छत्तीसगढ़

तलाक की अर्जी स्वीकार, CG हाईकोर्ट ने कहा- बार बार खुदकुशी का प्रयास, पति पर क्रूरता

jantaserishta.com
4 Dec 2024 8:19 AM GMT
तलाक की अर्जी स्वीकार, CG हाईकोर्ट ने कहा- बार बार खुदकुशी का प्रयास, पति पर क्रूरता
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छत्तीसगढ़.
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने पति की तलाक की अपील स्वीकार करते हुए पत्नी को मानसिक प्रताड़ना का दोषी ठहराया है। न्यायालय ने आदेश दिया कि पति दो माह के भीतर पत्नी को 5 लाख रुपये स्थायी भरण-पोषण के रूप में अदा करे। न्यायमूर्ति रजनी दुबे और न्यायमूर्ति संजय कुमार जायसवाल की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की।
मामला दुर्ग जिले के एक युवक का है, जिसने 28 दिसंबर 2015 को बालोद की युवती से चर्च में विवाह किया। विवाह के बाद दोनों साथ रहने लगे। पत्नी ने एक निजी कॉलेज में नौकरी शुरू की, जहां से उसे प्रतिमाह 22,000 रुपये वेतन मिलता था। वह इसमें से 10,000 रुपये अपने मायके भेजती थी, लेकिन पति ने इस पर कभी आपत्ति नहीं जताई।
पति का आरोप है कि नौकरी के बाद पत्नी का व्यवहार बदल गया। वह मायके पर अधिक ध्यान देने लगी और अपने भाई को भी साथ में रखा। इसके बावजूद, पति ने कोई आपत्ति नहीं की। लेकिन जब भाई अचानक वापस चला गया, तो पत्नी का व्यवहार और बदल गया। उसने पति से दूरी बनानी शुरू कर दी और आत्महत्या की धमकियां देने लगी।
पत्नी ने आत्महत्या की कई बार कोशिश की। एक बार उसने रसोई का दरवाजा बंद कर गैस चालू कर दी और आत्मदाह की धमकी दी। किसी तरह पति ने उसे समझाकर दरवाजा खुलवाया। इसके बाद उसने अधिक मात्रा में खांसी की दवाई पीकर जान देने की कोशिश की। इस बार भी पति ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया और उसकी जान बचाई। तीसरी बार उसने छत से कूदकर जान देने का प्रयास किया।
पत्नी के इस व्यवहार से परेशान होकर पति ने परिवार न्यायालय में तलाक की अर्जी दाखिल की। लेकिन, परिवार न्यायालय ने पति की दलीलों को अनदेखा करते हुए याचिका खारिज कर दी।
इसके बाद पति ने परिवार न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की। सुनवाई के दौरान पति के वकील ने तर्क दिया कि पति-पत्नी का संबंध एक जीवनसाथी का होता है, और इस रिश्ते में किसी भी तरह का गलत व्यवहार दोनों के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि पति-पत्नी 2018 से अलग रह रहे हैं, और पत्नी के व्यवहार के कारण पति मानसिक दबाव में है।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, उच्च न्यायालय ने कहा कि आत्महत्या की धमकियां मानसिक प्रताड़ना के समान हैं। अदालत ने पाया कि पत्नी के खिलाफ पर्याप्त प्रमाण हैं, जिससे यह साबित होता है कि उसने बार-बार आत्महत्या की धमकियां दीं।
अदालत ने इस आधार पर पति की तलाक याचिका स्वीकार की और पत्नी को 5 लाख रुपये स्थायी भरण-पोषण के रूप में देने का आदेश दिया। पति को यह राशि दो माह के भीतर अदा करनी होगी। अदालत ने कहा कि इस तरह के व्यवहार में कोई भी जीवनसाथी शांतिपूर्ण जीवन नहीं जी सकता।
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