छत्तीसगढ़

जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधीर कुमार ने दी संविधान प्रदत्त अधिकारों की जानकारी

Nilmani Pal
13 Nov 2021 10:36 AM GMT
जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधीर कुमार ने दी संविधान प्रदत्त अधिकारों की जानकारी
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धमतरी। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण और राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्वावधान में महिलाओं के अधिकारों के संबंध में विधिक जागरूकता कार्यक्रम आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सुबह 11 बजे से आहूत किया गया। ज़िला और सत्र न्यायाधीश श्री सुधीर कुमार ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बताया कि महिलाओं के अधिकार के लिए ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण तत्पर है। महिलाओं को कोई दिक्कत है अथवा उनके अधिकारों, शासकीय योजनाओं की सुविधा लेने में सहयोग चाहिए, तो ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण से संपर्क किया जा सकता है। उन्होंने संविधान प्रदत्त महिला अधिकार के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि आज की कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है कि न्याय से कोई वंचित ना रहे, अधिकारों तथा कानून की जानकारी महिलाओं को मिले तथा ऐसे अपराध और समस्याएं, जो कानून की जानकारी के अभाव में होते हैं, उन्हें रोका जा सके। उन्होंने बताया कि 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत गत दो अक्टूबर से 14 नवम्बर तक जागरूकता अभियान राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा चलाया जा रहा है। आज की यह कार्यशाला इसी का एक हिस्सा है।

इस कार्यशाला में कलेक्टर पी.एस. एल्मा ने बतौर विशिष्ट अतिथि मौजूद रहकर शासन द्वारा महिलाओं के हित के लिए बनाई गई योजनाओं के विषय में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर महिलाओं को शासन द्वारा संचालित योजनाओं और सुविधाओं की जानकारी सुगम कराने आवश्यक है कि उनसे जुड़े विभाग को इसकी सही-सही जानकारी रहे। इसके लिए आज महिला एवं बाल विकास विभाग की सुपरवाइजर्स और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कार्यशाला में विशेष तौर पर बुलाया गया है। कलेक्टर ने महिलाओं से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी योजनाएं, महिला समूहों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए संचालित छत्तीसगढ़ महिला कोष, कामकाजी महिलाओं के लिए महिला गृह, सक्षम योजना, 'सखी' वन स्टॉप सेंटर इत्यादि के बारे में कार्यशाला में संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि आज की कार्यशाला का लाभ उठाते हुए सभी प्रतिभागी मैदानी स्तर पर महिलाओं को इनकी सही जानकारी देंगी, जिससे वे इसका समय-समय पर लाभ उठा सकें।

पुलिस अधीक्षक प्रफुल्ल ठाकुर ने भी विशिष्ट अतिथि के तौर पर कार्यशाला को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि पीड़ित महिला को कानूनी सहयोग देने हर थाने में महिला डेस्क और संवेदना कक्ष बनाया गया है। इसके अलावा घरेलु हिंसा, दहेज उत्पीड़न के लिए महिला परामर्श केंद्र बनाया गया है, जहां उन्हें सही सलाह और परामर्श उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने एट्रोसिटी एक्ट, पॉस्को एक्ट इत्यादि की जानकारी भी इस मौके पर दी। उन्होंने सबको अपने अधिकार के प्रति जागरूक रहने के साथ ही दायित्व और कर्तव्य का भी सही तरीके से निर्वहन करने की सलाह दी है। इसके अलावा सोशल मीडिया का उपयोग भी सावधानीपूर्वक करने की हिदायत दी।

कार्यशाला के पहले सत्र में जहां अतिथियों का उद्बोधन था, वहीं दूसरे सत्र में महिला अधिकारों के संबंध में रिसोर्स पर्सन तथा अन्य ने जानकारियां उपलब्ध कराई। अधिवक्ता संघ की अध्यक्ष तथा रिसोर्स पर्सन सुश्री पार्वती वाधवानी ने महिलाओं के विरुद्ध अपराध, दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 की जानकारी उपस्थितों को कार्यशाला में दी। उन्होंने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का रख-रखाव और कल्याण अधिनियम 2007 की जानकारी भी दी। वहीं अधिवक्ता संघ की उपाध्यक्ष तथा रिसोर्स पर्सन सुश्री प्रीति श्रीवास्तव ने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकथाम, निषेध और निवारण अधिनियम 2003 के विषय में जानकारी दी। उन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी अधिकार, गिरफ्तार एवं बंदी महिलाओं के अधिकार संबंधी जानकारी भी दी।

इसी तरह संरक्षण अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग कुमारी अनामिका शर्मा ने घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम की जानकारी दी। केन्द्र प्रशासक 'सखी' वन स्टॉप सेंटर श्रीमती उषा ठाकुर ने टोल फ्री नंबर 181 और 'सखी' वन स्टॉप सेंटर के बारे में जानकारी दी। कार्यशाला में घरेलु हिंसा पर आधारित शॉर्ट फिल्म 'फुलवा' का प्रदर्शन भी किया गया। कार्यशाला में ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री सतीश खाका ने विधिक सहायता योजनाओं (टोल फ्री नंबर 15100, प्री अरेस्ट, अरेस्ट एवं रिमाण्ड स्टेज पर विधिक सहायता, पोस्ट ऑफिर पर उपलब्ध विधिक सहायता योजना, पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना 2011 और 2018) के विषय में विस्तृत जानकारी दी। साथ ही उन्हांने सबका आभार व्यक्त किया।

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