- कलेक्टर ने सभी अस्पतालों की नर्सिंग होम एक्ट की तहत जाँच का दिया था निर्देश, नतीजा सिफर
- राजधानी अस्पताल अग्रिकाड: निर्धारित मानको के अनुरूप सेटअप की जाँच अभी तक नहीं हुई
- मृतकों को मुआवजा देने के बाद पुलिस ने भी अपनी जांच लीपा पोती कर ठन्डे बस्ते में डाला
- तीसरी लहर आने की चे के बावजूद कोविड सेंटर बंद होना संदेहो को जन्म देता है
- मनुष्य की जीवन की मूल्य पुलिस और अधिकारी तय करेंगे क्या?
- 6 मरीज का जीवन चला गया, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के नजर में पैसा ही सब कुछ है, इंसानी जीवन का मूल्य कुछ नहीं
- स्वास्थ्य विभाग और पुलिस ने अपराधियों को अपराध के अनुरुप सजा ना दे कर न्यायालय का काम खुद कर दिया। खूनी डाक्टरों को कौन बचा रहा
अग्निकांड किन वजहों से हुई थी पता लगाने संबधित विभागों को जिम्मेदारी दी गई थी, फिर भी पुलिस सहित सारे विभाग शांत बैठे
ज़ाकिर घुरसेना
रायपुर। शहर में जब कोरोना चरम पर था उस समय रायपुर के पचपेड़ीनाका स्थित राजधानी हॉस्पिटल में भीषण अग्निकांड हुआ था। इस अग्निकांड से शहर हिल गया था। आननफानन में मृतकों को मुआवजा देने के बाद प्रशासन शांत बैठ गया। पुलिस ने कार्रवाई कर दो डाक्टरों को गिरफ्तार तो कर लिया लेकिन उसके बाद मामला ठन्डे बस्ते में दाल दिया गया। दोनों डॉक्टरों पर गैर इरादतन हत्या के आरोप गिरफ्तार किया गया था। इस हादसे में आग से झुलसकर 6 मरीज़ों की जान चली गई थी। गौरतलब है कि 17 अप्रैल को राजधानी अस्पताल में आग लग गई थी। इस इसकी जांच के लिए कमेटी बनाई गई थी। रायपुर के पचपेढ़ी नाका स्थित राजधानी अस्पताल में आग लगने से छह कोरोना मरीजों की मौत मामले की सुस्त गति से चल रही जांच ने कई सवालों को खड़ा कर दिया है।इस अस्पताल में कोरोना मरीज भर्ती थे। अस्पताल में आग लगते ही अफरा-तफरी मच गई, मरीज पंलग छोड़ कर भागते नजर आए थे। बहुत ही दर्दनाक मंजर था। फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों ने आग पर काबू पा लिया है। अस्पताल में करीब 50 मरीजों का इलाज चल रहा था। मरीजों को बड़ी मशक्कत के बाद उनके परिजनों ने सुरक्षित बाहर निकाला। मरीजों को नजदीकी अस्पतालों में शिफ्ट किया गया है। अस्पताल में आग लगने की घटना से अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। लेकिन इस घटना के बाद जिस तरह से अन्य अस्पतालों की जाँच होनी थी वह नहीं हुई। अग्निकांड के तीन महीने बाद भी इस अस्पताल की या अन्य अस्पतालों की जांच जैसा कलेक्टर रायपुर के आदेश के मुताबिक नहीं होने की खबर मिल रही है, जो निहायत ही प्रशासन की घोर लापरवाही को उजागर करता है। ऐसा लग रहा है कि जनहानि को लेकर प्रशसन गंभीर नहीं है। तभी तो आज तक जाँच रिपोर्ट की जानकारी किसी को नहीं है।
तीसरी लहर की चेतावनी के बावजूद कोविड सेंटर क्यों किया गया बंद?
कोरोना काल में जब अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी हो रही थी तब इंडोर स्टेडियम को कोविड सेंटर बनाया गया था लेकिन अब तीसरी लहर की गंभीर चेतावनी के बावजूद कोविड का बंद होना संदेहो को जन्म दे रहा है। जनता की गाढ़ी कमाई के लाखो रूपये खर्च कर इंडोर स्टेडियम को आलीशान सर्वसुविधायुक्त कोविड सेंटर के रूप में बनाया गया लेकिन अब तीसरी लहर आने के पहले ही स्टेडियम से सारे सामान हटा दिया गया है। जब तीसरी लहर आएगी तब फिर से सेटअप तैयार किया जायेगा जिसमे फिर से लाखो रूपये खर्चा किया जायेगा। इंडोर स्टेडियम में ऑक्सीजन प्लांट भी तैयार किया जा चुका है, अधिकारियो की मिलीभगत से तीसरी लहर आने पर फिर आपदा में अवसर तलाशा जायेगा और लाखों रूपये का बंदरबाट किया जायेगा। नाम न छपने के शर्त पर एक कर्मी ने बताया कि अगर इसी सेटअप को कुछ दिन और रहने देते तो शायद शासन के लाखों रूपये फिजूलखर्च होने से बच जाता। अगर तीसरी लहर आयी तो फिर से नया सेटअप तैयार करने में पिछले बार की तुलना में ज्यादा खर्च होने का अंदेशा है। जिसकी जानकारी अधिकारियो को नहीं है लेकिन कमीशन और अपने फायदे के लिए इस बात को जानबूझकर नजऱअंदाज़ किया गया। जो नि:संदेह इनकी लापरवाही को उजागर करता है। प्रशासन को इसे संज्ञान में लेकर उस अधिकारी की भूमिका की जानकारी करना चाहिए जिसके इशारे पर ऐसा किया गया। ऐसे लापरवाह और जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले अधिकारी के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। इस संबंध में नगर निगम और स्मार्ट सिटी के अधिकारी जिनके कंधे पर इसका बोझ है, अपना पल्ला झाड़ते हुए गोलमोल जवाब दे रहे हैं।