रायपुर में कोरोना के चलते इस बार मुख्य स्थलों पर न देवी की प्रतिमाएं विराजित होंगी और न ही लगेगा मेला
शहर की कालीबाड़ी में कोई भव्य आयोजन नहीं
रायपुर में नियमों के चलते ज्यादातर समितियां मूर्ति स्थापना के पक्ष में नहीं हैं। शहर की सबसे बड़ी और 85 साल पुरानी कालीबाड़ी समिति में भी केवल घट (कलश) स्थापना की जाएगी। यहां हर साल 5 दिनों तक मेला लगता था, पर इस बार बड़ी दुर्गा प्रतिमाएं विराजित नहीं होंगी। समिति के पदाधिकारी कहते हैं कि कोई आयोजन नहीं होगा। सिर्फ पुजारी ही पूजा करेंगे, बाकी सभी के प्रवेश पर रोक रहेगी।
न महल जैसे पंडाल बनेंगे, न भव्य प्रतिमाएं होंगी
शहर के माना में हमेशा महल के आकार का भव्य पंडाल बनता था। इसमें देवी मां की भव्य प्रतिमाएं भी स्थापित होती थीं। यहां पर ही सबसे ज्यादा बंगाली भी रहते हैं, पर इस बार ऐसा कुछ देखने को नहीं मिलेगा। परंपरा निभाने के लिए घट स्थापना का फैसला लिया गया है। समिति के पदाधिकारी बताते हैं कि 53 साल से आयोजन हो रहा है। इस पर सादगी से सब होगा। पुजारी ही पूजा करेंगे।
रायपुर दुर्गा पूजा की खास बातें
शहर में करीब 250 पंडाल में की जाती थी दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना
30 बड़े महल, मंदिर रूपी पंडाल बनाए जाते थे शहर में
माना, डब्ल्यूआरएस कॉलोनी और बंगाली कालीबाड़ी का दुर्गोत्सव प्रसिद्ध
ऑर्गेनिक और पर्यावरण के अनुकूल प्रतिमाओं के लिए भी कई पंडाल जाने जाते हैं
इस बार ये सब नहीं
जिला प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार, 6 फीट से ऊंची मूर्ति, 15 फीट से बड़ा पंडाल बनाने पर रोक है।
पंडाल में एक बार में 20 से ज्यादा लोग नहीं होंगे। प्रसाद और चरणमृत वितरण पर भी रोक लगाई गई है।
गणेश उत्सव की तरह नवरात्रि पूजा पंडाल में दर्शन के लिए आने वाले व्यक्ति के संक्रमित होने पर इलाज कर खर्च आयोजक को उठाना होगा।
इस बार पूजा के दौरान जगराता, भंडारा आदि कार्यक्रमों की इजाजत नहीं होगी।