रायपुर: एक बात हमेशा याद रखें कि महापुरुषों का जीवन केवल सुनने के लिए नहीं होता है, उनका जीवन चरित्र हमारे जीवन में चरित्र निर्माण के लिए होता है। जब हम कल्पसूत्र में प्रवेश कर रहे हैं तो हमें ज्ञात होगा कि किस तरह भगवान श्रीमहावीर ने कान में कीले ठुकवा लिए उस प्रसंग को याद कर हमें यह संकल्प करना होगा कि जैसे मेरे भगवान ने कान में कीले ठुकवाए मैं कम से कम किसी के कड़वे शब्द तो जरूर सुन लुंगा। चण्डकौशिक नामक जहरीले सर्प ने उनके अंगूठे पर डंक मारा, यदि भगवान जहरीले सर्प से अपने-आपको डसवा सकते हैं तो छोटे-मोटे मच्छर आदि कीड़े-मकोड़े से मैं अपने-आपको नहीं प्रभावित करुंगा। जब-जब चंदनबाला का चरित्र सुनें तो मन को इस बात के लिए जरूर तैयार कीजिएगा कि चंदनबाला ने जीवन में आने वाली इतनी तकलीफों को सहन किया तब भी जीवन में कभी-भी उफ नहीं किया। छोटी-मोटी तकलीफें मेरे जीवन में भी आएंगी तो मैं अपने चित्त को प्रभावित नहीं करुंगा। महापुरुषों का जीवन चरित्र हम अपने चरित्र का निर्माण करने के लिए सुनते हैं। ताकि हम भी वैसा ही निर्मल और पवित्र जीवन जी सकें। प्रभु महावीर के जीवन से हम समता, क्षमा, करुणा, प्रेम व करुणा को धारण करें।''