- पुलिस सीधे सप्लायर को क्यों नहीं पकड़ती
- छुटभैये या बड़े नेताओं का दबाव तो नहीं
- कोकीन, ब्राउन शुगर, चरस, हेरोइन व गांजे की जद में राजधानी के युवा।
- नशे के हालात में युवा कर रहे चाकूबाजी और अपराध, पिछले हफ्ते हुई आधा दर्जन हत्याएं
- राजधानी के कालीबाड़ी, नेहरु नगर, टिकरापारा, गांधी नगर, संजय नगर, पुरानी वस्ती, मोमिन पारा, रामकुंड़, ईदगाहभाटा, कोटा, रामनगर, लोधीपारा, पंडरी, ताज नगर, ईरानी डेरा, तेलीबांधा, काशीराम नगर व राजेंद्र नगर के जनता क्वाटर इलाका नशे का गढ़ें
- रायपुर में नशे के कारोबार जमाने वाले - रवि साहू-आसिफ ड्रग गैंग बेखौफ
रायपुर सहित पूरे छग में नशे के कारोबार को स्थापित करने वाले रवि साहू और आसिफ पुलिस के कार्रवाई से बेखौफ हैं। छुटभैय्ये नेताओं से नजदीकी के कारण पुलिस भी कार्रवाई करने में पीछे रहती है। नारकॉटिक्स सेल बनने के बाद ऐसा महसुस हो रहा था कि नशे की कारोबारी सरेंडऱ हो जाएंगे लेकिन छोटी मछली को ही पकड़ा जा रहा है, बड़ी मछलियों पर पुलिस हाथ ड़ालने से कोसो दूर है। पिछले 50-60 सालों में पुलिस ने इतना गांजा नहीं पकड़ा जितना जनता से रिश्ता की खबर के बाद पकड़ा गया
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। जानलेवा नशा युवाओं को इस कदर जकड़ लिया है कि वे चाह कर भी उससे मुक्त नहीं हो पा रहे है। नशे की लत ने युवाओं को अपराध की दलदल में धकेल दिया है। पिछले सप्ताह राजधानी में एक के बाद एक हुए मर्डर ने यह साबित कर दिया कि युवा वर्ग नशे के गिरफ्त में हैं। पुलिस अपराधियों तक पहुंचने में देर कर रही है क्या पुलिस पर नेताओ का दबाव तो नहीं है ?कोकीन, ब्राउन शुगर, चरस, हेरोइन, एक्स्टेसी हर वैरायटी का नशीला जानलेवा माल युवाओं को इस कदर जकड़ लिया है कि वे चाह कर भी उससे मुक्त नहीं हो पा रहे है। पाँच सौ रूपये से लेकर दस हजार रूपए तक की खुराक वाले नशा का सामान राजधानी में उपलब्ध है। नशे का कारोबारी महंगे होटलों, रेस्टोरेंटों और बार जैसी जगहों पर पार्टियों के नाम पर नशे का सामान परोस रहे है। रायपुर को आज नशे के कारोबारियों ने पूरी तरह से अपने शिकंजा कस लिया है। हालांकि पुलिस की लगातार कार्रवाई के नशे के सौदागरों में हड़कंप मचा हुआ है। नशे के कारोबारियों के ठिकानों पर पुलिस ने मुखबिर लगा दिए है। जिससे पिछले एक सप्ताह में दर्जन भर से अधिक छापामार कार्रवाई कर पुलिस ने उनके हौसले पस्त कर दिए है। लगातार नशे के सौदागरों की गतिविधियों पर नजऱ रखी हुई है। युवाओं के लिए नशा जानलेवा तो ही और भी उसके हानिकारक दुष्परिणाम भी राजधानी में देखने को मिल रहे है। लगातार चाकूबाजी, छिनताई, उठाईगिरी, छेड़छाड़, मारपीट, लूटपाट की घटनाए बढ़ गई है। राजधानी के नव धनाढ्य परिवारों के युवाओं की पूरी जि़ंदगी नशे की गहरी खाई डूब गई है जहां से निकल पाना असंभव नजर आ रहा है। शहर में नशे का व्यापार करने वालों के हौसले इतने बुलंद हो गए है कि उन्हें पुलिस का भी कोई डर नहीं है मगर उसके बावजूद पुलिस ऐसे नशेडिय़ों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। पहले तो युवा स्कूल व कॉलेज में बीड़ी, सिगरेट व गुटखा