भाजपा ने भी झोंकी ताकत, रेणु जोगी की न्याय यात्रा आकर्षण का केंद्र
मतदाता खामोश, लेकिन सरकार के कामकाज से खुश
मरवाही से लौटकर जाकिर घुरसेना की रिपोर्ट
मरवाही में हो रहे उपचुनाव में दिग्गज नेता अजीत जोगी की कमी महसूस हो रही है। चुनाव का मतलब ही पिछले 20 सालों से जोगी रहा है। मरवाही की जनता के दिल में जो सम्मान जोगी के लिए था वह अब चुनावी लहर में कही खोया हुआ नजर आ रहा है। न तो जोगी है और न ही जोगी की पार्टी है। ऐसे में चुनाव का रूख मरवाही के मसीहा यानी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर मतदाता टकटकी लगाए बैठी है। बिना मांगे गौरेला-पेंड्रा-मरवाही को जिला बनाकर जो ऐतिहासिक सौगात दी ही उससे मरवाही की जनता फूले नहीं समा रही है। बात-बात पर भूपेश के जयकारे लगने लगता है। पेंड्रा की आदिवासी बहुल जनजाति जिन्होंने अपने जीवन काल में जो विकास की उम्मीद अपने मेहनत से करने और सड़क, जल, खेती किसानी पर निर्भर थी अब वहां जिला कार्यालय के साथ स्कूल, कालेज भी खुलने की घोषणा के साथ उन्हें बच्चों का भविष्य का उजाला पक्ष अभी से नजर आने लगा है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री के मरवाही चुनाव प्रचार में अब तक नहीं जाने के बाद भी पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम और मंत्री सांसद-विधायकों के साथ स्थनीय नेता गण मुख्यमंत्री की सौगात को जन-जन तक पहुंचाने के साथ विकास की गारंटी दे रहे है। वहीं जोगी परिवार की मुखिया डा. रेणु जोगी न्याय यात्रा निकाल कर अपने परिवार का मरवाही के प्रति समर्पण के नाम पर न्याय मांग रही है। चूंकि डा. रेणु जोगी कोटा विधानसबा की विधायक है, उनका मरवाही में खास दखल नहीं है। न ही 20 सालों में जोगी परिवार व्दारा मरवाही में कोई उल्लेखनीय कार्य किया गया जिसके चलते उन्हें न्याय यात्रा निकलना पड़ा। लोग समझ रहे है कि इस न्याय यात्रा से अदिवासी अगर पलटते है तो कांग्रेस को नुकसान हो सकता है, लेकिन मरवाही विधान सभा के मतदाता और जानकारों का कहना है कि इसकी संभावना शून्य है। मरवाही की जनता का नब्ज टटोलने पर जनता ने बताया कि न्याय यात्रा का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि वर्षों मरवाही सीट जोगी परिवार के पास होने के बावजूद विकास एक धेले का नहीं हुआ । इसी बात पर कांग्रेस बाजी मारते दिख रही है। बूपेश बघेल ने गौरेला-पेंड्रा-मरवाही को जिला बनाकर और विकास कार्योँ की सौगात देकर मरवाही में कांग्रेस की जड़ मजबूत कर दी है। मरवाही की जनता ने अजीत जोगी और उनके परिवार का विकल्प ढूंढ लिया है और वे है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल। अब मरवाही के नए खेवनहार के रूप में यहां की जनता ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चुन लिया है। चुनाव तो मात्र औपचारिकता है, अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ही छत्तीसगढ़ में विकास की गंगा बहाएंगे, तो मरवाही भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ जाएगी, यह बात वहां के मतदाताओं को समझ में आ गया है।
मरवाही के प्रति गंभीर नहीं डाक्टर गंभीर
मरवाही की जनता का कहना है कि चुनाव में तो बहुत सारे दिग्गज नेता मैदान में है, भाजपा के प्रत्याशी डा. गंभीर राग अलापते रहते है कि मैं पिछले 20 सालों से जनता की सेवा कर रहा हूं, तो फिर रायपुर जाकर क्यों अस्पताल खोला, यदि मरवाही की जनता सेवा की सेवा करने जुनून था तो वे रायपुर क्यों गए, यहीं मरवाही में रहकर सेवा करना था, चुनाव मैदान में उतरने की जरूरत ही नहीं थी। यदि पार्टी ने उनकी सेवा का आंकलन पर टिकट दिया है, तो यह पार्टी की जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें सेवा का प्रतिफल दिलाए ।
मरवाही की जनता मानती है कि इसी बात का कांग्रेस को फायदा मिलते दिख रहा है। 3 नवंबर को होने वाले चुनाव में कांग्रेस ने विधानसभा क्षेत्र को सेक्टरों में बांटकर सभी मंत्रियों संसदीय सचिवों और सांसदों-विधायकों को काम में लगा दिया है। गौरतलब है कि मरवाही उपचुनाव में कांग्रेस जिस तरह जी तोड़ मेहनत कर रही अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसके लिए यह चुनाव कितना महत्वपूर्ण है। इस चुनाव को 18 महीने के भूपेश सरकार के कामकाज की समीक्षा भी माना जा रहा है। कांग्रेस किसानों, मजदूरों और छत्तीसगढिय़ों के लिए बेहतर काम का दावा करती है। इसका भी खुलासा हो जाएगा। मरवाही की जनता भूपेश सरकार के विकास कार्यों पर मुहर लगाएंगे या सहानुभूति की तरफ जाते है 10 नवंबर को पता चलेगा लेकिन जोगी परिवार से या उनकी पार्टी से कोई भी प्रत्याशी का न होना सारे कयासों को जीरो कर दिया हैं। अब जनता सिर्फ विकास की बात दोहरा रही है। जनता से रिश्ता के प्रतिनिधि जाकिर घुरसेना ने गांव-गांव जाकर मतदाताओं से प्रत्यक्ष संपर्क किया तो सबका यही कहना था कि अजीत जोगी के प्रति मन में श्रद्धा है लेकिन अब विकास जिसने किया है उसके साथ रहेंगे। अमित जोगी का पर्चा रद्द् होने के बाद भाजपाईयों को ऐसा लगने लगा था कि अमित जोगी का साथ मिलेगा, लेकिन यहां सब उलटा हो गया। डा. रेणु जोगी गांव-गांव में जाकर न्याय की बात कर रही है। उन्होंने किसी सभा में नहीं कहा कि वोट किसे दें और किसे न दें। वे सिर्फ अपने परिवार के लिए न्याय मांग रही है। हालांकि उनके इस न्याय यात्रा का प्रभाव थोड़ा पड़ सकता है लेकिन मतदाता कांग्रेस के खिलाफ वोट करे ऐसा दिखाई नहीं देता। यह भी सच्चाई है कि अजीत जोगी का व्यक्तिगत रूप से काफी प्रभाव था, लेकिन उनके नहीं रहने और विकास कार्य कुछ नहीं होने के कारण अब यह उम्मीद भी खत्म होते दिखाई दे रहा है। विधानसभा उपचुनाव में कुल 8 प्रत्याशी है जिसमें कांग्रेस का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है। क्योंकि चुनाव लहर में भाजपा और जकांछ के कार्यकर्ता स्वत: ही कांग्रेस में प्रवेश लेकर चुनावी रंग को रंगीन बना रहे है। बहरहाल ऊंट किस करवट बैठता है 10 नवंबर को पता चल जाएगा।