छत्तीसगढ़

रात में कुत्ते हो रहे हमलावर, लोगों को जान का खतरा

Nilmani Pal
13 Nov 2022 5:25 AM GMT
रात में कुत्ते हो रहे हमलावर, लोगों को जान का खतरा
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आवारा कुत्तों के दौड़ाने से हादसे का शिकार हुआ युवक, इलाज के दौरान मौत

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। रायपुर में सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्ते एक परिवार के लिए जिंदगीभर के दर्द का कारण बन गए। घर का कमाने वाला सदस्य इनकी वजह से छिन गया। अब परिवार में मातम है। दरअसल एक युवक को रात के वक्त कुत्तों से दौड़ा दिया। वो बाइक पर था। कुत्तों की वजह से उसका संतुलन बिगड़ा और वो हादसे का शिकार हो गया। एक सप्ताह तक चले इलाज के बाद अब युवक की मौत हो गई।

ये घटना शहर के गुढिय़ारी इलाके की है। रात के वक्त दुलेश साहू नाम का युवक बाइक से अपने घर जा रहा था। अक्सर सड़कों पर रहने वाले आवारा कुत्ते बाइक सवार या कार सवारों को दौड़़ाते हैं। इसी तरह दुलेश को भी भौंककर दौड़ाने लगे, उसपर झपटने लगे। इस वजह से संतुलन खोकर दुलेश गिर पड़ा। सिर पर गहरी चोट आई। कुछ देर सड़क पर ही पड़ा रहा, फिर राहगीरों ने अस्पताल पहुंचाया। जहां उसकी जान चली गई। जानकारी के मुताबिक दुलेश एलआईसी एजेंट का काम करता था। परिवार के साथ गुढिय़ारी इलाके में ही रहता था। लोगों ने बताया कि गुढिय़ारी समेत आस-पास के इलाकों में इसी तरह रात में आवारा कुत्तों का जमावड़ा रहता था। जो अक्सर राहगीरों को दौड़ाते हैं। इनकी वजह से कई लोग हादसे का शिकार हो चुके हैं। संतोषी नगर से सेजबहार जाने वाली सड़कों पर भी इसी तरह के कई हादसे हो चुके हैं।

हर दिन डॉग बाइट की 10 से ज्यादा घटनाएं: कुत्तों के हमले से बचने के लिए भागते हुए गिरकर चोटिल एक युवक की मौत के बाद राजधानी में डाग बाइट्स को लेकर फिर बवाल मच गया है। लगातार डाग बाइट की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन उन्हें नियंत्रित करने के लिए लोकल एजेंसियों के पास कोई पुख्ता प्लान नहीं है। अस्पताल में हर दिन 8 से ज्यादा लोगों का इलाज हो रहा है। अकेले अंबेडकर अस्पताल में पिछले छह महीने में हर दिन तीन की औसत से 500 से ज्यादा मामले पहुंचे हैं।

निजी और सरकारी अस्पतालों के आंकड़े 1500 से ज्यादा हैं। नगर निगम कुत्तों पर नियंत्रण के लिए किसी प्लानिंग पर अमल शुरू नहीं कर पाया है। कार्रवाई के नाम पर निगम के अस्पताल में कुत्तों की नसबंदी की जा रही है। शिकायत आने पर निगम का अमला पहुंचकर कुत्ते उठा लेता है और फौरी तौर पर नसबंदी कर उन्हें छोड़ दिया जाता है।

पिछले कई सालों से शहर में कुत्तों की न तो गणना की गई है और न ही वास्तविक आंकड़े इकट्ठे हुए हैं। फिर भी अनुमान के मुताबिक उनकी संख्या 10 हजार से ज्यादा बताई जा रही है। रात के समय किसी भी इलाके गुजरने पर आठ से दस कुत्तों का झुंड सड़क पर रहता है। उनकी झुंड हो तो पैदल गुजरना मुश्किल होता है। बाइस में आने-जाने वालों को भी अब वे नहीं छोड़ते।

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