छत्तीसगढ़

सुविधाएं ऑनलाइन, फिर भी दलाल लूट रहे हजारों

Nilmani Pal
4 Oct 2023 5:48 AM GMT
सुविधाएं ऑनलाइन, फिर भी दलाल लूट रहे हजारों
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आरटीओ में दलालों से नहीं मिल रहा छुटकारा, ड्राइविंग लाइसेंस का ले रहे हैं 5 हजार

रायपुर। आरटीओ ऑफिस में 60 में से 50 सुविधा ऑनलाइन होने के बाद भी दलालों से पीछा नहीं छूट रहा है। दलाल ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट, नाम परिवर्तन, टैक्स, फिटनेस संबंधित सुविधाएं ऑनलाइन होने के बाद भी तीन से पांच हजार वसूल रहे हैं। दलालों को परिवहन, अधिकारियों और कर्मचारियों से बढ़ावा मिलता हे क्यौंकि उन्हे दलालों से कमिशन मिलता है।

लाइसेंस में 15 सुविधा ऑनलाइन पर प्रक्रिया जटिल

लाइसेंस: न्यू लाइसेंस व रिन्यूवल सहित करीब 15 सुविधा ऑनलाइन है, लेकिन प्रक्रिया जटिल है। अधिकारी कमियां निकाल देते हैं। राजधानी में स्थायी लाइसेंस ट्रायल पर दलाल हावी है। यहां ट्रायल में दलाल एक हजार तक वसूलते हैं।

फिटनेस: अधिकारियों ने फिटनेस सेंटरों पर कैमरे और व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगा रखे हैं। सेंटर पर वाहन मालिक जाता है तो सेंटर कर्मचारी दस्तावेज, मैकनिकल कमी निकाल देते हैं। सर्विस के नाम पर हजारों रुपए का बिल बना देते हैं।

वाहन रजिस्ट्रेशन-परमिट में ऑनलाइन के नाम से वसूली

विभाग ने परमिट, वाहनों के पंजीयन, नाम हस्तातरंण, टैक्स जमा, टीसीसी सहित अन्य काम ऑनलाइन कर दिए, लेकिन लोगों की प्रक्रिया का पता नहीं है। फार्म भरने को दलालों के पास जाना पड़ता है। ई-मित्र खुल जाए तो दलालों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

आरटीओ में अब आनलाइन सिस्टम होने के बाद भी दलालों के बगैर कोई काम नहीं होता। आरटीओ कार्यालय में लायसेंस बनाने व रिनेवल कराने से लेकर बसों एवं अन्य वाहनों के परमिट व फिटनेस देने तथा नाम परिवर्तन में जमकर लूट मची है। यह भी देखा गया है की बिना पैसे दिए काम नहीं होता। यहां हर काम ठेकेदारी पर चल रहा है। हालाकि अब सीधे परिवहन आयुक्त कार्यालय से परिमट जारी किया जा रहा है बावजूद कमीशन व अवैध वसूली बंद नहीं हुआ है। फिटनेस के लिए शुल्क के अलावा भी वाहन मालिकों से रकम मांगे जा रहे हैं। स्पेशल परिमिट के लिए तो बगैर चढ़ावे के बात ही नहीं बनती। दफ्तर में परिवहन विभाग के कर्मचारी सिर्फ कार्यालयीन कार्य में ही लगाए गए जबकि लायसेंस, फिटनेस से लेकर वाहन मालिकों से जुड़े कार्यो के लिए ठेकेदारों के लोग तैनात हैं। इतना ही नहीं तमाम प्रोसेस आनलाइन होने के बाद भी दलालों की सक्रियता पहले की तरह बनी हुई है।

