
रायपुर। राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर जी महाराज की तीन दिवसीय प्रवचनमाला का आज समापन हो गया. शकरनगर स्थित बीटीआई ग्राउण्ड में लोकमंगलकारी प्रवचन की शुरूआत श्रद्धालुओं को बी हैप्पी' कहलवाकर की. उन्होंने कहा कि अपने घर को मंदिर और स्वर्ग की तरह बनाइए. इसके लिए जरूरी है कि आप टाइम, टाकिंग और ट्रस्ट परिवार के लिए सुरक्षित रखें. राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर जी महाराज ने घर गृहस्थी को स्वर्ग बनाने के टिप्स उपस्थित श्रद्धालुओं को दिए. उनके प्रवचन में सभी तरह के रिष्तों के लिए कुछ न कुछ सीख और ज्ञान मिला. उन्होंने कहा कि जिंदगी की छोटी समस्याओं में मां याद आती है तथा बड़ी में बाप. जहां तक संभव हो, पति पत्नी एक दूसरे का साथ जिंदगीभर निभां. याद रखें कि रिष्ते बनाए नही जाते बल्कि निभाए जाते हैं. जिस तरह मंदिर में गुस्सा, कटाक्ष और टिप्पणियां नही करते, उसी तरह घर में भी नही करना चाहिए अन्यथा वह स्वर्ग की जगह नरक बन जाएगा. किसी भी बात को गांठ बांधकर मत रखिए.
संतश्री ललितप्रभ सागर जी महाराज का प्रवचन मारवाड़ी भाषा के साथ-साथ गीत संगीत, हंसी मजाक, दुख सुख, प्रत्यक्ष बातचीत से परिपूर्ण दिखा. उन्होंने जीवन जीने का पहला मंत्र दिया कि घर को घर नही मंदिर की तरह बनाइए. घर में संस्कारों की दौलत बनाए रखिए. बुजुर्ग अपने घर में बिल छोड़कर ना जाए बल्कि गुडबिल छोड़कर जाएं. यदि आपके कई भाई हैं तो एक-दूसरे को गले लगाते रहिए. उन्होंने रिष्तों को संभालने की सीख देते हुए कहा कि संस्कार सिर्फ छोटों के लिए जरूरी नही हैं बल्कि बड़ों को भी दिखाना चाहिए क्योंकि बच्चे तो आप से ही सीखते हैं. अगर आप बच्चों के बीच झूठ बोलेंगे तो वही सीखेंगे. बच्चों को हमेषा सच बोलना सिखाइए.
राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर जी महाराज ने परिवार के लिए पहला संस्कार मान मर्यादा का दिया. कहा कि सभी उम्र के लोगों को इसका ध्यान रखना चाहिए. यदि आपको बुढ़ापा अच्छे से काटना है तो बोलते समय संयम रखिए क्योंकि जुबान ही है जो घर को स्वर्ग या नरक बना देती है. बच्चों को सबके सामने रिष्तों का सम्मान करना सिखाइए. स्कूलों में यह नही सिखाया जाएगा इसलिए माता-पिता को यह जिम्मेदारी निभानी चाहिए. संत जिस धर में जाते हैं, संस्कारों की दौलत जरूर देकर आते हैं. महाराजश्री ने कहा कि कोई महिला अपना पति पीहर से लेकर नही आती. सास ही बेटे को उन्हें जिंदगीभर के लिए सौंपती है इसलिए सास-ष्वसुर के कड़वे षब्दों को सुनने की ताकत रखना चाहिए.
राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर जी महाराज ने सिर्फ प्रवचन ही नही दिया बल्कि उपस्थितजनों से प्रत्यक्ष बातचीत करके रिष्तों को उदाहरण देकर समझाया. उन्होंने भाईयों को खड़ा करके एक-दूसरे को गले लगवाया. बहुओं और सासूओं को खड़ा करके उनसे संवाद किया और आदर्ष उदाहरण सबके सामने रखे. इसके लिए श्रद्धालुओं ने ठहाके लगाए और तालियां बजाकर उनके संवाद का सम्मान किया. महाराजश्री के प्रवचन सुनकर श्रद्धालु इतने भावुक हुए कि आंखों की कोरें भींग गईं.
अंत में जैन समाज को नसीहत देते हुए कहा कि हमारा समाज एक उपवन की तरह है. कई तरह के रंग-बिरंगे फूल हैं, पंथ.संप्रदाय हैं लेकिन हमारे बीच दूरियां नही होना चाहिए. हमारा समाज आगे बढें तथा सभी भगवान महावीर के संदेषों को फैलाते बढ़ाते रहें.
महाराजश्री ने आज षंकरनगर स्थित मनोज कोठारी जी के निवास पर पहुंचे तथा परिजनों को आर्शीवाद देते हुए नवकारसी ग्रहण की. रायपुर दक्षिण के विधायक बृजमोहन अग्रवाल जी ने भी आज गुरूवर का अपने निवास पर स्वागत किया.
दो संतों का समागम
दिगम्बर जैन आचार्य श्री विषुद्ध सागर जी महाराज एवं राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर जी महाराज का आज दिगम्बर जैन मंदिर षंकरनगर में भेंट हुई. दोनों संतों ने प्रेरक उदबोधन दिया. ललितप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि जब दो संत मिलते हैं तो यह भगवान का आर्षीवाद होता है.