छत्तीसगढ़

20 सालों बाद लौटी आंखों की रोशनी, लोगों को देख भावुक हुए बुजुर्ग

Nilmani Pal
30 Sep 2022 4:09 AM GMT
20 सालों बाद लौटी आंखों की रोशनी, लोगों को देख भावुक हुए बुजुर्ग
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सुकमा। कोयाबेकुर निवासी ओयामी पाण्डू की आंखों की रोशनी लगभग 20 सालों बाद आज लौटी। 20 बरस से अंधकारमय जीवन व्यतीत करने वाले पांडू ने आज जब पुनः दुनिया के रंगों को देखा, तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उसने उत्साह में गिनती भी गिनी,डॉक्टर को धन्यवाद भी दिया और अपनी चमकती आंखों के साथ अपने गांव लौटने की आतुरता भी पांडू में साफ नजर आ रही थी। आज, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों के परिणामस्वरूप पांडू के जीवन में पुनः रोशनी आई है। किंतु बढ़ती उम्र के साथ एक वक्त ऐसा भी आया जब पांडू की आंखों के सामने दिन में भी अंधेरा होने लगा। कई बार से आंखों की रोशनी पाने के लिए बैगा-गुनिया और अस्पताल के चक्कर लगाए लेकिन पाण्डू के हाथ सिर्फ निराशा और अंधेरा ही आया। कई प्रयासों के बाद भी उन्हें आंखों की रोशनी नहीं मिली।

जिले के कोयाबेकुर निवासी ओयामी पाण्डू ने भी अपनी आंखों की रोशनी पाने की उम्मीद लेकर ऑपरेशन कराने जिला अस्पताल पहुंचे। और सफल ऑपरेशन के बाद, पिछले 20 वर्षों से बेरंग और अंधेरे दुनिया में जीवन यापन कर रहे पाण्डू की जिन्दगी में फिर एक नई सुबह की शुरूआत हुई। एक नई सुबह में अपनों के साथ बहुत से लोगों को एक साथ देखकर भावुक हुए पाण्डू की आंखों में खुशी के आंसु थे। पाण्डू अब पहले की भांति देखने और लोगों को पहचानने लगा है।

20 वर्षों बाद लौटी आंखों में रोशनी

ओयामी पाण्डू ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ कामकाज के दौरान धीरे-धीरे आंखों की रोशनी कम होने लगी थी और दृश्य भी ओजल होने लगा था। वह अपने आंखों की रोशनी पाने के लिए दन्तेवाड़ा के अस्पताल सहित बैगा-गुनिया के पास भी गए और देसी दवाइयों का भी सेवन किया। कई प्रयासों के बाद भी आंखों की रोशनी नहीं लौटी। पाण्डू ने बताया कि आंखों की रोशनी चले जाने के बाद से कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। घर का खर्चा उनके दोनों बेटों ने संभाला। उनके हर एक परिस्थिति में उनकी पत्नी और दोनों बेटों ने साथ दिया। आगे बताते हैं कि उनकी पत्नी कोसी को भी एक आंख से नहीं दिखता फिर भी उन्होंने एक डण्डे के सहारे मेरी सहायता की। रोशनी जाने के बाद से हर एक काम के लिए पत्नी और बेटों के साथ एक बांस की डण्डे पकड़ के जाना होता था। जिला अस्पताल में बुधवार को हुए मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद से अब फिर से दिखने लगा है। अब पहले की तरह आंखों की रोशनी पाकर बहुत खुश हूँ। अब बेटों के साथ घर क कामकाज और खेती किसानी काम में जाऊंगा। बुधवार को मेरी आंखों के साथ पत्नी की एक आंख का ऑपरेशन हुआ है। अगले महिने फिर उनका दूसरे आंखों का ऑपरेशन होना है। पाण्डू ने भावुक होते हुए कहा कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन से एक और नई सुबह के साथ एक नई रंगबिरंगी जिन्दगी मिली है और इस खुशी के साथ जिला प्रशासन का आभार व्यक्त करता हूँ।

जिला अस्पताल में किया जा रहा है आंखो का ऑपरेशन

उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन द्वारा जिला अस्पताल में 22 सितम्बर से मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया जा रहा है। ग्राम स्तर से मितानिनों के सहयोग से मोतियाबिंद मरोजों का चयन कर प्रति सप्ताह ऑपरेशन के लिए जिला अस्पताल लाया जाता है। 22 सितम्बर से अब तक 44 मोतियाबिंद मरीज और 1 टेरेजियम मरीज का ऑपरेशन किया गया है। मोतियाबिंद ऑपरेशन में अंधत्व निवारण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. महादेव बारसे, कार्यक्रम प्रभारी श्री अमित हलधर का सहयोग रहा। जिले के सभी मोतियाबिंद मरीजों के आंखों का ऑपरेशन प्रत्येक सप्ताह किया जाता है। आंखों की रोशनी पाने की उम्मीद लेकर ओयामी पाण्डू भी ऑपरेशन करवाने के लिए जिला अस्पताल पहुंचे। नेत्र विशेषज्ञ डॉ. अक्षय परासर के द्वारा उनका मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया।

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