छत्तीसगढ़

कांग्रेस संगठन में फेरबदल को लेकर कांग्रेसियों में असंतोष

Nilmani Pal
4 Oct 2021 4:51 AM GMT
कांग्रेस संगठन में फेरबदल को लेकर कांग्रेसियों में असंतोष
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निष्ठावान-पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा, हाल-फिलहाल कांग्रेस का दामन थामने वालों को तवज्जो

हाईकमान को थोक में शिकायत, पीसीसी की कार्यप्रणाली से आम कांग्रेसी नाराज, शिकायतों का सिलसिला आगे बढऩे की संभावना । सभी जिलों से विरोध की आवाजें उठ रही।

अब प्रदेश कांग्रेस कमेटी में भारी भूचाल आने की संभावना है

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के संगठन में बड़ा बदलाव किया है। विभिन्न निगम-मंडलों में जगह पा चुके 8 पदाधिकारियों की प्रदेश कांग्रेस समिति के पदों से छुट्टी कर दी गई है। वहीं, 4 जिलाध्यक्षों को भी बदल दिया गया है। इसमें सबसे अहम यह कि जिन नेताओं को सरकारी पदों में नियुक्त किया गया था उनसे संगठन के सारे पद वापस ले लिए गए हैं। ऐसा एक व्यक्ति एक पद के फार्मूले के तहत किया गया है। और नए लोगों को संगठन में स्थान दिया है। बता दें कि संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे कुछ पदाधिकारियों को साल भर पहले ही निगम मंडल में नियुक्ति की गई थी। इसके बाद से ही संगठन में बदलाव का सभी को इंतजार था। लगभग डेढ़ माह पहले पीसीसी की तरफ से सूची को मंजूरी के लिए एआईसीसी को भेजा गया था। हालांकि इस बदलाव को संगठन में खेमेबाजी से भी जोड़कर देखा जा रहा है। जुलाई -19 में मोहन मरकाम के अध्यक्ष बनाए जाने के बाद यह बड़ा बदलाव है। निगम-मंडलों में जगह पा चुके इन आठ नेताओं को संगठन से मुक्त करने में कांग्रेस को लंबा समय लगा जबकि अभी भी कई बड़े नेता सत्ता और निगम-मंडलों के साथ संगठन में महत्वपूर्ण दायित्व निभा रहे हैं। जिन्हें संगठन से मुक्त नहीं किया गया है। संगठन से हटाए गए पदाधिकारियों के स्थान पर नई नियुक्तियां भी की गई है, जिसे लेकर सवाल उठने लगे हैं और कार्यकर्ताओं में जबर्ददस्त नाराजगी देखी जा रही है। बड़ी संख्या में कार्यकर्ता हाईकमान को ईमेल-फैक्स भेजकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, वहीं कई कार्यकर्ता इस मसले को लेकर दिल्ली कूच करने का भी मन बना रहे हैं।

निष्ठावान-जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा

बता दें कि निगम-मंडलों में नियुक्ति बड़ी देर से हुई, सरकार के ढाई साल से ज्यादा कार्यकाल बित जाने के बाद अभी भी कुछ निगम-मंडलों में नियुक्तियां बाकी है। कई सूची जारी होने के बाद अभी भी कई ऐसे वरिष्ठ नेता है, जिन्हें कोई पद नहीं मिला है। इसमें पूर्व विधायक से लेकर कांग्रेस के विधायक और वरिष्ठ नेता शामिल हैं। कार्यकर्ता तेरा-मेरा के हिसाब से पद बांटने का आरोप लगाते रहे है, पार्टी के समर्पित नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई है। कई ऐसे लोगों को पद दिया गया जिन्हें कांग्रेसी ही नहीं पहचानते हैं। निगम-मंडलों कई ऐसे नाम औैर चेहरे भी हैं जो सत्ता औैर संगठन दोनों ही जगह हैं इसे लेकर कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त नाराजगी है। सूची जारी होने से पहले ऐसा कहा जाता था कि निगम मंडलों में ऐसे लोगों को कम महत्व दिया जाएगा, जो 15 साल सत्ता के संघर्ष से बाहर रहे हैं। कर्मठ और पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को ही महत्व मिलेगा। लेकिन नियुक्तियों से साफ है कि ऐसे बड़े नेताओं को ही तवज्जो दी गई है जो फं्रट लाइन पदाधिकारी और नेता रहे हैं, जमीनी कार्यकर्ताओं और सालों से कांग्रेस के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं को आज भी नजरअंदाज कर दिया गया है।