का सेवन मस्ती करने के लिए करते हैं लेकिन बाद में इनकी लत लग जाती है। कुछ तो शराब, चरस व अफीम के इतने आदी हो जाते हैं कि इनसे छुटकारा पाना उनके लिए मुश्किल होता है। नशा चाहे किसी भी प्रकार का हो इससे मानसिक व शारीरिक नुकसान पहुंचता है। पुलिस समय-समय पर सार्वजनिक स्थानों पर दबिश देकर नशे का सेवन करने वालों पर शिकंजा तो कस रही है लेकिन नशे के बड़े सौदागरों के गिरेबान में हाथ डालने पसीना छूट रहा है।
आन डिमांड माल की सप्लाई
राजधानी नशे के सौदागरों के लिए सेफ जोन बनती जा रही है। यहां नीचे तबके से लेकर हाई प्रोफाइल लोगों के लिए अलग-अलग किस्म की नशे की सामग्री उपलब्ध हैं। 10 रुपए में बिकने वाले गांजे से लेकर 5-10 हजार रुपए प्रति ग्राम तक की कोकीन भी डिमांड पर उपलब्ध है। नशे के सौदागरों द्वारा डिमांड के आधार पर इसे मुंबई से मंगाया जा रहा है। इस महंगे नशे के ग्राहक बड़ी-बड़ी गाडिय़ों में घूमने वाले रईस हैं, जिनमें युवक-युवतियों से लेकर महिलाएं भी शामिल हैं। जानकारी मिली है कि इनके लिए सबसे सेफ जोन वीआईपी रोड में स्थित बड़े-बड़े होटल हैं, जहां इन मादक द्रव्यों की सप्लाई की जाती है। त्यौहारों में इनकी डिमांड बढ़ जाती है और डिमांड बढऩे के साथ ही इनकी कीमत भी दो गुनी हो जाती है।।
समय समय पर करते हैं कार्रवाई
होटलों में खास तौर पर नशे के शौकिनों के लिए पार्टियां भी आयोजित होती हैं। बड़े-बड़े होटल और यहां आने वाले रसूखदारों की वजह से पुलिस यहां पूछताछ करने आती है और किसी तरह की कोई गड़बड़ दिखती है तो पुलिस उस पर किस प्रकार कार्रवाई करती है जग जाहिर है। वैसे इस सम्बन्ध में पुलिस का कहना है कि समय-समय पर पुख्ता जानकारी मिलने पर लगातार छापामार कार्रवाई कर रहेे हैं।
नाबालिग सबसे ज्यादा चपेट में
बच्चों के लिए सस्ता नशा इजाद हो चुका है, नशा के लिए बोनफिक्स तथा सुलेसन को सूंघ कर नशे की सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है जो वास्तव में चौकाने वाला है। 10 से 22 वर्ष तक के बच्चों द्वारा यह नया नशा धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। बोनफिक्स का नशा किये जाने के संबंध में प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि इन दिनों अधिकाश बच्चों में नशा की यह लत देखी जा रही है। बोनफिक्स, सुलेसन जो किसी टूटे हुए वस्तु के जोडऩे के उपयोग में लाया जाता है। लेकिन बच्चे इसका उपयोग नशा के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
पेस्ट को सूती कपड़े या फिर प्लास्टिक में निकल कर हल्का धूप लगाकर सांसों द्वारा ऊपर खींचते हैं। एक से दो बार यह क्रम करने के बाद वे बधो खुद व खुद नशे कि हाल में आ जाते हैं। इसके बाद उन्हें यह कहां पता होता है कि सामने कोई और है भी या नहीं।
मिड-डे अखबार जनता से रिश्ता में किसी खबर को छपवाने अथवा खबर को छपने से रूकवाने का अगर कोई व्यक्ति दावा करता है और इसके एवज में रकम वसूलता है तो इसकी तत्काल जानकारी अखबार प्रवंधन और पुलिस को देवें और प्रलोभन में आने से बचें। जनता से रिश्ता खबरों को लेकर कोई समझोता नहीं करता, हमारा टैग ही है-
जो दिखेगा, वो छपेगा...