हर दिन आयुर्वेद हर घर आयुर्वेद के तहत किया लोगों को जागरूक

रायगढ़। आजादी का अमृत महोत्सव एवं आयुष मंत्रालय की ओर से चल रहे आयुर्वेद का अमृत काल के अंतगर्त शुरू हुए 'हर दिन हर घर आयुर्वेद' अभियान के उपलक्ष्य में जिला आयुष विभाग द्वारा पूरे जिले में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम और शिविर का आयोजन किया गया। आयुष मंत्रालय द्वारा हर साल आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है।
शासकीय आयुर्वेद जिला चिकित्सालय के डॉ. नीरज कुमार मिश्रा, डॉ. रवि शंकर पटेल ,डॉ. मुकेश साहू, डॉ. अनुराधा सिंह और योग चिकित्सक डॉ. योगिता द्वारा हर दिन आयुर्वेद, हर घर आयुर्वेद विषय पर रायगढ़ में कई गतिविधियों का आयोजन किया गया। जिसमें अनाथालय में जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. मीरा भगत के नेतृत्व में उन सभी बच्चो को जिन्हें कम उम्र के कारण कोविड से बचावकी वैक्सीन नहीं लग सकी है उन्हें सुरक्षा प्रदान करने हेतु आयुष 64 औषधि प्रदान की गई साथ ही उपरोक्त विषय पर उनके अवस्था के अनुरूप उपयोगी व्याख्यान दिया गया। डॉ. प्रशांत सक्सेना, डॉ. सुभाष चंद्र झा, डॉ. एसबी यादव, डॉ रजनी पटेल, डॉ. अजय नायक सभी चिकित्सकों ने सक्रिय योगदान दिया। इसी विषय पर क्रमशः वृद्धाश्रम में वृद्धजनों के स्वास्थ्य संरक्षण हेतु व्याख्यान दिया गया।
रायगढ़ शहर के विभिन्न स्थानों पर जैसे आईटीआई कालेज के समस्त छात्रों, एनसीसी के छात्रों व युवाओ को पंजरी प्लांट के आंगनबाड़ी केन्द्र में पोषण आहार की दर्शनी लगा कर बच्चों को इस आयोजन के उद्देश्य एवम जीवन में इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया। साथ ही दैनिक ओ पी डी में आये रोगियों को विभिन्न बिंदुओं जैसे रसायन का महत्व, ऋतुचार्या का महत्व ,औषधि प्रदर्शनी, मानस चिकित्सा, वृद्धजनों हेतु आयुर्वेद , त्रिउप सतम्भ का महत्व, जीवन मे योग का महत्व , प्रकृति परीक्षण विषयों पर हर दिन आयुर्वेद, हर घर आयुर्वेद विषय पर आये हुए रोगियों को आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांतों का मानव जीवन में महत्व एवम उनकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया। इस पूरे आयोजन मे चिकित्सालय टीम का सक्रिय योगदान रहा।
कोविड के बाद बढ़ा आयुर्वेद का महत्व
जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ मीरा भगत ने बताया : "पिछले कुछ सालों में विशेषकर कोरोनाकाल में सिर्फ देश की युवा पीढ़ी में ही नही बल्कि विदेशों में भी आयुर्वेद को लेकर उत्सुकता बढ़ी है। कोरोना काल में संक्रमण से बचाव के लिए शरीर को मूल रूप से स्वस्थ बनाने तथा उसकी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेद औषधियों को काफी सफल माना गया था। यहां तक की इस दौर में सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों तथा दवाइयों का इस्तेमाल काफी बढ़ गया था। जिसका नतीजा है कि वर्तमान समय में बड़ी संख्या में लोगों ने आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्दति तथा इसके नियमों को अपने जीवन में शामिल किया है।
शरीर को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ बनाने का प्रयास
आयुर्वेद अधिकारी डॉक्टर नीरज मिश्रा कहते हैं: "आयुर्वेदिक चिकित्सा ग्रंथों के अनुसार यह एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो जीवन को जीने का सही तरीका सिखाती है, जिससे जीवन लंबा, स्वस्थ और खुशहाल रह सके। इस चिकित्सा पद्धति में सिर्फ बीमारी का तात्कालिक इलाज नहीं किया जाता है बल्कि शरीर को प्राकृतिक रूप से स्वस्थ बनाने तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने का भी प्रयास किया जाता है। इसलिए इस चिकित्सा पद्धति में रसायन(दवाइयों ) तथा विभिन्न थेरेपियों के साथ ही आहार, योग तथा जीवनशैली को भी चिकित्सा प्रक्रिया में शामिल किया जाता है।