छत्तीसगढ़

पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए, क्योंकि जीने का मज़ा तो कुछ आना चाहिए

Nilmani Pal
15 Nov 2024 5:51 AM GMT
पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए, क्योंकि जीने का मज़ा तो कुछ आना चाहिए
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ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

राजधानी के पियक्कड़ों ने जब से यह खबर सुनी है कि अब छत्तीसगढ़ में शराब दुकानों में अब ब्रांडेड शऱाब के लिए सरकार ने एप लांच कर दिया है तब से एक्साइडमेंट देखने को मिल रहा है। हर कोई सबसे पहले यह पता लगाने में जुट गया है कि किस दुकान में कौन-कौन से ब्रांडेंड शराब है, लेकिन दुर्भाग्य की यह एप अभी एक माह के लिए ट्रायल के बाद बंद कर दिया गया है। शराब बिक्री को संचालित करने वाली इकाई आबकारी विभाग शराब के शौकीनों की डिमांड पर शराब की सप्लाई कराएगी । लोगों में शिकायत थी कि जब से भाजपा सरकार बनी है तब से प्रदेश में ब्रांडेड शराब नहीं मिल रही है। घटिया क्वालिटी वाले शराब कंपनी से शराब पिलाई जा रही है। अब इस पर राजनीति गरमा गई है । पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा ने शराब की घर पहुंच योजना की याद दिला दी। भूपेश ने सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि हम करे तो भष्टाचार और आप करें तो शिष्टाचार बन जाता है। ये कैसी डबल इंजन सरकार है जो दो इंजन को जोडक़र सरकार बना दिया गया है। इसमें बोगियों का तो कही अता पता ही नहीं है। भाजपा राजनीति की सारी सुचिता लाँघ चुकी है। अब तो यह सरकार एयरपोर्ट से लेकर शराबों की ब्रांड को लेकर हर साल मड़ई भी लगा देगी तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। . जनता में खुसुर-फुसुर है कि पूर्व सीएम बघेल तो एसा बयान दे रहे है जैसा उनके सीएम के रहते शराब बिकी ही न हो। पियक्कड़ तो नकली शराब पी-पी कर इतने बिदक गए थे कि कांग्रेस की सरकार को ही गटक गए। बहरहाल सरकार का काम जनता को सुविधा उपलब्ध कराना होता है । जनता चाहे पीने वाली हो या खाने वाली सबका ध्यान रखना जरूरी है। एप लागू हो या न हो पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए। इसी बात किशोर कुमार की गीत याद आया पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए, क्योंकि जीने का मजा तो कुछ आना चाहिए।

विशेष प्रजाति के गिद्द भी खुश

जब से सीएम साहब की पहल पर गिद्धों पर कार्यशाला की खबर जनता के बीच पहुंची है तब से शहर के एक वर्ग विशेष में उत्सुकता इस कदर देखने को मिल रही है कि सभी लोग गिद्धों को संरक्षित करने को लेकर इतने गंभीर नजर आ रहे है कि उन्हें लग रहा है कि जैसे वो स्वयं वन्यज़ीव हो और अपने संरक्षण के लिए आतुर हैं। जब भी प्रदेश में सरकार बदलती है सरकार सरकारी गिद्धों को संरक्षित करने में सबसे पहला काम करती है। मुख्यमंत्री की पहल पर छत्तीसगढ़ में विलुप्त होने के कगार पर पहुंचे वन्य जीव प्रजातियों के संरक्षण की दिशा में वन विभाग द्वारा कार्य किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में वन विभाग द्वारा 15 नवम्बर को नवा रायपुर स्थित अरण्य भवन में गिद्ध संरक्षण पर कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें विभिन्न राज्यों में गिद्ध संरक्षण हेतु कार्य कर रहे विशेषज्ञ राजधानी रायपुर में गिद्धों के संरक्षण गहन विचार विमर्श किया। कार्यशाला में विशेषज्ञ और शोधार्थी अपने अनुभव साझा करेंगे और मध्य भारत में विशेषकर छत्तीसगढ़ में गिद्ध संरक्षण के क्षेत्र में अपने-अपने सुझाव प्रस्तुत किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य न केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि संपूर्ण देश में गिद्ध संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना और गिद्ध संरक्षण में सामूहिक सहभागिता को बढ़ावा देना है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यह खबर पूरे देश में आग की तरह फैल गई है। इस खबर ने सारे गिद्धों को एक मंच पर एकित्रत कर दिय़ा है। देश भर में सबसे शोषित औऱ विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी गिद्धों के जीवित परीक्षण के लिए सीएम हाऊस में कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें नाना प्रकार के गिद्धों को देखकर सीएम साहब मुस्कुरा दिए । उन्होंनो तत्काल घोषणा कर दी कि हम हर हाल में गिद्धों को संरिक्षत करेंगे। इससे पहले भूपेश बघेल ने तो गिद्धों के लिए अलग से एख पार्क ही बनवा दिया जिसमें सारे संरक्षित गिद्ध आकाश से चारे पर नजर रखते हुए उदर पूर्ति कर लेते थे। जिससे वो पूरी तरह संरक्षित हो गए थे लेकिन अब विलुप्त हो गए है। इस तरह की कार्यशाला हर सरकार को करनी पड़ती है ताकि वन्यजीवों संरक्षित रखने का य़ह एक सरकारी उपक्रम है.।

