेतु आवेदन किया। विभागीय स्वीकृति के उपरांत उन्होंने वर्ष 2019-20 एवं 2021-22 में मछलीपालन हेतु अपने निजी कृषि भूमि में नवीन तालाब का निर्माण कर मछली पालन इकाई की स्थापना की, 02 हेक्टेयर में 3 तालाब बनवाया, इसके साथ ही जल व्यवस्था हेतु पंप भी स्थापित करवाया। मछलीपालन विभाग द्वारा महेश मंडावी को तालाब निर्माण कार्य एवं बीज दवाई आदि के लिए 05 लाख 60 हजार रुपये का अनुदान राशि प्रदाय की गई। सभी मूलभूत सुविधाओं को विकसित कर महेश मंडावी द्वारा मछलीपालन व्यवसाय को मूर्त रूप दिया गया, जिसमें मछलीपालन से प्रारंभिक दौर में लगभग 20 किं्वटल तक मछली का उत्पादन होता था, जिसके विक्रय से उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी। विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मार्गदर्शन मेें उन्होंने लगातार अपने कार्य का विस्तार किया, जिससे वर्तमान में उन्हें लगभग 30 से 40 क्विंटल मछली उत्पादन प्राप्त हो रहा है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 03 से 04 लाख रूपए की आमदनी प्राप्त हो रही है। मछलीपालन से महेश कुमार का परिवार खुशहाल हो चुका है। उनके द्वारा गांव के अन्य परिवार को भी रोजगार देने का कार्य किया जा रहा है। महेश मंडावी मछलीपालन के नए तकनीकों की जानकारी प्राप्त कर मछली व्यवसाय को और बेहतर तरीके से विकसित कर अधिक आमदनी और रोजगार सृजन करने के कार्य में लगे हैं, जिससे वे अन्य मत्स्यपालकों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुके हैं।

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