ऑनलाइन प्रोसेस जटिल

ऑनलाइन प्रोसेस इतनी जटिल है कि आम आदमी इससे दूर भागता है। ऑनलाइन होने से घर बैठे अपना काम करवा सकते है, यह दावा सिर्फ सरकारी बनकर रह गया है, इससे परेशान उपभोक्ताओं को मजबूरी में ऑनलाइन प्रक्रिया से काम ना कर एजेंट के माध्यम से काम करवाना ही आसान लगता है। ऑनलाइन प्रक्रिया में नाना प्रकार के सवाल पूछे जाते है इन सब कारणों से लोग ऑनलाइन प्रक्रिया नहीं अपनाते साथ ही काम भी देरी से होता है। एजेंट हाथों-हाथ काम करा लेता है।

दलालों का आज भी दबदबा

आरटीओ कार्यालय में भले ही सभी कार्य अब आनलाइन होने का दावा किया जा रहा हो बावजूद आज भी वहां हर काम के लिए दलाल सक्रिय हैं। लायसेंस बनवाने व नवीनीकरण कराने के लिए भी लोगों को दलालों का ही सहारा लेना पड़ता है। समय की कमी व छोटे-छोटे कामों के लिए भी बार-बार की दौड़ और लंबा इंतजार के चलते लोग दलालों के माध्यम से ही इस तरह के काम करवाने मजबूर हैं। हालाकि दलाल भी अब सारा प्रोसेस आनलाइन ही करते हैं लेकिन उनके माध्यम से काम एक तय समय में हो जाने का आधार बन जाता है। इसका दलाल भी फायदा उठाते है और काम के लिए तय शुल्क का तीन गुना वसूलते हैं।

टैक्स नहीं पटाने भी सेंटिग

रायपुर आरटीओ में मोटी फीस लेकर पंजीयन निरस्त करने का भी खेल बड़े पैमाने पर धड़ल्ले से हो रहा है, अगर किसी ट्रांसपोर्टर के पास चार बसें है और उसमें से किसी एक का टेक्स नहीं पटता है तो भी उसका पंजीयन निरस्त नहीं किया जा सकता नियमानुसार टैक्स पेड होने के बाद ही पंजीयन निरस्त हो सकता है, बावजूद किसी वाहन मालिक को अपनी वाहन कबाड़ में बेचना हो तो वह टैक्स का भुगतान नहीं करता और मोटी रकम देकर उक्त वाहन का पंजीयन निरस्त करवा लेता है, जबकि नियमानुसार टैक्स पटने के बाद ही उक्त वाहन का पंजीयन निरस्त होना चाहिए।

ब्लैक लिस्टेड वाहनों को स्पेशल परमिट

आरटीओ रायपुर में ऐसा काम हो रहा है कि अन्य जिले के आरटीओ ने जिस वाहन को ब्लैक लिस्टेड कर दिया हो और जो टैक्स जमा नहीं किये हैं उसे प्रदेश में कही भी परमिट नहीं मिल सकता लेकिन रायपुर आरटीओ दफ्तर में उसे स्पेशल परमिट मिल जाता है। ऐसीे कई गाडिय़ां है जो ब्लैक लिस्टेड होने और टैक्स जमा नहीं करने के बावजूद कई स्पेशल परमिट पर दौड़ रही हैं। इस तरह के कार्यों से अधिकारियों का भ्रष्टाचार साफ नजर आता है।

प्रशासनिक अधिकारियों का कमांड नहीं

आरटीओ कार्यालय में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का मूल अधिकारी का न होना भी परेशानी का सबब है। आरटीओ डेपुटेशन में जो भी अधिकारी आते है, वे राज्य प्रशासनिक सेवा के होते हैं, जब तक वे काम समझते है उनका ट्रांसफर कर दिया जाता है।

जब तक इस व्यवस्था को बदला नहीं जायेगा इसमें सुधार की गुंजाइश नहीं के बराबर है और भर्राशाही चलते ही रहेगी। पहले सीधे आरटीओ अधिकारी ही बैठते थे, उन्हें सब काम की जानकारी होती थी, इस वजह से काम बिना परेशानी के होते रहता था। जब से प्रशासनिक अधिकारियों को डेपुटेशन पर आरटीओ बनाकर भेजने का प्रचलन शुरू हुआ है तब से वाहन मालिकों की परेशानी बढऩे के साथ लाइसेंस /परमिट के लिए अवैध वसूली का खेल चल रहा है।

