दिव्यांग छात्र को मिला 23 लाख का पैकेज, कंप्यूटर साइंस के क्षेत्र में है एक्सपर्ट
छत्तीसगढ़। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में अकादमिक स्तर को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण यहां अध्ययनरत एक विद्यार्थी की सफलता के रूप में देखा जा सकता है। अंकित देब कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग के शैक्षणिक सत्र 2017-21 के छात्र रहे हैं। वे दृष्टिबाधित दिव्यांग हैं। विश्वविद्यालय की अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी विद्यापीठ के अंतर्गत आने वाले इंजीनियरिंग विभाग के शैक्षणिक सत्र 2017-21 बीटेक कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के छात्र अंकित देब का चयन अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी गोल्डमैन सैक्स के भारत स्थित बेंगलुरु के लिए हुआ है। उन्हें सालाना पैकेज के तौर पर 23 लाख रुपये मिलेंगे।
अंकित की उपलब्धि को लेकर कुलपति प्रो. आलोक चक्रवाल ने भी अपनी बात कही है कि जिसका संकल्प दृढ़ हो, हौसला बुंलद हो, तैयारी पूरी हो, रास्ता निश्चित हो तो उस रास्ते में मिलने वाली चुनौतियां पायदान का काम करती हैं। अंकित जैसे युवा सफलता का पर्याय बन जाते हैं। दिव्यांगता को जीवन में बाधा न मानते हुए अंकित ने सफलता, साहस और संकल्प की नई इबारत लिखी है जो सभी विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्त्रोत होगी। उन्होंने अंकित की सफलता बधाई देते हुए इसे विद्यार्थियों के लिए आदर्श बताया। उन्होंने कहा कि संकल्प को पूरा करने के लिए इच्छा शक्ति, आदर्श आचरण, समय की पाबंदी, समर्पण एवं एकाग्रता जैसे मूलभूत गुणों को पूरा करना होता है।
कुलपति प्रो. आलोक ने आगे कहा कि अंकित की सफलता संकल्प के साथ सृजनात्मकता और चुनौती को स्वीकर करने की प्रेरणा देती है। उन्होंने मानव-जीवन के सर्वोच्च लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अमृतोपदेश के रूप में जानी जाने वाली भगवत गीता की प्रति अंकित को भेंट की। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार भी उपस्थित थे। छात्र अंकित देब ने बताया कि अगस्त 2021 में गोल्डमैन सैक्स बेंगलुरु में ज्वाइन कर लिया है। अपनी टीम के साथी और मित्र अनुराग त्रिपाठी के साथ विगत दिनों आयोजित हैकाथोन में दृष्टिबाधित लोगों के लिए वर्चुअल स्क्राइब नाम से प्रोडक्ट भी बनाया है। अंकित ने कहा कि चार वर्षों में विश्वविद्यालय से उन्हें हर स्तर पर हर वर्ग से सहयोग मिला साथ ही चुनौती को स्वीकार कर लक्ष्य प्राप्ति का प्रोत्साहन भी मिला। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों को सहानुभूति से ज्यादा अवसर अपेक्षित होता है।