रायपुर। राष्ट्र संत श्री ललितप्रभ जी ने कहा कि निर्मल और तनावमुक्त जीवन जीने के लिए हर रोज 30 मिनट मेडिटेशन कीजिए, आपको कभी किसी न्यूरो मेडिसिन की जरूरत नहीं पडेगी। मानसिक शांति और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए ध्यानयोग संसार का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है। ध्यान-साधना का मार्ग हमें अन्तर्जगत में ले जाता है जहाँ परमात्मा का साम्राज्य है। ध्यान का लक्ष्य है - अंतर्मन की शांति, अंतर्मन की शुद्धि, अंतर्मन में दिव्य आनंद की अनुभूति। हम श्वास, शरीर और अंतर्मन के साथ एकलयता साधें, और स्वयं को अधिकतम सहज और शांतिमय बनाएँ।
संत प्रवर शनिवार को एमजी रोड स्थित जैन दादावाड़ी में पांच दिवसीय संबोधि ध्यान योग शिविर के दूसरे दिन सैकड़ों साधक भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ध्यान ऐसे स्थान पर करें जहाँ शान्ति, स्वच्छता और एकान्त हो। उस कक्ष में ध्यान करना अधिक श्रेष्ठ है, जिसका ध्यान के लिए नियमित उपयोग होता है। ध्यान में नियमित बैठक के लिए सूर्याेदय का समय अधिक उपयुक्त है। सुबह के समय वातावरण में सहज शान्ति और सौम्यता रहती है। शुरुआत में ध्यान की बीस से तीस मिनट की बैठक हो। ज्यों-ज्यों तन-मन में शांति और सौम्यता आती जाएगी, बैठक का समय स्वत: एक घंटे तक बढ़ता जाएगा।
उन्होंने कहा कि ध्यान में तरक्की के लिए भोजन सदा सात्त्विक करें। ताजा, हल्का और पोषक भोजन करना साधना के लिए उपयुक्त है और स्वास्थ्य के लिए भी। विचारों को सहज-स्वस्थ-सकारात्मक रखें। विपरीत निमित्त या वातावरण उपस्थित हो जाने पर भी मन की शांति को मूल्य दें और प्रत्येक परिस्थिति में प्रसन्न रहें।
इस अवसर पर डॉ मुनि शांतिप्रिय सागर महाराज ने अंतर मन की शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए संबोधि ध्यान एवं सक्रिय योगाभ्यास करवाया।