नाइजीरियन सहित अब तक 16 गिरफ्तारियां
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। रायपुर पुलिस ने ड्रग्स की पैडलिंग करने वाले नाइजीरियन नागरिक को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने ड्रग्स के मामले में अब तक एक महिला समेत 16 आरोपितों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया है। लोकल पैडलर्स के साथ मास्टर माइंड इंटरनेशनल आरोपित को गिरफ्तार किया गया है। छत्तीसगढ़ में ड्रग्स की सप्लाई के मामले में गिरफ्तार अंतरराष्ट्रीय आरोपित पैट्रिक की गिरफ्तारी के बाद अब इस मामले में जुड़े लोकल सप्लायरों की तलाश शुरू कर दी है। मामले में रायपुर से चार लोगों के नाम सामने आए हैं, जिनकी खोज में पुलिस जुटी हुई है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही आरोपितों को गिरफ्तार किया जाएगा। गौरतलब है कि रायपुर की कोतवाली सीएसपी अंकिता शर्मा ने बताया कि थाना कोतवाली के अंतर्गत बैरन बाजार स्थित पालीटेक्निक कालेज के पास 30 सितंबर को श्रेयांश झाबक और विकास बंछोर को किया गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद एक के बाद एक नशे के सौदागरों को पुलिस ने छत्तीसगढ़ के अलावा मुंबई और अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सप्लायर को गिरफ्तार किया है।
राजधानी में बह रहा नशे का दरिया : रायपुर में नशा का दरिया बह रहा है जो लोगों के अरमानों को अपने साथ बहा रहा है। और राजधानी में नशे का कारोबार तेज़ी से बढ़ते ही जा रहा है लोग नशे के सामानों का सेवन दिन-प्रतिदिन करते जा रहे है। हालात ऐसे हो गए है कि अब नशे के लिए शहर के युवा नाइट्रावेट या अन्य दवाई गोलियों का उपयोग कर रहे हैं। रायपुर का यूथ नशे की दलदल में न फंसे इसके लिए पुलिस भी प्रयास कर ही रही है। और नशा तभी रुकेगा जब ठोस कानून बनेगा और नशा बेचने वालों को सख्त सजा मिलेगी। जिले में लगातार बढ़ रहे नशे कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए अब पुलिस प्रशासन ने कमर कस ली है। और काफी लोगों को गिरफ्तार भी किया है। अब तक रायपुर पुलिस ने 16 ड्रग माफियों को गिरफ्तार किया है जिसमें 3 महिलाएं, और 13 पुरुष है। मगर उसके बाद भी ड्रग्स, हेरोइन, गांजा, चरस और नशीली दवाएं खुलेआम बेंची जा रही है। सूत्र बताते है कि पूरे शहर के नशे के काले कारोबारियों ने अपनी गिरफ्त में ले लिया है। लेकिन नशे के कारोबारियों का नेटवर्क अभी इतना मजबूत और सक्रिय नहीं है जिसकी वजह से उनकी जल्दी गिरफ्तारी भी हो जा रही है। पूरे शहर में मादक पदार्थो की बिक्री में वीआईपी रोड स्थित रिसॉर्ट, गेस्ट हाउस होटल के पास से बड़े पैमाने पर नशे के कारोबार का संचालन हो रहा है। इसके अलावा सूत्र ये भी बताते है कि शहर के बीचों-बीच बुद्धेश्वर मन्दिर पुरानी बस्ती के पास से भी नशे के कारोबार का नेटवर्क संचालित हो रहा है। होश उड़ाने वाली बात ये है कि शहर में दाल-चावल की दुकानों के आस-पास से भी नशे का नेटवर्क संचालित किया जा रहा है जिससे पुलिस को इस कारोबार का पता भी ना चले।
नशे के लिए इंजेक्शन का भी इस्तेमाल
शहर के दवाई दुकानों में एलप्रेक्स ट्राइका, एटीवान, लोराजीपाम, रिवोट्रील क्लोनाजीपाम ऐसी दवाएं हैं, जिनका उपयोग नशे के लिए किया जाने लगा है। इन दवाओं को ज्यादातर नींद न आना, दर्द और तनाव को दूर करने वाले मरीज को दिया जाता है। इतना ही नहीं, शहर के युवाओं द्वारा नशे के लिए फोर्टविन इंजेक्शन का इस्तेमाल करने की बात भी सामने आई है। यह इंजेक्शन डॉक्टर मरीजों का दर्द ठीक करने के लिए उपयोग करते हैं। इस दर्द निवारक इंजेक्शन का उपयोग गलत तरीके से किया जा रहा है। बिना डॉक्टर के लिखे यह दवा किसी को भी उपलब्ध नहीं कराई जा सकती। मगर नशे के लती नकली पर्ची दिखाकर नशे की गोलियां, इंजेक्शन और भी दवाइयां ले लेते है।
नशे का छोटा से उपग्रह बना रायपुर
रायपुर में युवाओं के कॉलेजों में आज भी नशा बढ़ते जा रहा है। यहां के ड्रग माफिया अपने दमखम नशे के विश्व का सबसे छोटा उपग्रह 'जुगनूÓ बना चुके हैं। मादक पदार्थों के तस्कर घुसपैठ कर चुके हैं और छात्र-छात्राओं को नशे का लती बना रहे हैं। दवा डिब्बों में ड्रग सप्लाई किए जा रहे है। कभी-कभी कॉलेज के कैम्पस में खुलेआम नशीले पदार्थो का कारोबार किया जा रहा है। युवाओं को ये पता भी नहीं है कि नशा किसी को भी नहीं छोड़ता है। नशे के खिलाफ कार्रवाई पुलिस कर ही रही है मगर अब इसकी चपेट में बच्चे भी आ गए है। नाबालिग बच्चे भी नशा कर रहे हैं यह हमारे समाज के नज़रिए से सहीं नहीं है। नशे ने कई लोगों के घर व जिंदगी को तबाह कर दिया है। रायपुर पुलिस ने नशों के सौदागरों के खिलाफ जो मुहीम शुरू की है वह सराहनीय है। रायपुर में नशा अन्य जिलों के मुकाबले अधिक बिकता है जो कि चिंता का विषय है।
इसको लेकर भी पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
छुटभैय्या नेताओं का मिल रहा संरक्षण
रायपुर शहर में कुछ नशा तस्कर अब भी बैखौफ होकर नशा बेचते हैं। इन लोगों को किसी न किसी का छुटभैय्या नेताओं का संरक्षण प्राप्त होता है। जिसके दम पर ये बेधड़क होकर नशे का काम करते हैं। नशा करने वाले पहले सस्ते नशे से अपनी शुरुआत करते हैं। उसके बाद वे मंहगे नशे करने लगते हैं। महंगा नशा करने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते तो वे चोरी का रास्ता अपना लेते हैं। नशे के चंगुल में हर वर्ग के लोग हैं। नशा आसानी से मिल रहा है। इसलिए लोग इसका उपयोग कर रहे हैं। पहले यह शौक होता है पर बाद में यह आदत बन जाती है।
सिगरेट या फिर बीड़ी का नशा भी किसी नशे से कम नहीं है। गांव-देहात में ड्रग के इस कुचक्र को 'इज्जतÓ ने जोड़कर देखा जा रहा है। ड्रग्स के कुचक्र में फंसे लोगों को मरीजों के तौर पर देखने की बजाय इन्हें अनैतिक समझा जाता है ऐसी परिस्थिति में कोई बच्चा नशे में फंसने पर अपने परिजन को बताने से कतराते है जिससे युवा नशे का आदी हो जाते है।