- आरडीए की मनमानी, सरकार भी खामोश
- इंद्रप्रस्थ फेज-2 के हितग्राहियों को रियायत नहीं
- आरडीए ने ईडब्ल्यूएस- एलआईजी प्लैट की किमतों में 20 फिसदी इजाफा किया
- जीएसटी में भी वसूल रहे मनमाना सरचार्ज
- किराया और लोन के बोझ तले दबे हितग्राहियों कोप्लैट खरीदना पड़ गया भारी
अतुल्य चौबे
रायपुर। महामारी के दौर में रायपुर विकास प्राधिकरण इंद्रप्रस्थ फेज-2 के हितग्राहियों के छाती में मुंग दल रहा है। घाटे में होने और रा-मटेरियल की कीमतों में वृद्धि के बहाने हितग्राहियों पर दो से ढाई लाख का अतिरिक्त बोझ डाल रहा है। स्ववित्तीय योजना में फ्लैट के मूल्य में बदलाव का हवाला देकर आरडीए मनमानी बढ़ोत्तरी कर हितग्राहियों पर अंतिम किस्त एकमुश्त जमा करने का दबाव बना रहा है। पिछले तीन सालों से लोन का ब्याज और मकान किराए के दोहरी मार झेल रहे लोगों के लिए आरडीए की इस योजना के तहत फ्लैट ख्ररीदना अब गले की फांस बन गया है। उनसे न उगलते बन रहा है और न निगलते ही बन रहा है। आरडीए ने दो टूक कह दिया है कि मूल्य वृद्धि वापस नहीं होगी। वह रकम जमा करने के लिए हितग्राहियों को लोन एक्सटेंशन कराने की सलाह दे रहा है, लेकिन 6 हजार की किस्त पटाने के लिए जूझने वाला व्यक्ति 10 हजार की किस्त कैसे पटा सकेगा। प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर आरडीए की कमाई की योजना से हितग्राही अब छला हुआ महसूस कर रहे हैं।
6.75 लाख का फ्लैट 8.10 का हुआ
आरडीए ने इस योजना के तहत जब फ्लैट का पंजीयन कराया तब ब्रोशर में एलआईजी फ्लैट की कीमत 6.75 लाख और इसके साथ मेंटनेंस चार्ज(मूल्य का7.5 फीसदी) 51 हजार रुपए के साथ अनुमानित कीमत 7.33 लाख बताया था। इसके लिए 66 हजार रुपए का 10 तिमाही किस्त तय किया गया था। दस किस्तों में हितग्राहियों से 6.70 हजार जमा कराया गया. अंतिम किस्त 63 हजार रुपए के साथ हितग्राहियों को लागू टैक्स जमा करने का उल्लेख था। सनद रहे अनुमानित कीमत में 7.33 लाख में बाह्य रख-रखाव शुल्क एकमुश्त 51 हजार(कीमत का 7.5 फीसदी) भी शामिल था। ऐसे में अंतिम किस्त 63 हजार में मेटनेंस चार्ज शामिल था और इसमे सिर्फ टैक्स की राशि जोड़कर हितग्राहियों से अंतिम किस्त लिया जाना चाहिए था, लेकिन आरडीए द्वारा हितग्राहियों को अंतिम भुगतान के लिए जारी किए जा रहे ज्ञापन में फ्लैट का वास्तविक मूल्य 8.10 लाख रुपए और मेंटनेंस चार्ज 61 हजार रुपए कर दिया गया है। इस तरह अनुमानित कीमत से यह राशि लगभग डेढ़ लाख रुपए ज्यादा है जो सीधा-सीधा हितग्राहियों पर मढ़ दिया गया है। इसी तरह ईडब्ल्यूएस की कीमत 52300 हजार कर दिया गया है जो पहले 479000 था. कीमत बढऩे से जीएसटी भी बढ़ गया है। अनुमानित कीमत के मुकाबले ये वृद्धि 20 फीसदी से भी ज्यादा है जो किसी भी कमजोर वर्ग के व्यक्ति के सपने को चूर-चूर करने वाला है। 5-10 फीसदी की वृद्धि तो दूर कीमत में सीधे-सीधे इतनी रकम की बढ़ोत्तरी हैरान करने वाली है।
जीएसटी के नाम पर लूट
