डॉक्टर का कारनामा: एक से दो करोड़ में सौदा कर दूसरे को 76 लाख में बेची जमीन
अतुल्य चौबे
लैंड बिक्री का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया, पीडि़त खरीदार ने न्यायालय में वाद दायर किया तब जा कर मामले में हुई एफआईआर
विक्रेता ने पीडि़त को 2.12 करोड़ में दो प्लाट बेचने का विक्रीनाम निष्पादित कर 48 लाख अग्रिम भुगतान लिया
विक्रेता ने कुछ महिने बाद उन्हीं दो प्लाटों को 3 अन्य पार्टियों को सिर्फ 76 लाख में बेच कर रजिष्ट्री निष्पादित करा दी
पीडि़त खरिदार से प्राप्त 48 लाख रुपए को नान रिफंडेवल बताया
पीडि़त खरिदार ने मामले में न्यायालय में वाद दायर किया, न्यायालय के आदेश पर पंडरी थाने में एफआईआर दर्ज
रायपुर। राजधानी में जमीन खरीद-बिक्री करने के नाम पर फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सड्डू का है जहां एक डाक्टर ने अपनी दो जमीन का सौदा पहले एक व्यक्ति से लगभग दो करोड़ में किया और उससे लगभग 48 लाख रूपया अग्रिम भी ले लिया लेकिन कुछ दिन बाद उसी जमीन को 76 लाख रुपए में तीन अन्य लोगों को बेच दिया। पीडि़त ने इस मामले में पहले पुलिस से शिकायत की लेकिन मामला दर्ज नहीं होने पर न्यायालय में वाद दायर किया, जिस पर न्यायालय ने पुलिस को मामला दर्ज कर प्रकरण की जांच के आदेश दिए हैं। न्यायालय के आदेश के बाद पंडरी थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
यह पूरा मामला पंडरी थानांतर्गत सड्डू का है जहां कैपिटल होम्स अंबूजा माल के पीछे सड्डू निवासी महिला बुंदकुंवर पति उग्रसेन पटेल ने अवनिविहार दलदल सिवनी निवासी डॉ. रोहिणी कुमार पटेल पिता रघुवीर सिंह पटेल से उसके मालिकाना हक की जमीन खसरा क्रमांक 356/5 रकबा 6136 वर्गफुट तथा खसरा क्रमांक 356/14 रकबा 6027 वर्गफूट को 2,12,85,250(दो करोड़ बारह लाख पच्यासी हजार दो सौ पचास) रुपए में क्रय किया और 07/जुलाई/2021 को शगुन के तौर पर 51,000 हजार रुपए तथा विक्रेता के द्वारा मांगे जाने पर 5,00000 लाख रुपए14/जुलाई/21 को कैश और आरटीजीएस के जरिए दिया। इसके उपरांत विक्रेता द्वारा 16/जुलाई/21 को दोनों खसरा नंबरों की जमीन का दो अलग-अलग विक्रय इकरारनामा तैयार करवाया और इसी दिन दोनों पक्षकारों ने विक्रय ईकरारनामा निष्पादित किया। इसके उपरांत क्रेता बुदकुंवर पटेल द्वारा 15 जुलाई 2021 से 04/अक्टूबर/21 तक विक्रेता को कुल 48, 51000 रुपए का अलग किस्तों में भुगतान किया गया। इसी दौरान विक्रेता ने क्रेता के पुत्र के मोबाइल नंबर-93297-09600 पर एक मैसेज किया जिसमें प्लाट को बेच देने की बात कहते हुए क्रेता द्वारा विक्रय इकरारनामा की शर्तो तथा पूरा पेमेंट नहीं करने के चलते दिए गए रकम रिफंडेबल नहीं होने की बात अंग्रेजी में लिखी गई थी। इसके बाद क्रेता ने अपने वकील से संपर्क कर विक्रेता को जमीन क्रय करने तथा संबंधित संपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए सूचना प्रेषित की। समय पर दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाने पर उसने समाचार पत्र में एक इश्तिहार देकर उसके द्वारा उक्त जमीनों का विक्रय ईकरारनामा निष्पादित करने की सूचना 05/अग/ 21 को प्रकाशित करवाई। इसके बाद 14/मार्च/22 को एक सूचना पत्र भेजकर जमीन का पंजीयन निष्पादित कराने का अनुरोध किया। इसके बाद भी विक्रेता डॉ रोहिणीकुमार पटेल ने 17 मई 2022 और 25 मई 2022 को तीन अन्य खरीददारों को दोनों प्लाट 76 लाख में बेच कर रजिस्ट्री करवा दी।
