Chhattisgarh चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स के चुनाव को लेकर एकता पैनल पहुंचा रजिस्ट्रार के पास
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रायपुर raipur news। चेम्बर के संविधान अनुसार 3 वर्ष में चुनाव कराये जाने अनिवार्य होते हैं लेकिन कार्यकाल 20 मार्च 2024 को पूर्ण हो चूका है और 3 माह से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन अभी तक आपने चुनाव प्रक्रिया की घोषणा नहीं की न ही अभी तक आपने चुनाव व चुनाव अधिकारी की घोषणा की ना ही अभी तक आपने चेम्बर के नए सदस्य बनाने की अंतिम तिथि की घोषणा की मांग करते हुए चेंबर के पूर्व चेयरमैन योगेश अग्रवाल ने रजिट्रार को पत्र लिख कर मांग की कि छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के संविधान संशोधन पर उचित जांच, कार्यवाही एवं संविधान संशोधन पर रोक लगाने की मांग कर रहा हूँ। छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, (जिसका पंजीयन क्र. 59 है) के वर्तमान अध्यक्ष अमर पारवानी एवं उनकी कार्यकारिणी द्वारा 29 अप्रैल को बॉम्बे मार्किट स्थित चेम्बर भवन के हॉल में एक कथित आमसभा आहूत की गई थी। जिसमें चेंबर के संविधान को अवैधानिक तरीके से संशोधन करने का प्रयास किया गया है, जिस पर मुझे घोर आपत्ति है।Chattisgarh
Chattisgarh Chamber of Commerce छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज में वर्तमान में लगभग पच्चीस हज़ार(25,000) सदस्य हैं। लेकिन उक्त दिनांक को आहूत आमसभा में वर्तमान अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी ने चुनिंदा 300 से 400 सदस्यों को ही आमसभा की सूचना भेजी। इस आमसभा में उक्त दिनांक पर महज़ 85 सदस्य ही उपस्थित हुए थे। विधिवत सुचना के आभाव में आमसभा में अधिकांश सदस्य मौजूद नहीं थे। बावजूद इसके संविधान का संशोधन कर दिया गया। जो की सोसायटी रजिस्ट्रीकरण के अधिनियम के साथ साथ चेंबर की नियमावली का भी खुल्ला उल्लंघन दर्शाता है, जिस पर मुझे कड़ी आपत्ति है।
3. मैं योगेश अग्रवाल छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज का लगभग 30 वर्षों से सदस्य हूँ...और चेयरमेन, युवा चेंबर का प्रदेश अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर अपनी जि़म्मेदारी का निष्ठा पूर्वक निर्वहन कर चूका हूँ। मैंने भी तीन वर्ष पूर्व चेंबर के चुनाव में अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ा था। बावजूद इसके मुझे भी उक्त दिनांक को आहूत आमसभा की किसी भी प्रकार की कोई सूचना किसी भी माध्यम से नहीं दी गई थी।
4. छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के वर्तमान पदाधिकारियों ने "सोसायटी अधिनियम" के साथ खिलवाड़ करते हुए पारदर्शिता नहीं अपनाई, और न ही आमसभा की "सुचना का पाठन कर चेंबर एक्ट और सोसायटी अधिनियम का पालन किया। चूँकि एक्ट के नियमावली के अनुसार आमसभा की बैठक केवल एक ही विषय अर्थात "संविधान संशोधन का ही एजेंडा" होना चाहिए था, जिसका पालन न करते हुए 5 विषयों को शामिल किया गया है, जो की बेहद आपत्तिजनक हैं।
5. मेरी जानकारी के मुताबिक सोसायटी अधिनियम के अनुसार आमसभा की सूचना सदस्य को बैठक दिनांक से कम से कम 14 दिन पूर्व देनी होती है। साथ ही इस सुचना का प्रकाशन दैनिक समाचार पत्र में भी करना आवश्यक होता है, जिससे प्रदेश भर के तमाम सदस्यों तक इसकी सुचना मिल जाए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। (सोसायटी अधिनियम के समिति नियमों के प्रारूप की कंडिका 12 (स) में स्पष्ट है कि "विशेष आमसभा की सूचना सदस्यों को 14 दिन पूर्व दी जाए। "
6. यह की किसी भी पंजीकृत संस्था में संविधान संशोधन की प्रक्रिया एक्ट की नियमावली के अनुसार संपादित होती है। लेकिन छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़ के पदाधिकारियों ने न तो संविधान संशोधन के लिए विधिवत आमसभा, साधारण सभा या विशेष सभा का आयोजन किया, न ही सभी सदस्यों को कोई सूचना भेजी। बल्कि विधि विरुद्ध जाकर अपने ही कुछ लोगो की मौजूदगी में संविधान संसोधन कर दिया गया। जिस पर मेरी कड़ी आपत्ति दर्ज की जाए।
7. सोसायटी रजिस्ट्रीकरण एक्ट के अनुसार पंजीकृत संस्था द्वारा कोई भी संविधान संशोधन करने के पूर्व सभी सदस्यों को बिन्दुवार पूर्व संविधान की कॉपी एवं किये जाने वाले संशोधन की बिन्दुओं को उसके सामने उल्लेखित करते हुए भेजना है ताकि संविधान संशोधन की समीक्षा सदस्य कर सकें और आमसभा में अपनी राय रख सकें, किन्तु इसका भी कोई पालन न करते हुए मनमानी करते हुए नियमावली को ताक में रख कर साध्यों के साथ धोखा कर संविधान का संशोधन करने का कृत्य किया गया है।
8. उक्त आमसभा के लिए जिन चुनिंदा लोगों को लिखित सुचना (पत्र के ज़रिए ) दी गई थी, उस पत्र में भी वर्तमान चेंबर अध्यक्ष अमर पारवानी, प्रदेश महामंत्री अजय भसीन एवं उत्तम गोलछा के नाम और पदनाम है, लेकिन इस पत्र में किसी भी पदाधिकारी के हस्ताक्षर या उनके हस्ताक्षर और पद की मुहर नहीं लगाई गई है। जिससे इस कथित सुचना की सत्यता पर भी सवाल उठता है जो की गंभीर मामला है।
सम्पूर्ण संविधान संशोधन की प्रक्रिया में सोसायटी रजिस्ट्रीकरण एक्ट एवं नियमावली का खुला उलंघन किया गया है, अत: मेरी आपत्ति दर्ज कर उचित एजेंसी से जांच कराएं एवं संशोधन को निरस्त कर अपराधिक प्रकरण दर्ज कराकर कानून का पालन करा कर सहयोग करें। आपसे विनम्र आग्रह है कि इस प्रकरण में आपत्ति दर्ज कर जाँच कर विधि सम्मत कार्यवाही करने की महती कृपा करें। साथ ही उक्त संशोधन को रद्द करने की कृपा करें।