- निकाय चुनाव: नाम वापसी के बाद चुनावी सरगर्मी बढ़ी
- नाम वापसी के बाद कांग्रेस को मिली पहली सफलता, निर्विरोध चुने गए कांग्रेसी पार्षद
- जकांछ के विधायक प्रतिनिधि सहित सरपंच और पंचों की घर वापसी
- दिग्गज नेता चुनावी समर में कूदे, कांग्रेस में उत्साह और भाजपा में मायूसी
राजनीतिक संवाददाता
रायपुर। नगर पालिक निगम और नगर पालिका चुनाव में नामांकन वापसी के बाद दुर्ग से वार्ड 7 के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की निर्विरोध जीत के साथ सोमवार को खैरागढ़ में 5 सौ से अधिक कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कामकाज से प्रभावित होकर कांग्रेस में प्रवेश कर घर वापसी का नाम दिया है। इसके पूर्व भी खैरागढ़ विधायक देवव्रत सिंह ने कांग्रेस के साथ होने का ऐेलान कर दिया था, अब उनके निधन के बाद उनके समर्थकों ने कांग्रेस में प्रवेश करते हुए कहा कि जनता कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्रदेश में जोगी कांग्रेस का कोई अस्तित्व नहीं है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि नगरीय निकाय चुनाव के ठीक पहले इस तरह की राजनीतिक घटनाक्रम कांग्रेस के पक्षधर हो रहा है। वहीं कल 6 दिसंबर को नाम वापसी का अंतिम दिन था, दोनों प्रमुख पार्टी ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। निकाय चुनाव के लिए मतदान 20 दिसंबर को होना है और रिजल्ट दो दिन बाद आएगा। नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा में जायदा सिर फुटौव्वल की स्थिति बनी हुई है। जनता से रिश्ता पिछले कई दिनों से चुनाव का विश्लेषण प्रकाशित कर रहा है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के 10 जिलों के 15 नगरीय निकायों में हो रहे चुनाव के लिए बीजेपी-कांग्रेस ने तैयारियां तेज कर दी हैं। कांग्रेस ने विरोधियों को पटखनी देने प्रदेश स्तर के नेताओं को मैदान में उतार दिया है। तो बीजेपी ने भी अपने दिग्गज नेताओं को सामने खड़ा कर दिया है। निकाय चुनाव को दोनों ही पार्टियों ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। कांग्रेस जहां अपने पिछले बार के रिजल्ट को दोहराने के लिए कमर कसी हुई है, तो वहीं बीजेपी इसे रोकने की रणनीति में जुट गई है। दोनों ही पार्टियों ने नगरीय सत्ता को हथियाने चुनाव के समर में कूद पड़े हैं। बड़े नगर निगम रायपुर के बीरगांव, दुर्ग जिले के भिलाई, भिलाई-चरोदा और रिसाली निगम के आलावा नगर पालिका और नगर पंचायतों में चुनाव हो रहा है। जनता भूपेश सरकार की जनहित और कल्याणकारी योजनाओं को जनता खूब सराह रही है। इसी के बलबूते कांग्रेस अपनी नैया पार लगाना चाहती है। प्रदेश की जनता विकास कार्य को आधार मानकर ही अपना समर्थन प्रत्याशियों को देगी। चूँकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है ऐसी स्थिति में मतदाता कांग्रेस की ओर ही जाने को फोकस किया है।
कांग्रेस ने निकाय चुनाव के लिए किया समितियों का गठन
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने निकाय चुनाव के लिए विभिन्न समितियों का गठन कर जिम्मेदारी बांटी है, जिसमें कैबिनेट मंत्रियों को प्रचार-प्रसार की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। पीसीसी चीफ ने कांग्रेस चुनाव प्रचार प्रसार समिति की घोषणा की है, जिसमें नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया को अध्यक्ष बनाया गया है।
गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, कृषि रविन्द्र चौबे, वन मंत्री मोहम्मद अकबर, शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, आबकारी मंत्री कवासी लखमा, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार, महिला और बाल विकास मंत्री अनिला भेडिय़ा और उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल को रखा गया है साथ ही कांग्रेस के लोकसभा सांसद दीपक बैज, कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत,राज्यसभा सांसद फूलोदेवी नेताम भी इस समिति में शामिल हैं।
कांग्रेस के दिग्गजों की मिली जिम्मेदारी
कांग्रेस ने चुनाव समिति भी घोषित कर दी है। इसमें कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी सहित अन्य बड़े नेताओं और मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई है।
बीजेपी ने भी किया कोर कमेटी का गठन
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्य कोर कमेटी का गठन किया है। कोर ग्रुप में वित्त समिति, प्रदेश चुनाव समिति, अनुशासन समिति का नए सिरे से गठन किया गया है. कोर ग्रुप में प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय, केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह, रामविचार नेताम, विक्रम उसेंडी, अरुण साव, पुन्नूलाल मोहिले, बृजमोहन अग्रवाल, पवन साय, गौरीशंकर अग्रवाल, केदार कश्यप शामिल किए गए हैं।
प्रदेश की जनता भूपेश सरकार के विकास कार्यो को देखकर उन्हीं के साथ जाने का मन बना लिए हैं। जिस प्रकार से जनता से रिश्ता के प्रतिनिधि को मतदाताओं की नब्ज टटोलने पर पता चला कि जनता विकास पर ही ध्यान दे रही है। दूसरी ओर भाजपा में टिकट वितरण को लेकर भी घमासान हो रहा है। और तो और उसके अधिकृत प्रत्याशी ने तो बी फार्म मिलने के बाद टिकट लौटा दिया है। भाजपा को गुटबाजी का सामना ज्यादा करना पड़ रहा है। भाजपा नेताओ के लिए यह करारा झटका है कल तक जो यह कहते थे कि सब कुछ ठीक चल रहा है अब वे मुँह छुपाते फिर रहे हैं। दरअसल भिलाई नगर निगम वार्ड क्रमांक 19 के अधिकृत प्रत्याशी ने पूर्व पार्षद के समर्थन में अपना नाम वापस ले लिया है। यह भाजपा के लिए करारा झटका है।
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में आस्था जताया
खैरागढ़ में जकांछ के विधायक प्रतिनिधियों और समाज प्रमुखों सहित अनेक सरपंच और पंचों नेे कांग्रेस का दामन थामते हुए मुख्यमत्री के नेतृत्व में आस्था जताया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपस्थिति में कांग्रेस प्रवेश के दौरान कार्यकर्ताओं ने कहा कि अब दिवंगत विधायक देवव्रत सिंह की इच्छा पूरी हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहाकि स्व. देवव्रत सिंह भी घर वापसी चाहते थे, सबको मिलकर कांग्रेस को मजबूत करने के लिए काम करना है।
बृजमोहन को नहीं मिल रहा भाजपा नेताओं का साथ
भाजपा के चुनावी रणनीतिकार और चुनावी शतरंज के चाणक्य कहे जाने वाले विधायक बृजमोहन अग्रवाल को भिलाई-चरौदा का प्रभारी बनाया गया है, वे अकेले ही बिखरे भाजपा को एकजुट करने में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है। उनको स्थानीय नेताओं का प्रत्यक्ष समर्थन और सहयोग नहीं मिल पा रहा है। कांग्रेस के तीन साल और केंद्र में भाजपा सरकार के सात सालों की उपलब्धियों मुद्दा बनाया है। जिसे जनता तक पहुंचाना है,प्रचार-प्रसार के लिए भिलाई-चरौदा में कार्यकर्ताओं के साथ वरिष्ठ भाजपा नेताओं का सीधे तौर पर चुनाव में भागीदारीवाला सहयोग का अभाव देखा जा रहा है।