छत्तीसगढ़

संवेदनहीन हुए Doctor...जान बचाना नहीं, फीस जरूरी

Nilmani Pal
27 Jun 2024 5:46 AM GMT
संवेदनहीन हुए Doctor...जान बचाना नहीं, फीस जरूरी
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मरीज से लाखों वसूलना डाक्टरों का मूल मंत्र, मरीज जिये या मरे उनकी बला से...

छत्तीसगढिय़ा मरीजों को बाहर से आए डाक्टर मशल पावर व्दारा डरा धमका रहे हैं

गुंडे और बाउंसरों को वसूली के लिए रखा जा रहा है

राजधानी के बड़े-बड़े निजी अस्पतालों में मरीज लाने के दलाल सक्रिय

हेल्थ इंश्योपेंस के नाम पर लूट, दूसरे राज्यों से बड़े कमीशन और आयुष्मान के नाम पर दलाल सक्रिय

रायपुर raipur news। राजधानी के बड़े निजी फाइव स्टार अस्पतालों Hospitals मेंमौत के सौदागरों का कब्जा है। जो दूसरे राज्यों के मरीजों के परिजनों को आयुष्मान और कम खर्चे में दिल्ली मुंबई, चेन्नई जैसे इजाल का झांसा देने वाले दलाल सक्रिय है जो राजधानी के बड़े-बड़े अस्पतालों के लिए मोटे कमीशन पर काम करते है। अस्पताल में मरीज आने के बाद उनका कमीशन पक जाता है और वो मरीज के संपर्क से दूर हो जाते है। राजधानी के अस्पतालों में दलालों के माध्यम आने वाले मरीज को डाक्टर बकरा समझ कर सिर्फ लुटने के लिए इलाज के नाम पर मजाक करता है ताकि उसका लाखों का बिल बन जाए। मरीज मरे या जीये उनका कोई सरोकार नहीं होता। सिर्फ बिल वसूलने तक इलाज के नाम पर मजाक करते रहते है। ताकि मरीज के परिवार से लाखों की कमाई कर सके। राजधानी के डाक्टरों के दलाल उड़ीसा, एमपी, यूपी, बिहार, तेलगांना, केरल, तमिलनाडु के सीमावर्ती राज्यों में सक्रिय है जो मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करते है।

फीस लेने में भी लूट

chhattisgarh news डाक्टरी की विशिष्टता हासिल कर चुके डाक्टरों की फीस क्या होनी चाहिए आज तक कोई तय नहीं कर सका, जिसका फायदा डाक्टर उठा रहे हैं और गरीबों का खून चूस रहे हैं। किसी डाक्टर की फीस 50 रुपए तो किसी का 700 रुपए सिर्फ देखने की, और दवाई वगैरह का खर्च अलग से। एक डाक्टर एमबीबीएस करने के बाद अपनी निजी क्लिनिक खोलकर मात्र 5 साल में करोड़ों के अस्पताल का मालिक बन बैठता है कहां से आता है इतना पैसा, दवाइयों में भी इनका कमीशन होता है कैसी विडंबना। डाक्टर वही दवाई लिखते हैं जिसमें इनका कमीशन होता है।

अस्पताल जाना मंजूर नहीं करते

संवेदनहीन हो चुके इन डाक्टरों पर लगाम कसना सरकार की जिम्मेदारी है । ताकि छत्तीसगढ़ के मरीज निजी अस्पताल में इलाज कराने जाए तो बाउंसरों के और डाक्टरों के शिकार न बने । इस सेवा के पेशे को डाक्टरों ने इतना बदनाम कर दिया है कि लोग घर में मर जाना चाहते है पर अस्पताल जाना मंजूर नहीं करते ।

बाउंसर वाला अस्पताल, इलाज कराओ और पिटाई खाओ

राजधानी के तथाकथित अस्पतालों में डाक्टर और मरीज की जगह बाउंसरों ने ले ली है। निजी अस्पताल के डाक्टर के साथ बाउंसरों की सुरक्षा मरीजों और उनके परिवाररों को मारने के लिए रखा जाता है ताकि पैसे वसूली में आनाकानी करें तो जमकर धुनाई कर सके।

