जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में नशे का कारोबार बढऩे के साथ-साथ अब शहर की हर गली में बिकने लगा है। युवा स्कूल से निकल कर नशे के सौदागरों को ढूंढने निकलते है। नशे का कारोबार रोकने के लिए पुलिस जितने दावे कर रही है उतना ही अधिक नशा रायपुर जिले में बिक रहा है। युवा खासकर टीनएजर नशे का शिकार हो रहे हैं, शराब से लेकर हेरोइन तक नशीला पदार्थ जिले में बहुत ही आसानी से मिल रहा है। नशेडिय़ों की मानें तो मेडिकल से नशीले पदार्थ का इंजेक्शन 200 रुपए तक बाजार में मिल रहा है, यही वजह है कि जिले में नशे का व्यापार दिन हर दिन बढ़ते जा रहा है। जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं में नशे की प्रवृत्ति खतरनाक ढंग से बढ़ी है। नशे के आदि हो चुके युवक उसे प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जाते हैं। इससे सामाजिक, पारिवारिक समस्याओं के साथ-साथ छिनतई, चोरी, छेड़छाड़ की समस्याएं सामने आती हैं। कोरोना काल के बाद से जब से स्कूल शुरू हुआ है। तब से स्कूली बच्चों में नशा करने की लत भी बढ़ गई है। बच्चों के माँ-बाप को ये लगता है कि उनके बच्चे स्कूल जाते है पढऩे के लिए मगर बच्चे स्कूल से निकल कर सीधे नशा करने हुक्का बारों या रेस्टोरेंटों में जाते है। जहां युवाओं को महंगे नशे परोसे जाते है, ये ऐसा नशा होता है कि इसमें कोई गंध नहीं होती मगर इसका असर पूरा दिखता है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में नशा बढ़ा
ग्रामीण क्षेत्रों में भी गली-गली शराब की दुकाने व सिगरेट, पान मसाला, गुटाखा आदि सहजता और सुगमता से उपलब्ध हो जाते हैं। ग्रामीण स्तर पर महुए के साथ अन्य रसायन के मिश्रण से तैयार होने वाली देशी शराब सस्ती और आसानी से उपलब्ध हो जाने से इसके लिए लोगों को भटकना नहीं पड़ता है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूली बच्चों और स्कूली छात्राओं, महिलाओं के बीच भी गुटखा, पान मसाला, धूम्रपान की लत बढऩे लगी है। बेरोजगारी के आलम में मानसिक पीड़ा के शिकार लोग भी नशे की लत अपनाने लगे हैं।
नशे के सौदागरों ने चुना स्कूली बच्चों को अपना शिकार
नशे का कारोबार राजधानी में लगातार फैलते जा रहा है। नशे के सौदागर अब स्कूली बच्चों को भी नहीं बख्श रहे है। राजधानी में संचालित सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के आस-पास इन सौदागरों ने अपने ठीहे बना रखे है जहां से बच्चों को नशे के सामान उपलब्ध कराए जा रहे है। नशे के कारोबारियों ने स्कूलों के आस-पास चाय टपरी और ठेले वालो को अपने धंधे में सहभागी बना लिया है जिसके माध्यम से वे स्कूली बच्चों को आसानी से नशे के आदि बना रहे है। शहर में हो रहे अपराधों को कम करने के लिए पुलिस भी अथर प्रयास कर रही है बावजूद अपराध पर लगाम लगाना थोड़ा मुश्किल नजऱ आ रहा है। और वही दूसरी तरफ नशे का कारोबार भी चल रहा है जिसके चलते नवयुवक-युवतियां नशे में मदमस्त है।
3 लाख की कोकीन ज़ब्ती में किसी गिरोह का हाथ नहीं
नशे के कारोबार पर पुलिस लगातार कार्रवाई करती जा रही है। इसी कड़ी में रायपुर पुलिस ने एक बार फिर नशे के सौदागरों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी। जिसमें पुलिस ने कोकीन के साथ 2 तस्करों को गिरफ्तार किया था। तस्करों के पास से पुलिस ने 29 ग्राम कोकीन और 4 नग मोबाइल फोन जब्त किया गया है। आजाद चौक सीएसपी आईपीएस अंकिता शर्मा की टीम ने कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी दविंदर सिंह और मनप्रीत सिंह को गिरफ्तार किया है। ये मामला कबीरनगर थाना क्षेत्र का है। पुलिस नशे के अवैध कारोबार के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। इसी दौरान रिंग रोड नंबर 2 हीरापुर इलाके के आरडीए मोड़ के पास 2 युवकों को करीब 29 ग्राम कोकीन के साथ गिरफ्तार किया गया। जिसकी कीमत करीब 3 लाख रुपये आंकी गई है।
पंजाब से होती थी कोकीन की तस्करी
कबीर नगर थाना प्रभारी ने बताया कि आरोपी दविंदर सिंह ड्रग्स सप्लायर्स का मुख्य सरगना है। जिससे पूछताछ के दौरान पता चला कि वो ट्रांसपोर्ट का काम करता है और पंजाब से कोकीन लाकर आस-पास के इलाके में खपाता है। पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की है। उनके पास से 4 नग मोबाइल फोन भी जब्त किया है। इस मोबाईल फोन से कुछ जानकारी अब तक नहीं मिली है। और ये दोनों आरोपियों का कोई गिरोह है या नहीं इस बात की पुलिस ने अब तक कोई तस्दीक नहीं की है। पंजाब के किस गैंग से दोनों तस्करों दविंदर सिंह और मनप्रीत सिंह का लिंक है? ये भी पता चलेगा। पुलिस के अनुसार दोनों दिखाने के लिए ट्रक चलाते हैं। इसी की आड़ में वे पंजाब से ड्रग्स लेकर आते हैं। उन्होंने कुम्हारी में किराए का मकान लिया है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपी हर महीने 6 लाख का कोकीन सप्लाई करते हैं। पंजाब से कोकीन लाकर पुडिय़ा बनाकर बेचते हैं।
मॉडर्न बनने के लिए स्कूली बच्चें नशा
शहर में नशा को कुछ लोग मॉडर्न मानते है, उनका मानना होता है कि नशा करने से लोग उन्हें एडवांस समझेगें, और उनकी वाह-वाही होगी। इसी का सबसे बूरा असर स्कूली बच्चों पर हो रहा है। स्कूली बच्चें स्कूल जाने-आने के लिए परिजनों द्वारा दिए गए पॉकेटमनी का उपयोग भी नशे के लिए करते है। नशा अमीरों की शान भी माना जाता है, नशेडिय़ों को लगता है कि नशा करने से उनका रुतबा स्टेटस सबको दिखेगा। जो व्यक्ति शिक्षित है, वो भी नशा से दूर नहीं है।
सिनेमा का प्रभाव
टीवी, फिल्मों में खुलेआम शराब, सिगरेट, गुटखा खाते हुए लोगों को दिखाया जाता है, जिससे बच्चे और युवा प्रभावित होते है, और उसे अपने जीवन में उतार लेते है, टीवी पर तो इसके बड़े-बड़े विज्ञापन भी आते है, युवा पीढ़ी टीवी पर देखती है, कैसे किसी का दिल टूटने पर जब गर्लफ्रेंड या पत्नी छोड़ कर चली जाती है तो हीरो शराब पीने लगता है।