छत्तीसगढ़

हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो क़त्ल...

Nilmani Pal
28 Jan 2022 5:43 AM GMT
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो क़त्ल...
x

ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

आतंकी हमले, नक्सली हमले के बाद या बलात्कार या मर्डर के बाद समर्थक और विरोधी दोनों प्रधानमंत्री से 56 इंची सीना और आतंकियों के एक के बदले दस सिर लाने वाले या समाज द्रोहियों को सख्त सजा देने वाले बयान पर सवाल करते हैं और शांत हो जाते हैं। इस पर सख्त कानून के लिए आंदोलन नहीं करते बल्कि लोग एक दूसरे को एक जलती हुई मोमबत्ती की तस्वीर भेजकर कहते हैं कि इसे तीन लोगों को भेजिये और उनसे कहिये कि इसे अपनी डीपी बना लें।

इससे क्या हम आतंकी या नक्सली हमले में शहीद हुए जवानों को या बलात्कार के बाद मर्डर हुओं को श्रद्धाजंलि दे पायेंगे? कमाल की बात है अब श्रद्धा भी डीपी के माध्यम से जाहिर होगी। जो आज का युवा पीढ़ी कर रहा है। हमने डीपी में जलती मोमबत्ती लगाकर बता दिया कि दुख है। कुछ लोग सडक़ पर मोमबत्ती लेकर निकल पड़ते हैं और बताते हैं कि हमें आपसे ज्यादा दुख है। अब सवाल ये उठता है कि क्या मोमबत्ती भर जलाने से इस प्रकार की घटनाओ में कमी आ जाती है। क्या इसके लिए सख्त कानून बनाने की जरुरत नहीं है। जब सांसदों के वेतन भत्ते बढ़ाने की बात आती है तो उस समय पक्ष-विपक्ष का पता ही नहीं चलता चंद मिनट में बिल पास हो जाता है उसी प्रकार समाज द्रोहियों के खिलाफ भी सख्त कानून बनाने में सभी पार्टी के नेता एक क्यों नहीं होते, यह सोचनीय विषय है। इसी बात पर एक शायर ने ठीक ही कहा है कि हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती। राजधानी दिल्ली में दामिनी के वक्त का दर्द याद है। कई लोगों ने मोमबत्ती जलायी। जरा सोचिये उसके बाद क्या बदला? क्या अपराध कम हुआ? बलात्कार कम हुए? देश में बलात्कार के मामले कम हुए अगर आकड़े ना देख पायें तो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की एक दूसरी घटना को ही देख लीजिए जहां एक युवती की हत्या चाकू से 24 वार करके कर दी गयी थी।

कई लोग आसपास खड़े होकर देखते रहे। हत्या के बाद जब युवती का शव घर पहुंचा, तो वही भीड़ नाराज हो गयी और नारे लगाने लगी। अरे भई नारे लगाने से क्या होगा मरने वाले की जान वापस थोड़ी आएगी। नारे तो उसी वक्त लगाना चाहिए था जब उस पर हमला हो रहा था कम से कम हमलावर भीड़ का गुस्सा देखकर भाग तो जाता और उस बच्ची की जान बच जाती। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2020 में पूरे देश में प्रतिदिन बलात्कार के 77 मामले दर्ज किये गए। इसमें सबसे अधिक मामले राजस्थान और उत्तरप्रदेश में दर्ज हुए। हमारी संवेदना और श्रद्धाजंलि क्या सिर्फ मोमबत्ती के जलने तक रहती है।

अमर जवान ज्योति पर राजनीति

दिल्ली में बैठे पक्ष और विपक्ष के नेता को नया मुद्दा मिल गया है। वे अपने लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए अमर जवान ज्योति स्थल पर जगह बनाने के लिए वहां स्थापित ज्योति को राजनीतिक दृष्टि से देख रहे है। जिससे उनका वोट बैंक बढ़ सके। राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट पर पिछले पचास साल से जल रही अमर जवान ज्योति को पिछले शुक्रवार को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ में विलय कर दिया गया। 1971 में भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में इस अमर ज्योति को जलाया जा रहा था। अब इसी पर राजनीति शुरू हो गई है। यहां देखा ये गया है कि नेता हर विषय में राजनीति कर लेते हैं। जनता में खुसुर-फुसर है कि जिस तरह ज्योति का विलय हो रहा है उसी तरह राजनीतिक पार्टी का भी विलय हो और दो पार्टी देश में रहे एक पक्ष में और दूसरा विपक्ष में, जैसा की अमेरिका और इंग्लैंंड में चलता है।