सरकार को लगाया राजस्व का चूना
उक्त जमीन की खरीदी के पेटे आवेदक ने 48 लाख भुगतान किया। इसी दौरान आवेदक के पुत्र मोबाइल में मेसेज आया कि आपने किए गए अनुबंध के अनुसार भुगतान नहीं की। आवेदिका के पुत्र क्षीरसागर पटेल को बुखार आया ता, जांच करने पर पता चला कि वह कोरोना से पीडि़त है। 15 दिनों तक क्वारेंटाइन में रहना पड़ेगा। 15 दिनों तक क्वारेंटइन की सूचना अनावेदक के पास भेजा गया। मेसेज की जानकारी के पश्चात अवेदिका व्दारा अपने अभि अधिवक्ता व्दारा सूचना देकर बताया कि आवेदिका को आवश्यक उपरोक्त खरीदने को तैयार है। तत्कालीन समय के शासकीय के अनुसार अनावेदक को आवश्यक दस्तावेज उपलब्थ कराने का मांग किया किंतु आनावेदक ने कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया। अनावेदक की आपराधिक वृत्ति को देखते हुए आवोदिका ने 28 जनवरी को प्रमुख अखबारों में आम सूचना प्रकाशित कराया कि उक्त जमीन को आवेदिका खरीद चुकी है, कोई अन्य व्यक्ति या संस्था इस संपत्ति को न खरीदे। इसके पूव4 बी इकरार नामा होने के पश्चात आवोदिका व्दारा अखबार में स्वामित्व बाबात उजर एवं आहूत करते हुए स्वामित्व की जांच के लिए सूचना प्रकाशित करवाया था. वहीं अधिवक्ता के माध्यम से सूचना पत्र भेजकर अनावेदक से प्रार्थना किया कि विक्रय मूल्य प्राप्त कर विक्रयशुदा संपत्ति को आवोदिका के पक्ष में पंजीयन करावे। इसके बाद भी अनावेदक व्दारा 17 मई 22 एवं 25 मई 22 को बेइमानीपूर्वक आवेदिका को धोखा देने की नियत से छल पूर्वक इकरारशुदा पूर्व के संपत्ति दोनों खसरा की जमीन को 76 लाख में विक्रय कर दिया। खरीददार एजी अग्रवाल व्दारा भागीदार प्रशांत गोयल पता बस्तर बाड़ा फाफाडीह रायपुर दूसरा मंगलम एसोसिएट व्दारा भागीदार अंकित अग्रवाल पता आस्था आपार्टमेंट संकर नगर रायपुर। तीसरा पियूष जैन पता जे-10 नाकोड़ा भैरव सोसायटी पचपेड़ी नाका रायपुर। चौथा उत्तम रूपरेला पता मारूति होरीटेज के बाजू पचपेड़ी नाका रायपुर। आवेदिका संपूर्ण संपत्ति विक्रयशुदा को कुल दो करोड़ 12 लाख 85 हजार 250 रुपए में खरीदने का सौदा किया था। किंतु आनावेदक ने शासन का चूना लगाने के लिए धोखा दोकर स्टाम्प ड्यूटी रजिस्ट्रेशन फीस 12 लाख का चूना लगाया। अनावेदक और थर्ड पार्टी क्रेतागणों ने दुर्भावनापूर्वक आवेदिका जो एक वृद्ध महिला जो अशिक्षित है उसे छल पूर्वक धोखका देने की मंशा से संपत्ति हड़पने का प्रयोजन के लिए कूटरचना करने का अपराध किया। जो दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। इस धोखाधड़ी की रिपोर्ट आवेदिका ने थाना प्रभारी मोवा को लिखित में शिकायत दर्ज कराई। किंतु थाने में संज्ञेय अपराध होने पर न तो अपराध दर्ज किया और न ही जांच किया। जमीन के क्रेता नामांतरण के लिए प्रयास कर रहे है एवं नामांतरण पश्चात इकरारनामाशुदा संपत्ेित का पुन: अंतरण भी कर सकते है। आवेदिका बुंदकुंवर पटेल ने गुहार लगाई है कि उसे प्रशासन सुरक्षा दे और न्याय दिलाए।
नकली दस्तावेज होते तैयार
भू-माफियाओं द्वारा जमीनों को जानबूझकर विवादों में लाया जाता है। जब यह विवादों में आ जाती है, तो जमीन मालिक उस जमीन को खोने के डर से सस्ती दरों पर भी बेचने के लिए तैयार हो जाते है। ऐसे में मध्यस्थता निभाने के लिए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि या बड़े छुटभैय्ये नेता आगे आते है। उनके द्वारा इन जमीनों को अपने खास लोगों को सस्ती दरों पर दिलवा दिया जाता है। इस तरह से महंगी जमीन भी सस्ती दर पर भू-माफियाओं को मिल जाती है। ऐसी कई शिकायतें पुलिस के पास पहुंचती है, जिसमें जमीन पर जानबूझकर कब्जा करने या उसके नकली दस्तावेज तैयार करने का मामला सामने आता है। पुलिस द्वारा ऐसे लोगों को चिन्हित जरूर किया जाता है, लेकिन उन पर कार्रवाई करने में सालों लग जाते है।
