गरियाबंद। देवभोग तहसील के सरगीबहली गांव में 60 वर्षीय बुजुर्ग दीवाधार चूरपाल गांव में 10 साल से गांव के बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा देने का अभियान चला रखा है. इस साल प्रायमरी स्कूल में पढ़ने वाले 25 छात्र के अलावा कक्षा 6वीं के तीन छात्र को पढ़ा रहे हैं. बच्चे प्यार से इन्हें ‘अजा’ कहते हैं. ‘अजा’ का क्लास दिन में दो बार सुबह 7 से 9 और शाम को 5 से 6 बजे लगती है. अजा का क्लास नियमित चलता है.
सप्ताह भर पहले सायकल से गिरने के कारण बुजुर्ग दीवाधार का बाया पैर फैक्चर हो गया है, पांव में प्लास्टर लगा हुआ है. बावजूद इसके उनकी कक्षाएं एक दिन के लिए भी नहीं रुकी. बारिश के दिनों में कभी-कभी कक्षाएं बाधित जरूर होती हैं, लेकिन चूरपाल का समर्पण अडिग रहता है.
आज भी गांव के सरकारी स्कूलों ने पढ़ने वाले ज्यादातर छात्रों को अक्षर ज्ञान, पहाड़ा, बारहखंडी जैसे आधार भूत ज्ञान नहीं है. लेकिन सरगीबहली गांव के बच्चे आस पड़ोस के गांव से बेहतर हैं. गांधी जी के विचारों से प्रेरित दीवाधार चूरपाल ने शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाया और आज उनका यह प्रयास न केवल गांव के बच्चों का भविष्य संवार रहा है, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत भी बन गया है.