पत्रकारिता कम नेतागिरी ज्यादा

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व आर्थिक मंच दावोस एजेंडा को सम्बोधित करते वक्त अचानक रूक जाने का वीडियो वायरल हुआ था सारे टीवी चैनलों के अलावा सोशल मीडिया पर भी यह वीडियो दिखाई दिया। कारण जो भी हो वह मुद्दा नहीं है, बल्कि टीवी चैनल के पत्रकार इस विषय पर हो रहे डिबेट पर जिस प्रकार से सरकार के पक्ष में बोल रहे थे मानो ऐसा लग रहा था जैसे वे पत्रकार नहीं बल्कि सरकार के पीआरओ हैं। देखा ये जा रहा है कि पत्रकारिता अब पत्रकारिता नहीं होकर चादुकारिता के रूप में परिवर्तित हो गया है जो सिर्फ सरकारी गुणगान करो और मस्त रहो वाले एक सूत्रीय मिशन पर चल पड़ा है। देखा जाये तो कई बड़े नेता जो पहले पत्रकार थे अपनी पत्रकारिता के दम पर नेता बन गए थे और अभी हैं भी नेता और पत्रकार बने हुए है। नंबर बढ़ाने और अपने आकाओं को खुश करने के लिए कभी-कभी बेतुकी बात पर को भी भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते है। यह बात सही है कि पत्रकार एक बात सही बोला नहीं कि बीसीयों लोग नोचने तैयार हो जाते हैं, लेकिन हर किसी के साथ ऐसा नहीं है, जिसने पत्रकारिता को पेशा बनाया उसके साथ ही ऐसा होता है जिसने सेवाभाव समझा उसे बदनाम नहीं किया जा सकता। इसी बात पर एक शायर प्रदीप चहल ने ठीक ही कहा है कि-एक शख्स की नीलामी पर इतना हंगामा क्यूं बरपा है, बिकाऊ कहानी का जब हर किरदार ही बिकाऊ है।

पाक पर वही कहा जो बिपिन रावत ने कहा था

राजनीति में एक बयान के अपने फायदे के लिए अर्थ निकाले जाते है। ताजा मामला बीजेपी व्दारा पाकिस्तान को लेकर दिए उनके बयान पर अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा पाकिस्तान की बात कर रहे है,मेरे बयान को सुनिए मैंने पाकिस्तान पर वही कहा जो पूर्व चीफ ऑफ स्टॉप बिपिन रावत ने कहा था कि चीन हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है।

जनता में खुसुर-फुसुर है कि राजनेता राजनीतिक फायदे और नुकसान के लेकर बयान का पोस्टमार्टम करने में माहिर होते है। चुनाव आते ही ये नेता आपा को बैठते है और जैसे ही सत्ता में आते है, गलबहियां करने लगते है। राजनीति में यह कहा जाता है कि कोई परमानेंट दुश्मन नहीं होता, चुनावी समीकरण के हिसाब से दोस्त और दुश्मन बनाए जाते हैं। किसी ने ठीक ही कहा है कि हम करें तो खता तुम करो तो अदा।

अरमिंदर को आया ख्वाब

राजनेता सत्ता से बाहर होते ही कई तरह के झटकों को झेलते रहने के कारण उनका याददास्त दुरुस्त नहीं रह पाता, ऐसा लगता है। हाल ही में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अरमिंदर सिह ने कहा कि जब मैं सत्ता में था तो पकिस्तान पीएम और उनके करीबियों ने सिद्धू को मंत्री बनाने जमकर लाबिंग की थी। करीबियों के बारे ये नहीं बताया गया है कि वे यहां के थे या वहां के । इसके बारे में भी खुलासा कर देते तो अच्छा रहता।

बहरहाल जनता में खुसुर-फुसुर है कि अरमिंदर जी सत्ता में रहने के दौरान इस बात खुलासा करते तो सभी इसे सच मानते, लेकिन दुर्भाग्य से सत्ता के बाहर होने के बाद इस प्रकार का बयान पर लोगों का सोच यही है कि खिसयानी बिल्ली खम्भा नोचे। अमरिंदर जी ख्वाब से बाहर आकर चुनाव में मुकाबला करें। सिद्धू और चन्नी के खेल पर नजर रखें।

कका ने सरपंच पोसेराम का नाम कर दिया अमर

सीएम भूपेश बघेल दो दिवसीय बस्तर दौरे पर रहे इस दौरान छिंदनार में नवनिर्मित पुल के लोकार्पण कर पुल का नाम पूर्व सरपंच पोसेराम करने की घोषणा कर पोसे राम का नाम अमर कर दिया है। इस दौरान सीएम ने सडक़, आंगनबाड़ी, वनोपज के साथ अनेक जनहितकारी योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कर बस्तर प्रदेश का सबसे समृद्ध और तेजी से विकास करने वाले जिलों की श्रेणी में ला दिया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कका हो तो भूपेश कका जैसा जिसने एक पूर्व सरपंच के नाम पर छिंदनार पुल घोषणा कर बस्तर के इतिहास में नया कीर्तिमान रच दिया है।

गोधन न्याय योजना ने जीता देश की दिल,मंत्री स्मृति ने की सराहना

छत्तीसगढ़ की झांकी जैसे ही राजपथ पर पहुंची। इसे देखकर सभी हैरान थे। गाय और गोबर से हो रहे ग्रामीण विकास की छटा इस झांकी में शामिल थी। सलामी मंच पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद थे। मंच के करीब ही बैठीं केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने जैसे ही छत्तीसगढ़ की झांकी को देखा उन्होंने अपनी जगह से खड़े होकर तालियां बजाते हुए झांकी का स्वागत किया। कृषि प्रधान राज्य की इस साल की झांकी गोधन न्याय योजना से संबंधित रही। छत्तीसगढ़ की झांकी को रक्षा मंत्रालय की उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति के मुश्किल सलेक्शन प्रोसीजर से होकर गुजरना था, इसके बाद ही परेड में छत्तीसगढ़ की झांकी को शामिल किया गया। जनता में खुसुर-फुसर है कि यहीं सीएम भूपेश बघेल की उपलब्धि जिसकी सराहना करने में पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय मंत्रियों सहित देश के तमाम राज्यों के मुख्यमंत्री गुड गवर्नेस की सराहना करते नहीं थकते है। बधाई हो कका जिसने कभी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ नहीं कि वो मंत्री भूपेश सरकार की झांकी की तारीफ में ताली बजाकर सराहना की।

Next Story