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जांजगीर-चांपा। कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी के निर्देशन, जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. ज्योति पटेल के मार्गदर्शन में ‘हमर पानी’ रेन वाटर हार्वेस्टिंग अभियान के संबंध में शुक्रवार को तकनीकी कार्यशाला आयोजित हुई। जिला पंचायत सभाकक्ष में आयोजित कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों ने बताया कि जिले का भूजल स्तर सभी की सहभागिता से बढ़ाया जाएगा। हमर पानी अभियान से गांव-गांव में विभिन्न गतिविधियां चलाई जाएंगी। इन गतिविधियों में ग्रामीणों, जनप्रतिनिधियों, अधिकारी, कर्मचारियों की सामुदायिक सहभागिता से जलस्रोतों तालाब, कुएं, बोरवेल, रिचार्ज स्ट्रक्चर की साफ-सफाई की जाएगी। हमर पानी रेन वाटर हार्वेस्टिंग कार्यशाला में समर्थन सेंटर फार डेव्लपमेंट सपोर्ट वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक देवीदास ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि जिले में भूजल स्तर कम होने के कारण जल स्रोतों में पानी की आपूर्ति कम हो रही है, या फ्लोराइड, आयरन, अन्य रसायनिक तत्वों मात्रा बढ़ रही है। इसका कारण है कि जमीन से पानी जितनी मात्रा में निकाला जा रहा है उसके अनुपात में पानी जमीन में नहीं पहुंच रहा है। उन्होंने बताया कि घर-घर पानी जाएगा, लेकिन यह पानी आएगा कहां से इसके लिए हम सभी को सहभागिता करते हुए चिंतन करना होगा।
उन्होंने इस दौरान बताया कि हमर पानी अभियान के तहत घर से बहने वाला पानी एक जगह पर एकत्रित करते हुए छोटे कंटूर ट्रेंच, रिचार्ज पिट, मैजिक पिट्स, स्मॉल बंडस को सभी की सहभागिता से तैयार किया जाए और इन जगहों पर सब्जी, फलदार पौधे आदि भी रोपे जाए। कार्यशाला में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग, जलग्रहण, जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी, मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी, एनआरएलएम कार्यक्रम अधिकारी,एनएसएस, राजीव युवा क्लब, तकनीकी सहायक मनरेगा के अधिकारी, कर्मचारी उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि पानी को लेकर भविष्य में ऐसी विकराल समस्या हो सकती है कि पैसा देने के बाद भी हमें पानी न मिले या बहुत अधिक पैसा खर्च करना पड़े, इसलिए इस समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि हमर पानी अभियान को सभी की सहभागिता से सफल बनाया जाए। इसके लिए ग्राम पंचायत स्तर पर स्व सहायता समूह, जल बाहिनी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, राजीव मितान क्लब आदि की टीम कार्य करते हुए इसके उद्देश्य को ग्रामीणों तक पहुंचाएं। इस कार्य में ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक, सचिव एवं सरपंच का अहम योगदान रहेगा। उन्होंने कहा कि गांव के पानी को गांव में ही रोकना है, अगर यह पानी गांव के बाहर चला गया तो फिर भूजल स्तर को नहीं बढ़ाया जा सकेगा। इसके लिए जरूरी है कि पानी को रोकने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया जाए और हेंडपंप, कुआं, ट्यूबवेल जो पानी की कमी के कारण बंद पड़े हैं, उन्हें उपयोग में लाया जाए। गांव के प्रत्येक घर में रिचार्ज पिट, आवासीय बस्ती में वर्षा जल की ड्रेन लाइन पर रिचार्ज पिट, शासकीय भवनों में रूफ वाटर हार्वेंस्टिंग, घरेलू स्तर पर वृक्षारोपण किया जाए। इसके अलावा मेड़ बंधान, डबरी निर्माण, तालाब निर्माण, कुआं निर्माण आदि भूजल स्तर को बढ़ाने वाले कार्य करने होंगे।
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Shantanu Roy
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