भू माफिया पर लगाम जरूरी
राज्य में सरकारी भूमि पर कब्जे की होड़ चिंताजनक है। यह चिंता सोमवार को विधानसभा की चर्चा में भी दिखी। शहरों में सक्रिय भू माफिया की राजस्व विभाग में गहरी पैठ है। सभी एक गिरोह की तरह काम करते हैं। राजस्व अमले की साठगांठ से शहरों की बेशकीमती जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है। तालाब, पार्क, नाली, सड़क हर जगह ताबड़तोड़ अवैध कब्जे हो रह हैं।
विभागीय मंत्री ने विधानसभा में बताया कि राज्य में भूमि पर अवैध कब्जे की 18,030 शिकायतें दर्ज की गई हैं, हालांकि निराकरण सिर्फ 8,199 प्रकरणों का ही हो पाया है। आरोप है कि जब से सरकार ने सरकारी दिशा निर्देश का 152 प्रतिशत देकर जमीन देने की घोषणा की है भू माफिया स्कूल कालेज की जमीन पर कब्जा करने में तेजी से जुट गए हैं। बिलासपुर व राजनांदगांव जिलों में अवैध अतिक्रमण की 1088 शिकायतें दर्ज की गई हैं। महासमुंद में 1213, दुर्ग में 1022 व रायपुर में 870 बेजा कब्जे हुए हैं। कोरबा में रेवेन्यू इंस्पेक्टर और पटवारी निलंबित किए गए हैं। भू माफिया राजस्व अमले का गठजोड़ इतना खतरनाक है कि नक्शा और खसरा में हेरफेर कर भूमि का स्थल परिवर्तन करने से भी नहीं चूकते।
हाल ही में बस्तर में रेल लाइन के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण में एक अरब रुपये से ज्यादा का घोटाला सामने आया है। दो आरोपितों ने अधिकारियों से साठगांठ कर गांव की जमीन को शहरी क्षेत्र का बताया, और भी गड़बडिय़ां कीं तथा मुआवजा ले लिया। हाई कोर्ट ने हालांकि अब आरोपितों से पैसा वापस करने को कहा है। राज्य में जमीन का खेल किस स्तर पर चल रहा है यह उसकी बानगी भर है। वहीं इसी परियोजना के लिए वन भूमि से विस्थापित आदिवासी परिवार न्यूनतम क्षतिपूर्ति के लिए कार्यालयों का चक्कर काटते दिख जाते हैं। इसके साथ ही नियमों को ताक पर रखकर नित्य नई कालोनियां खड़ी हो रही हैं। बस्तर समेत अन्य आदिवासी इलाकों में इसलिए भी भूमि की मारामारी है कि वहां आदिवासियों की भूमि को गैर आदिवासी नहीं खरीद सकते हैं। वर्षों से सरकारी भूमि पर काबिज लोगों को उस भूमि का अधिकार देने की योजना नि:संदेह अच्छी है किंतु यह भी देखा जाना चाहिए कि इस घोषणा का असर क्या हुआ है? इसकी आड़ में बहुमूल्य सरकारी भूमियों की हेराफेरी के खेल पर सरकार को सख्ती बरतनी होगी। सरकारी भूमि पर कब्जे के प्रकरणों के निपटारे में तेजी लानी चाहिए। जमीन का व्यवसाय करने वालों व सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत की जांच की जानी चाहिए। आवेदिका ने कोर्ट के आदेश और एफआईआर की कॉपी, जमीन के दस्तावेज जनता से रिश्ता को उपलब्ध कराई है।
विक्रेता ने नहीं दी प्रतिक्रिया
जनता से रिश्ता ने इस फर्जीवाड़ा को ले कर जब जमीन विक्रेता डॉ. रोहिणी कुमार पटेल से बात की तो उन्होंने इस पूरे मामले को फर्जी बताया। लेकिन जब उन्हें एफआईआर की कॉपी प्रेषित कर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कॉल रिसिव नहीं किया। मैसेज करने पर भी उन्होंने रिप्लाई नहीं किया।