जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि इस हालात के शिकार ग्रामीण दूरस्थ क्षेत्रों में निवास करने सबसे अधिक है क्योंकि या तो उन्हे इस तरह के नियम का पता नहीं है और यदि पता भी है तो बुजुर्ग तथा बीमार होने के कारण मामलें पर बैंक प्रशासन के सम्मुख अपनी बात रखने आने जाने में असमर्थ है और यदि किसी तरह बैंक में आकर बात रखते हैं या आवेदन देते है तो आवेदन को बड़े आफिस में भेजने की बात कहकर उन्हे टरकाकर कर्तव्य का इतिश्री कर लेते हैं। इसके बाद बार बार मिलने पर बैंक प्रशासन के लोग बुजुर्ग पेंशनर्स को सही जवाब नहीं देते।
इन पक्तियों को लिखे जाने के दौरान रायपुर के निकट आरंग से खबर दी गई है कि आरंग विकास खण्ड के आश्रित गाँव डीघारी(भानसोज) के निवासी बुजुर्ग पेंशनर रामअवतार दुबे की 80 वर्ष की उम्र मार्च 22 में पूरी हो चुकी है। उन्होंने फरवरी 22 में बैंक आफ बड़ौदा आरंग (मासिक पेंशन भुगतान शाखा) में आवेदन दिया। आज 10 महिने बाद भी यह कोई नहीं बता रहा है कि 20% अतिरिक्त पेंशन बढकर कब मिलेगा। इसी तरह का प्रकरण उसी बैंक में ग्राम टेकारी कुंडा के रामाधीन साहू का भी है, वह भी उसी बैंक का ग्राहक है और वह भी 80 वर्ष की उम्र पार कर चुका है और अतिरिक्त पेंशन के लिए बैंक का चक्कर लगा लगा कर थक चुके हैं। साल भर से कोई सुनने वाला नहीं है। ऐसा सभी जिलों में है पर कोई सुनने वाला नहीं है। इस मानवीय संवेदना के विषय पर राज्य सरकार को संज्ञान में लेकर सभी बैंकों से 80 वर्ष उम्र पार कर चुके पेंशनर की नियमानुसार पेंशन वृद्धि जानकारी मंगाया जाकर जरूरी कार्यवाही करने की जरूरत है,ताकि जरूरतमंद पेंशनरों को सही समय पर पेंशन राशि में वृद्धि का लाभ मिल सके।
जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि पेंशन में यह बढ़ोतरी पूरीतरह बैंक प्रशासन के इच्छाशक्ति पर निर्भर होता है। क्योंकि 80 वर्ष के उम्र के बाद अधिकतर पेन्शनर स्वास्थ्यगत कारणों से यह जानने लायक नहीं होते कि बैंक ने शासन के आदेशानुसार उनके पेंशन में बढ़ोतरी किया है, क्योकि आज भी अनेक ऐसे उदाहरण सामने आ रहे रहे हैं कि पेन्शनर को उम्र सीमा पार करने के बाद पेंशनवृद्धि नही की गई और उनकी मृत्यु भी हो चुकी हैं और ज्यादातर परिवार नियमोँ से अनभिज्ञ होने के कारण भी कुछ नहीं कर पाते। अत: इसके लिए जिम्मेदार लोगो पर सरकार को सख़्त कार्यवाही करने की मांग की है।