आरडीए जीएसटी के साथ मनमाना सरचार्ज भी हितग्राहियों पर लाद रहा है। जबकि आंबटन लेटर में अंतिम किस्त के साथ लागू टैक्स की राशि का भुगतान करने का साफ उल्लेख है। तिमाही किस्त के साथ टैक्स समायोजित नहीं किया गया था और न ही किस्त पटाने के साथ जीएसटी का अतिरिक्त भुगतान करने के संबंध में हितग्राहियों को कोई सूचना दी गई। अब हितग्राहियों पर जीएसटी की लगभग 45 हजार रुपए के साथ 16-17 हजार रुपए का सरचार्ज लगाया जा रहा है। हालाकि मूल्य वृद्धि वापस लेने की मांग कर रहे हितग्राहियों को लालीपाप थमाते हुए आरडीए ने उक्त सरचार्ज नहीं लेने की घोषणा की है। बावजूद जारी ज्ञापन में जीएसटी आनबैलेंस बताकर सरचार्ज जोड़ा जा रहा है। इसके अतिरिक्त लेट से किस्त जमा करने पर भी ब्याज वसूला जा रहा है। कुल ेिमलाकर हितग्राहियों को एलआईजी फ्लैट के लिए लगभग 10 लाख रुपए जमा करने पड़ रहे हैं जो प्रारंभ में घोषित मूल्य के अनुसार अंतिम भूगतान के अनुमान से दो लाख ज्यादा है। इसके साथ ही फ्लैट की रजिस्ट्री के लिए भी लगभग एक लाख खर्च होने की बात कही जा रही है। इसे मिलाकर फ्लैट की कीमत 11 लाख पहुंच जाएगी, जो सब्सिडी की राहत के साथ ज्यादा से ज्यादा साढ़े सात लाख में घर खरीदने का सपना देख रहे हितग्राहियों के लिए करंट लगने जैसा है।
2.70 लाख का भुगतान, रसीद सिर्फ 63 हजार का
ऐसी भी जानकारी मिल रही है कि कुछ एकात हितग्राही जो आरडीए से मिले अंतिम भुगतान के ज्ञापन के आधार पर रकम जमा कर रहे हैं उन्हें ज्ञापन में उल्लेखीत पूरे रकम की रसीद भी नही दी जा रही है और सिर्फ 63 हजार की रसीद थमाई जा रही है। आरडीए को स्पष्ट करना चाहिए कि 2.70 लाख की राशि में से शेष राशि की रसीद क्यों नहीं दी जा रही?
खरीदार तलाशने लगे हितग्राही
आरडीए द्वारा रेट बढ़ाने से परेशान हितग्राही फ्लैट की किश्त जमा करने के साथ लोन का ब्याज भी पटा रहे हैं इससे पहले ही उनका बड़ा नुकसान हो चुका है इस पर बढ़े रेट के साथ शेष रकम जमा कर पाना अब बहुतों के लिए मुश्किल हो रहा है। चूंकि वे पहले से ही लोन के ब्याज के रूप में नुकसान झेल रहे हैं ऐसे में आरडीए को फ्लैट लौटाकर कोई भी अपना और नुकसान नहीं कराना चाहता इसलिए कई हितग्राही आबंटित फ्लैट को बेचने के लिए ग्राहक तलाश रहे हैं, चूंकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पांच साल तक फ्लैट की रजिस्ट्री किसी और के नाम नहीं हो सकती इसलिए आपसी सहमति से लिखापढ़ी कर जो फ्लैट खरीद सके ऐसे ग्राहक की तलाश कई हितग्राही कर रहे हैं ताकि नुकसान की भरपाई हो सके।
सरकार की खामोशी बढ़ा रही चिंता
लेट लतीफी और रेट बढऩे से परेशान हितग्राहियों के लिए इस पूरे मसले पर सरकार की खामोशी हैरान करने वाली है। हितग्राहियों का मानना है कि सरकारी योजना और वह भी कमजोर व निम्न आय वर्ग से जुड़े होने के बाद भी मामले में मुख्यमंत्री और सरकार का संज्ञान न लेना तकलीफ देने वाला है। आरडीए और हाउसिंग बोर्ड ने बिना प्लानिंग कई आवासीय और कामर्शियल प्रोजेक्ट में करोड़ों-अरबों फंसाये हैं। बिक्री के अभाव में ऐसे कई प्रोजेक्ट्स की फ्लैट्स-दूकाने आदि आज तक बिक नहीं सकी है। सरकार उन प्रोजेक्ट्स की मकानों को बेचने के लिए हाउसिंग बोर्ड को कीमतों में रियायत देने की छुट दे रखी है। पीएम आवास योजना वर्ग विशेष के लिए सब्सिडी व अन्य राहतों के साथ लोगों के आवास की जरूरत पूरा करने की योजना है, जिसके कारण ही इन्द्रप्रस्थ फेज-2 की सभी एलआईजी और ईडब्ल्यूएस फ्लैट आसानी से बिक गए। यही बात आरडीए को कमाई का रास्ता दिखा गई और उसने अपने कुप्रबंधन और लापरवाही पर शर्मिंदा होने की जगह हितग्राहियों को मूल्य वृद्धि की चोट दे दी। मुख्यमंत्री को इस पर स्वत: संज्ञान लेकर हितग्राहियों को राहत देने की घोषणा करनी चाहिए।