तलाकशुदा महिला ने पूर्व पति की मौत के बाद मांगी अनुकंपा नियुक्ति, हाईकोर्ट से याचिका खारिज
बिलासपुर Bilaspur। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक तलाकशुदा महिला की याचिका को खारिज कर दी जिसमें उसने पूर्व पति की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति compassionate appointment व पेंशन की राशि देने की मांग की थी। रायपुर की उक्त महिला का चर्च में शिक्षा विभाग में पदस्थ युवक से सन् 2005 में विवाह हुआ था। सन् 2008 में पत्नी के आवेदन पर परिवार न्यायालय ने फैसला देते हुए उनके बीच तलाक की डिक्री पारित कर दी। साथ ही पति को प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया। पत्नी उससे अलग रहते हुए गुजारा भत्ता प्राप्त कर रही थी।
chhattisgarh high court इसके बाद सन् 2012 में एक दुर्घटना में युवक की मौत हो गई। इस पर पत्नी को गुजारा भत्ता मिलना बंद हो गया। तलाकशुदा पत्नी ने शिक्षा विभाग में पति के पेंशन, देयक और अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त करने के लिए आवेदन किया। विभाग ने यह कहकर महिला के आवेदन को खारिज कर दिया कि मृतक कर्मचारी ने नामिनी के तौर पर अपने भाई का नाम दर्ज करा चुका है। इस पर महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
High Court प्रकरण की जटिलता को देखते हुए हाईकोर्ट ने मामले में तथ्यों की जानकारी प्राप्त करने के लिए न्याय मित्रों से रिपोर्ट मांगी। इसके बाद सुनवाई पूरी की गई। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक अलगाव और तलाक दो अलग-अलग चीज है। न्यायिक अलगाव में पति-पत्नी के संबंध स्थायी रूप से समाप्त नहीं होते, कुछ निश्चित अवधि के लिए वे अलग रहते हैं। वहीं तलाक हो जाने के बाद पति का वैवाहिक दायित्व समाप्त हो जाता है। इसी तरह पत्नी के अधिकार भी समाप्त हो जाते हैं। न्यायिक अलगाव की स्थिति में कोई पत्नी दावा कर सकती है, मगर तलाक पारित हो जाने के बाद वह पेंशन या अनुकंपा नियुक्ति की मांग नहीं कर सकती।