छत्तीसगढ़ में परिवार नियोजन पखवाड़ा, लोगों को नसबंदी के लिए किया जा रहा जागरूक
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में परिवार कल्याण के उप संचालक डॉ. टी.के. टोंडर ने बताया कि देश की बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय है। इसके लिए सबको जागरूक होने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पिछले पांच वर्षों में दो लाख 59 हजार 985 महिलाओं और 26 हजार 510 पुरूषों की नसबंदी की गई है। वर्ष 2017-18 में 53 हजार 236 महिलाओं एवं 7119 पुरुषों, 2018-19 में 61 हजार 342 महिलाओं एवं 5361 पुरुषों, 2019-20 में 59 हजार 991 महिलाओं एवं 6775 पुरुषों, 2020-21 में 28 हजार 159 महिलाओं एवं 2826 पुरुषों तथा 2021-22 में 57 हजार 257 महिलाओं एवं 4429 पुरुषों का नसबंदी ऑपरेशन किया गया है।
डॉ. टोंडर ने बताया की रायपुर जिले में बीते चार वर्षों में 41 हजार 343 महिलाओं एवं 2264 पुरुषों की नसबंदी की गई है। इस दौरान वर्ष 2018-19 में 9720 महिलाओं एवं 460 पुरुषों, 2019-20 में 9674 महिलाओं एवं 694 पुरुषों, 2020-21 में 8827 महिलाओं एवं 376 पुरुषों तथा 2021-22 में 13 हजार 122 महिलाओं एवं 734 पुरुषों का नसबंदी ऑपरेशन किया गया।
डॉ. टोंडर ने बताया कि कोरोना महामारी संक्रमण के कारण नसबंदी आपरेशन में कुछ कमी आई थी। कोराना काल में भी संस्थागत प्रसवोत्तर महिला नसबंदी एवं प्रसवोत्तर पीपीआईयूसीडी निवेशन सेवाएँ उपलब्ध कराई जा रही थीं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालयों, चिन्हांकित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा मान्यता प्राप्त निजी चिकित्सालयों में एन.एस.व्ही. की सुविधा उपलब्ध है। पुरूष नसबंदी उन दंपत्तियों के लिए परिवार नियोजन का सबसे आसान उपाय है जिन्हें और बच्चे नहीं चाहिए। एन.एस.वी. बिना चीरा व टांके के 10-20 मिनट में पूरी की जाती है। इस प्रक्रिया में दर्द नहीं होता। नसबंदी के बाद किसी भी प्रकार की शारीरिक दुर्बलता नहीं होती, बल्कि पहले जैसा ही भारी काम कर सकते है। शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों में नसबंदी के बाद पुरूष हितग्राहियों को तीन हजार रूपए एवं महिला हितग्राहियों को दो हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।
सभी शासकीय अस्पतालों में निःशुल्क परिवार नियोजन के साधन जैसे पुरूष एवं महिला नसबंदी, निरोध, गर्भ निरोधक गोली, इंजेक्शन और कॉपर-टी की सुविधा उपलब्ध है। बच्चों और माता के अच्छे स्वास्थ्य के लिए परिवार नियोजन जरूर अपनाना चाहिए। पहले और दूसरे बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल जरूरी है। परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों का उपयोग कर यह अंतराल रखा जा सकता है।