जैसे कि राजधानी के राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र में श्री शंकरा अस्पताल Sri Sankara Hospitalमें ओडिसा के भारवान निवासी गेंदलाला की रायपुर में इलाज के दौरान मौत हो गई। मामलें में मृतक के परिजनों ने ये आरोप लगाया है कि अस्पताल प्रबंधन ने मरीज के परिजनों को इसकी सूचना नहीं दी और जब परिजनों ने अस्पताल में अपने मरे हुए मरीज को देखने के बात कही तो परिजनों के साथ अस्पताल प्रबंधन के डायरेक्टर ने ही खुद बहसबाजी करते हुए मरीज के परिजनों के साथ मारपीट की है। प्रबंधन के लोगों ने भी मरीज के परिजनों को बुरी तरह से पीटा है। सूत्रों के अनुसार डॉक्टरों ने मृतक के परिजनों पर ही अस्पताल में बवाल का आरोप लगा दिया है। जिसकी वजह से पुलिस ने मृतक के परिजनों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज किया है।

आपको बता दें कि अस्पतालों में कई ऐसे दलाल अस्पताल के बाहर बैठे रहते है जो कि ग्रामीण मरीजों को अपने जाल में फंसाकर सरकारी फंसाकर निजी अस्पतालों में मरने के लिए भेज देते है। परिजनों ने आरोप लगाया है कि श्री शंकरा अस्पताल में डॉक्टरों ने उनके मरीज गेंदलाला को कमर दर्द के नाम लेकर एक बड़ी सर्जरी कर दी जिसके बाद मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मरीज को अस्पताल के डॉक्टर इलाज के बहाने आईसीयू में एडमिट किया जहां परिजनों को जाना मना था। जिसके बाद जब मरी? की मौत हो गई उसके बाद डॉक्टरों ने मरीज के परिजनों को मौत की सूचना दी है।

अस्पतालों के बाहर खड़े रहते कई बड़े दलाल

अस्पतालों के बाहर खड़े दलाल ना केवल मरीज को अस्पताल में भर्ती कराते है बल्कि दूर-दराज से आने वाले मरीजों को अस्पताल के डॉक्टर से जोडऩे और चिकित्सा सेवाओं की व्यवस्था करने का भी वादा करते थे। अधिकांश सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए मरीजों की लंबी कतारें लगी रहती हैं। ऐसे में ये दलाल मरीजों के परिजनों से सांठ-गांठ कर लाइन में आगे कर देते थे। इसके लिए वह मोटी रकम लेते है। बता दें कि रायपुर समेत राज्य के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में मरीजों की लंबी कतारें लगी रहती हैं।

कई बार अस्पताल में बिस्तरों की कमी के कारण मरीजों को लौटा दिया जाता है। उन्हें दूसरे अस्पताल भेजा जाता है। ऐसे में मरीजों को कई अस्पताल में भटकना पड़ता है। इस समस्या से बचने के लिए कई लोग इन दलालों के चंगुल में फंस जाते हैं। बहुत से लोग किसी मरीज को भर्ती करने या डॉक्टर से संपर्क करने के लिए अपने पैसे चुकाते हैं। इस बार रायपुर पुलिस ने इस दलाली गिरोह को रोकने के लिए कोई न कोई बड़ा कदम उठाना चाहिए। इस दलाली के चलते में रायपुर में श्री शंकर अस्पताल परिसर में डॉक्टरों ने मृत मरीज के परिजनों से मारपीट की। सूत्रों के मुताबिक डॉक्टरों ने राजेंद्र नगर थाने में मामलें को रफा-दफा करने के लिए मोटी रकम की पेशकश दी है। मामलें में राजेंद्र नगर थाना प्रभारी ने बताया है कि इस मारपीट की घटना में अस्पताल प्रबंधन पर धारा 323, 294, 506, 34 के तहत अपराध दर्ज कराया गया है।

जनता से रिश्ता इस वायरल वीडियो की आधिकारिक पुष्टिं नहीं करता है ये वीडियो जनसरोकार के माध्यम से प्राप्त हुई है और मामलें की असलियत और सच्चाई को जानने के लिए संबंधित न्यू राजेंद्र नगर थाने में भी संपर्क किया गया मगर किसी ने कोई जवाब नहीं दिया और मारपीट की घटना घटित हुए श्री शंकरा अस्पताल के स्टाफ से भी और उनके प्रबंधन से भी संपर्क करने का प्रयास किया गया मगर उनसे भी मामलें से संबंधित कोई भी जानकारी या बयान नहीं दिया गया। मामलें की पूरी सच्चाई जानने के लिए लगातार श्री शंकरा अस्पताल के प्रबंधन से संपर्क किया जा रहा है।

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