पुलिस का डर खत्म, कानून का उड़ा रहे मखौल
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में शराब भट्टियों के बाहर और आसपास आपराधिक गतिविधि काफी बढ़ गई है। हर दिन शराब भट्टियों के बाहर पैसों के लिए लड़ाई झगड़े जैसे मामले सामने आते ही है। रोजाना इस लड़ाई झगडे में कई बार किसी न किसी की मौत भी हो जाती है। शराब भट्टियों में नशेड़ी लोग पैसों का लेन-देन चलता है जिसके चलते लोग आपस में ही भिड़ जाते है। शराबी लोग विवाद को इतना बढ़ा लेते है। दो पक्षों में एक पक्ष तो हथियार तक निकाल लेता है। जिससे बात बिगड़ती है और सिर्फ लड़ाई होते है, और हत्या जैसे वारदाते होती है।
नशे की वजह से होती हत्या : राजधानी में हत्या जैसा संगीन अपरध अब महज एक खेल बनकर रह गया है। कोई भी युवा किसी भी बात पर चाकू निकालने लग गया है। आज के समय में अपराधियों के लिए आईपीसी की धारा 302 महज एक खेल बन गया है। रोज हर इलाके में चाकूबाजी की वारदातें भी होती है, लेकिन उस पर पुलिस सख्ती से कार्रवाई नहीं करती। शहर भर में नशे कारोबार चल रहा है शराब भट्टियों में लोग लाइन लगाकर शराब खरीदते है वही कुछ आपराधिक तत्व लोगों से बेवजह ही लड़ाई करते दिखते है।
कारों में झलकते हैं जाम : शहर के वीआईपी रोड और नया बस स्टैंड के पास समेत शहर के अन्य क्षेत्रों में कारों में ही शराब के जाम झलकते हैं। यहां पर फास्ट फूड की दुकानों के बाहर शराबियों की गाडिय़ां लगी रहती हैं। बता दें कि इससे पहले भी पुलिस कारों में शराब पीने वालों के खिलाफ अभियान चला चुकी है, लेकिन बिगड़ैल लोग इसकी परवाह नहीं करते और सड़क हादसे भी हो जाते है। पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, जिले में सड़क हादसों में रोजाना 1 से दो मौतें हो रही है, इनमें से ज्यादातर शराब पीकर वाहन चलाने वाले जिम्मेदार होते हैं।
चाकूबाजी की वारदातें बढ़ी : शहर में चाकूबाजी की वारदातें आए दिन बढ़ती जा रही है और पुलिस प्रशासन इन वारदातों रोकने का अथक प्रयास कर रही है। बावजूद अपराधी अपराध से बाज नहीं आ रहे है। और आपराधिक गतिविधि के लोगों ने तो हथियार खरीदने के लिए भी एक नया जरिया ढूंढ निकाला है और अपराधी लोग ऑनलाइन हथियारों की खरीदी बिक्री करते है और वरदातों को अंजाम देते है। वही दूसरी तरफ युवा नशे और गुंडागर्दी के लिए किसी भी हद तक पार कर जाते है और हथियारों का मिलना भी आम बात हो गया है। जिससे युवा वर्ग की हिम्मत दो से तीन गुना बढ़ जाती है। हथियार रखना युवाओं के लिए एक फैशन बन गया है, नशे की पार्टियों में भी बड़े घरानों के युवक-युवतियां हथियार रखकर चलते है मगर उनके लिए हथियार रखना एक तरह का चलन बन गया है और एक नया फैशन भी बन गया है।
गुंडे-बदमाशों पर पुलिस ले एक्शन : गुंडे और बदमाशों में पुलिस का डर नहीं है, इसलिए अपराध बढ़ रहे हैं। अपराध होने के बाद आरोपितों को पकड़ लेना ठीक है, लेकिन ऐसी स्थिति बनाई जाए कि अपराध करने में अपराधी को भय हो। अपराधों को रोकने और अपराधियों पर सख्त कार्रवाई के लिये एक्शन प्लान बनाकर कार्य करें। अपराधियों पर सख्त और त्वरित कार्रवाई करें, जिससे आमजन को पुलिसिंग होती हुई दिखायी दे। वाहन जांच के दौरान गुंडे-बदमाश प्रवृत्ति के लोगों पर भी नजर रखें एवं कार्रवाई करें।
कम्युनिटी पुलिसिंग पर जोर देते हुए कहा कि आमजन एवं पुलिस के बीच लगातार संवाद स्थापित होते रहना चाहिए। इसके लिए फ्रेंड्स आफ पुलिस बनाकर अच्छे लोगों को पुलिस से जोड़ें।
शराब दुकानें खुलते ही टूट पड़े शौकीन
छत्तीसगढ़ में घटते कोरोना संक्रमण की वजह से अब शराब दुकानें पूरी तरह से अनलॉक कर दी गई हैं। गुरुवार रात आबकारी विभाग की तरफ से जारी एक ऑर्डर के बाद अब शुक्रवार की सुबह विदेशी शराब की दुकानें पूरी तरह से खोल दी गईं। अब काउंटर पर जाकर लोग सीधे बोतल खरीद रहे हैं। इससे पहले ऑनलाइन ऑर्डर करने की अनिवार्यता थी। फिलहाल ऑनलाइन सेलिंग को बंद करने के आदेश नहीं जारी किए गए हैं। मगर अब लोग काउंटर पर कैश देकर शराब खरीद सकते हैं। पिछले सप्ताह देसी शराब दुकानों से भी ऑफलाइन बिक्री शुरू कर दी गई थी। शराब की बिक्री होने से दुकानों की बाहर भीड़ जुटने लगी है।
यह कहा गया है आदेश में
सरकार ने फैसला लिया है कि प्रदेश की सभी विदेशी मदिरा दुकानों से विदेशी शराब, बीयर और प्रीमियम रेंज की शराब अब ऑफलाइन मोड में बेची जा सकती है। इसके लिए काउंटर पर आकर लोग बिना ऑनलाइन ऑर्डर किए भी शराब ले सकेंगे। हर दुकान के बाहर भीड़ को नियंत्रित करने, लाइन लगाने, सोशल डिस्टेंस मेंटेन करने का बंदोबस्त होना चाहिए। 1 जून से राज्य में सरकार ने सभी बार भी खोल दिए थे।
ऑनलाइन सिस्टम में हो रही थी परेशानी
10 मई से प्रदेश में शराब ऑनलाइन बेची जा रही थी। कभी विभाग का सर्वर क्रैश हुआ तो कभी ऑर्डर के 5 दिनों तक लोगों को शराब नहीं मिली। इसके बाद पिकअप काउंटर शुरू हुए। इसमें भी ऑर्डर ऑनलाइन ही करना था इसके बाद लोगों को एक ह्रञ्जक्क जारी किया जा रहा था जिसे दुकान पर दिखाने से बोतल मिल रही थी मगर इस ह्रञ्जक्क को ही हासिल करने में वक्त लग रहा था। इन दिक्कतों को देखते हुए संक्रमण की रफ्तार थमने पर अब दुकानों से सीधे सेलिंग शुरू की जा रही है।
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