ऐसे चलता है अवैध वसूली का खेल

छत्तीसगढ़ में ट्रांसपोर्ट विभाग में अधिकारियों, कर्मचारियों की पोस्टिंग 6 माह के लिए होती है। पोस्टिंग के लिए कर्मचारी लाखों रुपए देते हैं। आटीओ में तबादला होते ही वे टैक्स वसूली छोड़कर अपनी जेबें भरने में लग जाते हैं। दूसरे राज्यों से आने वाली गाडिय़ों से एंट्री के नाम पर अवैध वसूली किया जाता है। अवैध वसूली के लिए लठैतों द्वारा ट्रक संचालकों को टोकन दिया जाता है। टोकन इस बात का संकेत होता है कि उपर का पैसा मिल गया है। टोकन दिखाकर ट्रक चालक ओवरलोड सामान भरकर बड़ी आसानी से बार्डर पार कर लेते हैं। अधिकारियों की इस अवैध वसूली का भार ट्रंासपोर्टरों को पड़ता है जिसके चलते वे ट्रांसपोर्टिग चार्ज बढ़ा देते हैं। ट्रांसपोर्टिंग चार्ज बढऩे से वस्तुओं की किमत भी बढ़ जाती है जिसका सीधा असर जनता पर ही पड़ता है।

एजेंट ने कई लोगों को बांटे एक ही नंबर के लायसेंस

रायपुर के कचना इलाके में एक आरटीओ एजेंट ने फर्जी लाइसेंस बनाकर कई लोगों के साथ धोखाधड़ी की है। इस एजेंट ने एक ही लाइसेंस नंबर को करीब आधे दर्जन लोगों में बांट दिया। फिर उन्हें कहा आराम से गाड़ी चलाओ। कोई दिक्कत नहीं होगी। पीड़ितों में जब एक व्यक्ति ने आरटीओ ऑफिस जाकर संपर्क किया तो मामलें का खुलासा हुआ। ये पूरा मामला विधानसभा थाना क्षेत्र का है। कचना के एक निजी सोसायटी के रहने वाले राजेश शर्मा ने 2 अक्टूबर शाम 7 बजे रिपोर्ट लिखवायी कि उनके कॉलोनी के रहने वाले ऋषभ बोथरा फर्जी लाइसेंस बनाया है। आरोपी ने खुद को आरटीओ एजेंट बताया और आसानी से लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनाकर देने की बात की।आरोपी की बातों में आकर कॉलोनी के 6 से 7 लोगों ने उसे लायसेंस बनवाने का काम दे दिया। जिसके एवज में उसने कई सारे डॉक्यूमेंट लिए और 25 हजार रुपये वसूल लिया। फिर कुछ दिनों बाद आरोपी में उन्हें लाइसेंस की कॉपी भी लाकर दिया।पीड़ित राजेश शर्मा को इस ड्राइविंग लाइसेंस पर शक हुआ तो वे क्रञ्जह्र ऑफिस पहुंच गए। उन्होंने जब लाइसेंस की जांच करवाई तो वह फर्जी निकला। इसके अलावा सोसाइटी के कई लोगों के लाइसेंस का नंबर भी एक निकला। इन सभी लोगों ने उसी व्यक्ति से लायसेंस बनवाया था। इस मामले में विधानसभा पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और आगे की जांच जारी है।जानकारी के मुताबिक, आरोपी ने सोसायटी के कई लोगों से पासपोर्ट बनाने का भी काम लिया था। जिसके लिए लोगों ने उन्हें अपने इंपॉर्टेंट डॉक्यूमेंट और पैसे दिए थे। लेकिन आरोपी इस पासपोर्ट को बनाकर देने के काम को लगातार टाल रहा था।

वो हर बार अलग-अलग बहाने देकर घुमाने में लगा था।

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