छत्तीसगढ़

13 निकायों में चुनाव: भाजपा ने शुरू की कसरत

Admin2
2 Jun 2021 5:16 AM GMT
13 निकायों में चुनाव: भाजपा ने शुरू की कसरत
x

कांग्रेस में फिलहाल खामोशी, सरकार की परीक्षा

दोनों दलों के लिए औकात आंकने वाली परिस्थिति...

चुनाव संचालक को लेकर भाजपा में आनाकानी, बृजमोहन-मूणत एक दूसरे को जिम्मेदारी देने की बात कह रहे

तेरह निकायों में चुनाव दोनों दलों के लिए अग्नि परीक्षा की तरह

विधानसभा और निकाय व पंचायत चुनावों में मिली शिकस्त के बाद भाजपा की जमीनी हकीकत का पता चलेगा

कांग्रेस सरकार की ढाई साल का कार्यकाल कसौटी पर, नतीजे बताएंगे सरकार पास या फेल

अतुल्य चौबे

रायपुर। राज्य के 13 नगरीय निकायों में जल्द ही चुनाव का ऐलान होने वाला है। भारतीय जनता पार्टी ने इसके लिए प्रभारियों की नियुक्ति कर अपनी तैयारी शुरू कर दी है। वहीं दूसरी ओर सत्ताधारी दल में इन चुनावों को लेकर फिलहाल कोई हलचल दिखाई नहीं दे रही है। इन निकायों में भाजपा के सत्ता से बाहर होने और कांग्रेस के सत्ता में काबिज होने के लगभग ढाई महीने बाद चुनाव होने जा रहे हैं। इसे देखते हुए ये चुनाव दोनों ही दलों के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि सत्ता परिवर्तन के बाद इन निकायों में स्थानीय सत्ता किस करवट बैठती है। हालाकि राज्य में हुए नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में अधिकांश में कांग्रेस ने बाजी मारी थी और भाजपा को सत्ता से वंचित होने का परिणाम इन चुनावों में झेलना पड़ा था। लेकिन वर्तमान में परिस्थितियां बदली हुई हैं। कांग्रेस सरकार अपना ढाई साल का कार्यकाल पूरा करने वाली है। अब ये तेरह निकायों के चुनाव तय करेंगे कि कांग्रेस सरकार के ढाई साल के कार्यकाल से जनता खुश है या नहीं, तो दूसरी ओर विधानसभा और निकाय व पंचायत चुनावों में मिली शिकस्त के बाद भाजपा ने अपने पांव कितने मजबूत किए यह भी पता चलेगा।

भाजपा ने प्रभारियों की नियुक्ति की

भाजपा ने प्रभारियों की नियुक्ति कर इन चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने दिग्गज नेताओं को नगर निगम चुनाव की कमान सौंपी है। राजधानी के बिरगांव नगर निगम के लिए प्रदेश उपाध्यक्ष खूबचंद पारख, प्रदेश महामंत्री नारायण चंदेल, भिलाई की प्रदेश महामंत्री भूपेंद्र सवन्नी, संतोष बाफना, रिसाली की प्रदेश महामंत्री किरण देव, पुरंदर मिश्रा और भिलाई चरौदा की प्रदेश उपाध्यक्ष शिवरतन शर्मा और अशोक बजाज को जिम्मेदारी सौंपी गई है। विष्णुदेव साय ने प्रदेश संगठन के तीनों महामंत्री को एक-एक नगर निगम की जिम्मेदारी दी है। बिरगांव में भाजपा की महापौर है, जबकि भिलाई नगर निगम पर कांग्रेस का कब्जा है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद नगर निगम में महापौर के सीधे चुनाव को समाप्त करके पार्षदों की वोटिंग को आधार बनाया गया है। वर्तमान में दस नगर निगम में कांग्रेस के महापौर का कब्जा है। भाजपा के आला नेताओं की मानें तो पिछले नगरीय निकाय चुनाव में सरकार के एक साल पूरे हुए थे। इसके बावजूद निकायों में भाजपा के पार्षद जीतकर आए थे। हालांकि संख्या बल में ज्यादा होने के बावजूद भाजपा एक भी नगर निगम में महापौर बनवाने में सफल नहीं हो पाई। इस चुनाव में पार्टी की कोशिश है कि जहां भाजपा के महापौर हैं, उनको बचा लिया जाए। बिरगांव नगर निगम और भिलाई नगर निगम पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। पिछले चुनाव में बिरगांव का जिम्मा पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को सौंपा गया था, लेकिन इस बार उनको एक भी निकाय के लिए प्रभारी नहीं बनाया गया है। वहीं, भिलाई में पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय को भी कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है। इस चुनाव में पूरी तरह से संगठन के नेताओं को प्रभारी बनाकर चुनाव के संचालन की तैयारी की गई है।

चुनाव संचालक को लेकर असमंजस

भाजपा ने जिन निकायों में चुनाव होने हैं वहां प्रभारियों की नियुक्ति कर भले ही तैयारियां शुरू कर दी है लेकिन चुनाव संचालन की जिम्मेदारी को लेकर अभी भी पार्टी असमंजस में है। पार्टी के दो दिग्गज नेताओं के बीच रस्साकसी की खबरें प्राय: सामने आती रहती हैं। अंदर खाने से जो खबर आ रही है उसके अनुसार इस बार बृजमोहन ने चुनाव संचालन की जिम्मेदारी लेने से इंकार करते हुए राजेश मूणत को जिम्मेदारी दिए जाने पर जोर दिया है वहीं राजेश मूणत बृजमोहन को ही जिम्मेदारी सौंपने की बात कहते हुए उनके नेतृत्व में काम करने की बात कह रहे हैं।

कांग्रेस में फिलहाल सन्नाटा

तेरह निकायों के आसन्न चुनाव को लेकर फिलहाल कांग्रेस में किसी तरह की कोई सुगबुगाहट नजर नहीं आ रही हैं। पार्टी की ओर से न तो इस संबंध में कोई बयान आया है और न ही तैयारियों को लेकर कोई बैठक और नियुक्तियां ही हुई हैं। सत्ता परिवर्तन के एक साल बाद हुए स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों में कांग्रेस को सरकार में होने का अपेक्षानुरूप तात्कालिक लाभ मिला था। प्रदेश के दस नगर निगमों सहित बड़ी संख्या में नगर पालिका, नगर पंचायत व ग्राम पंचायतों में कांग्रेस समर्थित प्रतिनिधि चुुन कर आए। लेकिन अब होने वाले तेरह निकायों के चुनाव के लिए परिस्थितियां बदली हुई हैं। कांग्रेस सरकार लगभग ढाई साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी है, ऐसे में सरकार के कामकाज का असर इन चुनावों पर दिखाई देगा। स्थानीय निकायों में हुए कामकाज के साथ ही जनता सरकार के कामकाज का भी आंकलन कर अपना मत देगी। एक तरह से इन निकायों के परिणाम ये बताने के लिए काफी होंगे कि सरकार के कामकाज से जनता संतुष्ट है अथवा नहीं। अगर परिणाम पक्ष में आए तो सरकार यह सोचकर संतुष्ट हो सकेगी कि जनता उसके कामकाज से खुश है और अगर पक्ष में परिणाम नहीं आए तो बचे हुए ढाई साल के कार्यकाल में सरकार को लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए नई कार्ययोजना बनाकर उसे क्रियान्वित करने होंगे।

Next Story