अधोसंरचना विकास की अनदेखी से बिजली की आंख-मिचौली, साय सरकार दिलाएगी राहत
रायपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के जरूरतमंद गरीब, ग्रामीण परिवारों को 18 लाख मकानों से वंचित करने की पूर्व राज्य सरकार की मंशा तो उजागर हो गई लेकिन मोदी सरकार की अन्य कई योजनाएं भी पूर्व सरकार की हठधर्मिता के कारण पूरी नहीं हो पाई ,जिसका खामियाजा आज प्रदेश के कम से कम एक दर्जन से अधिक जिलों के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है और बिजली की आँख-मिचौली की समस्या से जूझना पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ में कृषि पंपों की संख्या लगभग 6 लाख है। जिनकी सघनता मुख्यतः महासमुंद, धमतरी, बालोद, बेमेतरा, कवर्धा, राजनांदगांव, मुंगेली, कोरबा, सारंगढ़, रायगढ़, रायपुर, कांकेर, कोंडागाँव, खैरागढ़ आदि जिलों में है। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश के कुल 6 लाख पंपों में से लगभग 70 प्रतिशत पंप इन्हीं जिलों में है जहाँ लो-वोल्टेज की समस्या उत्पन्न हो रही है। रबी मौसम अर्थात ग्रीष्मकालीन खेती के समय विद्युत प्रणाली पर लोड अचानक बढ़कर लगभग डेढ़ गुना हो जाता है। उदाहरण के लिए 4500 मेगावॉट के सामान्य लोड की तुलना में ग्रीष्मकाल में लोड बढ़कर 6300 मेगावॉट हो गया है। इस स्थिति से बचने के लिए कृषि पंपों में, संबंधित उपकेंद्रों में कैपेसिटर स्थापित करने से रिएक्टिव लोड को नियंत्रित किया जा सकता है इसके अलावा 5 साल पहले राज्य-स्तर पर फीडर सेपरेशन की योजना भी शुरू की गई थी। विगत सरकार ने इन उपायों पर ध्यान नहीं दिया तथा नरवा-गरवा जैसी योजनाओं को प्राथमिकता दी जिसके कारण मुख्य तकनीकी उपायों की प्राथमिकता ही समाप्त हो गई और विगत 5 वर्षों में टेक्निकल अपग्रेडेशन का नगण्य कार्य किया गया। इस तरह विद्युत प्रदाय की बुनियादी अधोसंरचना विस्तार का कार्य भी प्रभावित हुआ।
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार गाँवों की शिकायतें सामने आने पर उच्चाधिकारियों द्वारा छानबीन की गई कि आखिर किन कारणों से अचानक ऐसी विपरीत खबरें आ रही हैं। जाँच पड़ताल में पता चला कि विगत सरकार द्वारा कृषि पंप फीडर सेपरेशन, कैपेसिटर की स्थापना, कमजोर विद्युत लाइनों में सुधार जैसे कार्यों को प्राथमिकता नहीं देने के कारण यह समस्या निर्मित हुई है। वहीं अब नई प्राथमिकता सूची बनाई जा रही है जिसके आधार पर आचार संहिता समाप्त होने के पश्चात नये सिरे से लंबित कार्यों को गति प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि जहाँ कहीं भी गंभीर समस्या दिखाई पड़ रही है वहाँ आपात स्थिति से बचकर कार्य किया जाए और ग्रामीण अंचल के लोगों को राहत दिलाई जाए। किसी भी स्थिति में प्रदेश में किसी भी स्थान पर अप्रिय स्थिति नहीं बननी चाहिए और न ही कानून-व्यवस्था में व्यवधान होना चाहिए। आचार संहिता समाप्त होते ही योजनाबद्ध कार्यों को गति प्रदान की जाए ताकि ग्रामीण अंचलों में लो-वोल्टेज तथा बिजली की आँख-मिचौली जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सके। नई सरकार के आने के बाद दो विधानसभा सत्र, नया बजट, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता जैसे कारणों से अभी नई सरकार को बुनियादी तौर पर बड़े कार्य करने का अवसर नहीं मिल पाया है और तात्कालिक सुधार तथा आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए काम चलाना पड़ा है इसलिए बड़े कार्यों के लिए आचार संहिता समाप्त होने की प्रतीक्षा बेसब्री के साथ की जा रही है।