रायपुर। पंचायत और स्कूल शिक्षा विभाग की लालफीताशाही का खामियाजा एक महिला शिक्षिका भुगत रही है। आलम यह है कि जशपुर जिले में पदस्थ महिला शिक्षिका मुनेश्वरी भगत ने कांसाबेल के भेंट मुलाकात कार्यक्रम में मुख्यमंत्री को अपनी समस्या बताई थी। मुख्यमंत्री ने तुरंत अधिकारियों को आवेदन सौंपने और उसका निराकरण करने के निर्देश दिए थे। कार्यक्रम में बकायदा उसे इसकी पावती भी दी गई। लेकिन आज तक उस की समस्या का निराकरण नहीं हुआ जबकि पूरी तरह से गलती विभाग की है ।
मुनेश्वरी व्याख्याता पंचायत के तौर पर कांसाबेल ब्लॉक में पदस्थ थी और 2010 से पदस्थ होने के कारण उसका संविलियन 1 जुलाई 2019 की स्थिति में होना था। किंतु विभाग द्वारा अवैतनिक अध्ययन अवकाश जो कि खुद पंचायत विभाग द्वारा स्वीकृत किया गया था कि सेवा अवधि को गणना न करते हुए पहले उन्हें अपात्र करार दे दिया गया। बाद में जब सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दुबे ने पूरे मामले को लेकर आवाज उठाई तो जिला पंचायत ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए राज्य कार्यालय को पत्र लिखा और खुद की गलती स्वीकार करते हुए भूतलक्षी प्रभाव से राज्य कार्यालय को आदेश जारी करने हेतु निवेदन किया। किंतु इसके बावजूद भी राज्य कार्यालय द्वारा इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया। अंत में परेशान होकर मुनेश्वरी भगत ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर गुहार लगाई लेकिन आज 2 माह गुजर जाने के बाद भी उनके प्रकरण का निराकरण नहीं किया गया है। जबकि यह एक सामान्य सा प्रकरण है और इसमें विभाग की ही गलती है।