खास नेताओं के समर्थकों को ही तवज्जो

अब तक हुए निगम-मंडलों की नियुक्तियों में खास नेता के ही करीबियों को जगह दी गई है। नियुक्तियो को लेकर कई मंत्रियों यहां तक की विधानसभा अध्यक्ष भी अपने करीबियों को जगह नहीं मिलने पर नाराजगी जता चुके हैं। कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी की 15 सालों बाद सत्ता में लौटने से अब उन्हें भी मेहनत का इनाम मिलेगा लेकिन तमाम निगम-मंडलों में फ्रंट लाइन नेता और पदाधिकारी रहे लोगों को ही नियुक्त कर दिया गया इससे कार्यकर्ता ठगा सा महसूस कर रहे थे फिर उन्हें लगा कि शायद संगठन के पदाधिकारियों की निगम-मंडलों में नियुक्ति से खाली होने पदों पर उन्हें अवसर दिया जाएगा लेकिन यहां भी उनकी अनदेखी की जा रही है।

दलाल-चाटूकारों को बांट रहे रेवड़ी

निगम-मंडलों में नियुक्ति के दौरान कई ऐसे नेताओं को पद बांटे गए जिनका कांग्रेस से हाल-फिलहाल का ही संबंध है, दलाल व चाटूकार किस्म के दूसरे दलों व संगठनों से आकर बड़े नेताओं के आगे पीछे घुमने वालों को उपकृत किया गया जबकि निष्ठावान, जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को भाव नहीं मिला। कई महीने निगम-मंडल और संगठन में दोहरी जिम्मेदारी निभाने वाले जिन नेताओं को संगठन से मुक्त कर नए लोगों को जिम्मेदारी दी गई उसे लेकर भी कार्यकर्ताओं में असंतोष है। जिन जिलों में जिलाध्यक्ष बदले गए वहां विरोध के स्वर उभर रहे हैं। वहीं अन्य नियुक्तियों को लेकर भी कार्यकर्ता अपनी नाराजगी लगातार जाहिर कर रहे हैं।

माफिया-दलालों की नियुक्तियों का विरोध

मोहन मरकाम का प्रदेश कांग्रेस कमेटी में भू-माफिया और बाहर से आ गए कांग्रेसियों को प्रदेश पदाधिकारी बनाए जाने को लेकर जमकर विरोध हो रहा है रायपुर के वरिष्ठ कांग्रेस जनों का स्पष्ट कहना है कि हम लोग बरसों से कांग्रेस की सेवा कर रहे हैं और कांग्रेस की सत्ता आते ही पुराने और निष्ठावान कांग्रेसियों को प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम भूल गए। मोहन मरकाम ने दलाल किस्म के छूटभैया नेताओं की चमचागिरी में ऐसे लोगों की नियुक्ति कर दी है जो लोग सामाजिक और राजनीतिक तौर पर कहीं से भी कांग्रेसी नहीं थे और जो कांग्रेस के संघर्ष के दिनों में भारतीय जनता पार्टी के मोहरे बन कर कार्य करते थे ऐसे लोगों को संगठन में तवज्जो दी जा रही है। वरिष्ठ कांग्रेसी इसी आशय से प्रियंका गांधी और राहुल गांधी को शिकायत पत्रभेज रहे हैं। दूसरी ओर वरिष्ठ कांग्रेस जनों ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को खुली चि_ी भी लिखी है जिसमें स्पष्ट कहा गया है कि पैसा लेकर एक अल्पसंख्यक नेता ने मोहन मरकाम के पास चमचागिरी कर अधिकांश लोगों को पदाधिकारी बनवाया है। इसी अल्पसंख्यक नेता ने पहले मुख्यमंत्री से अपने आप को करीबी बता कर सरकारी पद एनकेन कर हथिया लिया। अब भाजपा समर्पित भू-माफिया और बिल्डर के हाथों दलाली करते वे आज प्रदेश का सबसे बड़ा दलाल नेता बन गया है। इस चि_ी की खबर लगभग सभी बड़े नेताओं को हो गई है, चि_ी बनाने से पहले वरिष्ठ कांग्रेस जनों ने रायपुर शहर के दो अलग-अलग कांग्रेसियों के अड्डों में बैठक की थी।

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