छत्तीसगढ़

नकली रैपर, नकली ब्रांड के बोतलों में डुप्लिकेट शराब

Admin2
10 Aug 2021 5:28 AM GMT
नकली रैपर, नकली ब्रांड के बोतलों में डुप्लिकेट शराब
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राजधानी सहित पूरे प्रदेश में बिक रही नकली शराब, लाग पी रहे जहर

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। असली बोतल में नकली शराब और मनमानी कीमत। चौकिए नहीं! यहां देसी या विदेशी शराब भी डुप्लीकेट बनता और बिकता भी है। आने वाले दिनों में होली के अलावा अप्रैल महीने से लेकर आने वाले साल तक डुप्लीकेट शराब का बाजार गरम रहने वाला है। खास बात यह है कि डुप्लीकेट शराब भी कई प्रकार के होते हैं। राजधानी में एक तरफ अपराध बढ़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ शराब के कारोबारियों ने नकली शराब को भी अपना खुला धंधा बना लिया है। रायपुर शहर में इतनी भट्टियां है, जहां शराब बिकती है। लेकिन अब शराब में भी नकलीपन आने लगा है। शराब के कारोबारी आजकल अपने मुनाफे के लिए नकली शराब भी बेचने लगे है।

कही जहर तो नहीं पी रहे आप

यदि लोग लाइसेंसी दुकान से देशी शराब खरीद रहें हों तो सावधान होकर शराब के स्वाद पर ध्यान दिया करें। हो सकता है कि दुकानदार लोगों को शराब के नाम पर जहर पकड़ा दे। क्योंकि जिले में कई शराब की दुकानों पर नकली शराब बिक रही है। नकली शराब का कारोबार सिर्फ जिले तक नहीं है, बल्कि आसपास के कई जिलों में फैला हुआ है। नकली शराब के व्यापारी कबाड़ की दुकानों से अंग्रेजी शराब की खाली बोतलें खरीदते हैं।

शहर में नकली शराब कि बिक्री

रायपुर शहर में शराब की ब?ी बिक्री होती है, लेकिन इसके अंदर शराब कैसी है, इसकी बारीकी से जांच किसी ने भी नही की। आशंका जताई जा रही है कि संबंधित ठेकेदारों से जारी रैपर और बोतल की बनावट की कापी करके इसमें अवैध शराब रिफलिंग की गई है। शराब और बोतल को सील कर जांच के लिए भेजा जाए। लगता है, अवैध शराब की रिफलिंग की जाती है। जिस बोतल में शराब है, वह प्रतिमाह 10 से 12 लाख लीटर जिले की दुकानों पर आपूर्ति होती है और कहीं से भी कोई शिकायत नहीं है।

कैसे बनती नकली देशी और विदेशी शराब

शहर में डुप्लीकेट विदेशी शराब बनाने में पानी में स्प्रिट, कलर, एसेंस आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ओरिजनल शराब की एक बोतल से छह बोतल भी बनाए जाते हैं। इसमें ओरिजनल एक बोतल से चार से छह बोतलों में थोड़ी-थोड़ी शराब डाली जाती है। फिर उसमें पानी, क्लब सोडा से लेकर स्प्रिट आदि की थोड़ी-थोड़ी मात्रा मिला दी जाती है। दूसरी ओर महुआ में यूरिया, सड़े हुए फल अन्य केमिकल मिला कर देसी शराब बनाया जाता है। महुआ में खाद मिला कर उसे एक दिन तक छोडऩे के बाद आग की भ_ी पर चढ़ा दिया जाता है। फिर उसे देसी शराब का रूप दिया जाता है। यूरिया महुआ को कुछ ही घंटे में गला देता है।

रात 10 बजे के बाद ब्लैक मार्केटिंग

शहर के अंदर दुकान का शटर बंद और सड़क पर शराब से मार्केट के गलियारों तक ब्लैक मार्केटिंग चालू। खासकर रात 10 बजे के बाद विदेशी शराब के शौकीनों की बेचैनी बोतल नहीं मिलने पर बढ़ जाती है। ऐसे में शहर के रामकुंड एरिया अन्य इलाकों में चोरी-छिपे शराब के डुप्लीकेट बोतल धड़ल्ले से बेचे जाते हैं। ब्रांडेड बोतलों की ओरिजनल कीमत की अपेक्षा मनमानी कीमत पर खरीदते हैं।

20 रुपये में तैयार, 200 में बिक्री

राजधानी में 6 या 12 रुपये में ब्रांडेड बोतल के सील्ड ढक्कन, क्यूआर कोड, गत्ते मुहैया करा देते है। कबाड़ी से पांच रुपये में कांच की बोतल, क्वार्टर खरीद लिया जाता था। इस तरह एक क्वार्टर 20 रुपये में तैयार होता है, जो ठेके पर 200 रुपये के आसपास बिकता था।

इन ब्रांड्स की भी मिलती नकली शराब

गोवा, मसाला, मैकडॉवल्स, ब्लेंडर्स प्राइड, इम्पीरियल ब्लू, ओल्ड मोंक, रॉयल स्टेग, रॉयल चैलेंज जैसे ब्रांड की नकली शराब फैक्ट्री में बनाई जाती है। पुलिस भी इन मामलों में खामोश है। ब्रांडेड बोतलों के सील्ड ढक्कन, क्यूआर कोड, रैपर, गत्ते मुहैया कराते है।

बार कोड स्कैन, मुहर भी असली

आरोपियों से नौ मुहर भी मिली हैं। फॉर सेल डिफेंस, फॉर सेल यूपी ओनली जैसा लिखा हुआ है। कुछ मुहर तारीख वाली भी हैं। बार कोड तक स्कैन हो रहा है। कुल मिलाकर नकली शराब खरीदने पर कोई शक नहीं कर सकता।

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