छत्तीसगढ़

जैविक खेती और दलहन-तिलहन से किसानों में आ रही अर्थिक समृद्धि

Nilmani Pal
11 Oct 2021 12:06 PM GMT
जैविक खेती और दलहन-तिलहन से किसानों में आ रही अर्थिक समृद्धि
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रायपुर। पिछले ढाई वर्षों में छत्तीसगढ़ राज्य ने किसान हितैषी सरकार के रूप में अपनी पहचान बनाई है। किसानों के कल्याण के लिए संचालित योजनाओं से खेती-किसानी के प्रति युवाओं का रूझान बढ़ा है। मेहनत का उचित लाभ मिलने से किसानों की संख्या में वृद्धि हुई है। किसानों को आधुनिक खेती के साथ-साथ जैविक खेती के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। ग्राम पंचायतों में बनाये गये गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट खाद तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। गांवो में ही जैविक खाद उपलब्ध होने से जैविक खेती के लिए किसान प्रेरित हुए है। इससे रसायनिक खाद व दवा के दुष्प्रभाव में कमी आई है। जैविक खेती कम खर्चिला होता है। किसानों को इससे अधिक लाभ भी मिलता है। साथ ही भूमि की उर्वरता सुरक्षित रहती है।

जांजगीर-चांपा जिले के सक्ती विकासखंड के ग्राम अंजोरपाली निवासी किरीत राम पटेल ने खरीफ में धान की कटाई के बाद रबी फसल में उड़द लगाकर 62,400 रूपये का अतिरिक्त लाभ लिया। गोधन न्याय योजना के तहत बनाये गये 90 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट खाद तथा 20 किलोग्राम उड़द के बीज प्रति हेक्टेयर की दर से आदान समाग्री के रूप में किरीत राम को दिया गया था।

श्री किरीत राम ने बताया कि उन्होंने कृषि विभाग के द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया था। विभाग द्वारा समय-समय में भ्रमण कर नवाचार की जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि पहले वे केवल धान की खेती करते थे। धान की खेती के बाद अपनी खेत का उपयोग नहीं किया करते थे। विभाग द्वारा दलहन क्षेत्र विस्तार व जैविक खेती फसल परिवर्तन के लिये प्रेरित किया गया। कृषि विभाग के मार्गदर्शन से रबी फसल के रूप में उड़द की खेती किया। जिसमे वें 90 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग किया। वर्मी खाद के उपयोग से उत्पादन में वृद्धि हुई। जैविक खाद के उपयोग से बीज, पौध संरक्षण औषधि व अन्य उर्वरक की खरीदी में लगने वाले खर्च में बचत भी हुई। फसल बेचकर 62,400 रूपये का लाभ हुआ। श्री किरीत राम ने कहा कि वे भविष्य में वर्मी खाद का ही उपयोग करेंगे। राज्य सरकार की एनजीजीबी योजना से जैविक खेती को प्रोत्साहन मिला है। उत्पाद की पौष्टिकता बढ़ी है। भूमि की उर्वरता सुरक्षित रहती है। वें अन्य किसानो को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहें हैं। उन्होंने राज्य सरकार की किसान हितैषी योजनाओं के लिए आभार व्यक्त किया है।

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