एसडीएम पर शनि की वक्र दृिष्ट..

प्रदेश में इस समय सरकारी दफ्तरों खासकर कलेक्ट्रेट और तहसीली में शनि का प्रकोप साफ दिखाई दे रहा है। लगातार कलेक्टरों के ट्रांसफरों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं दूसरी ओ्ंर एसडीएम को नेता पीट रहे है या रिश्वत लेते पकड़ा रहे है। ले देकर तो सहकारी समितियों के प्रबंधकों की हड़ताल खत्म हुई है और ये नया झमेला शुरू हो गया है। कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि जिन एसडीएम के साथ पटवारी जैसे महाबलशाली रणनीतिकार होने के बाद भी मात्र दस हजार रुपए रिश्वत लेते एसडीएम को एसीबी ने धऱ दबोचा । वही गरियाबंद के एसडीएम की गाड़ी के परखच्चे उफड़ पर एसडीएम साहब बाल-बाल बच गए। जनता में खुसुर फुसुर है करोड़ों रुपए गटककर डकार तक नहीं वाले बस्दोबस्त विभाग में एसडीएम ने 10 हजार लेकर पहली बार विभाग की इज्ज्त में बट्टा लगा दिया। प्रदेश भर के एसडीएम को अपने कार्यालय में शनि का शांति पाठ करना चाहिए ताकि शनि की वक्री से मुक्त होकर अंगद की तरह एक ही जगह जमकर मठाधीश बन जाए। कोई भी पैसा देने के बाद एसीबी में शिकायत नहीं कर पाए।

सबका साथ सबका विकास...

प्रदेश की जनता को डबल इंजन सरकार का फायदा मिलते दिख रहा है। केन्द्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के प्रथम चरण में आवासहीन हितग्राहियों को आवास की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। ऐसे हितग्राही जिन्हें प्रथम चरण में आवास की सुविधा नहीं मिल पाई है, और जो अभी तक आवास की सुविधा से वंचित है, उन्हें द्वितीय चरण [प्रधानमंत्री आवास योजना में सर्वेक्षण के माध्यम से चिन्हांकित करते हुए आवास के लिए आवेदन की प्रक्रिया और आवास उपलब्ध कराए जाने की कार्यवाही की जाएगी। राज्य के शहरों में आबादी बढऩे के साथ ही आवास की मांग भी लगातार बढ़ रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे कि वे सम्मानजक जीवन व्यतीत करने के साथ ही खुद के आवास के सपने को भी साकार कर सकें। जनता में खुसुर फुसुर है कि ये सरकार वाकई डबल इंजन सरकार है,जिसमें जनता के साथ मुख्यमंत्री और मंत्रियों तक मकान उपलब्ध करा दी है। कुछ लोग कह रहे है कि यही तो सबका साथ और सबका विकास का मूल मंत्र है जिसमें एक इंजन और एकडिब्बा लगा दिया है कि हमने ही बनाया है हम ही संवारेगे।

रायपुर दक्षिण को लेकर गणितज्ञों के छूट रहे पसीने

रायपुर दक्षिण में मुगालते की खेती करने वाले इस बार दाल आटे का भाव पता चल गया है। कम मतदान से भाजपाइयों में मायूमियत देखी जा रही है। एक पूर्व मंत्री और बृजमोहन अग्रवाल के खास सखा अजय चंद्रांकर ने तो यहां तक कह दिया कि अब आने वाले चुनावों में मतदान अनिवार्य कर देना चाहिए निर्वाचन आयोग को। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पिछले 8 विधानसभा चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल चुनाव लड़ते रहे है। इस बार उम्मीदवार बदलते ही उम्मीद करने वालों ने अपने हाथ खींच लिए । लोगों ने यहां तक कहा कि हम एक नहीं दो विधायक होंगे उसके बाद भी लोग मतदान के लिए घर से नहीं निकले। यहां भी लोगों को डबल इंजन का फार्मूला रास नहीं आया। ये बृजमोहन का वृंदावन है यहां सुदामा की कोई सुनता ही नहीं ।

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