छत्तीसगढ़ से विवेक तन्खा, प्रियंका गांधी और सुरजेवाला के नाम की चर्चा
पी चिदंबरम से लेकर गुलाम नबी आजाद तक के नाम पर ठनी रार
नई दिल्ली (ए/नेट डेस्क)। क्या उदयपुर नव संकल्प शिविर में किए गए निर्णयों को कांग्रेस लागू कर पाएगी? कम से कम मौजूदा राज्यसभा चुनाव में इसकी उम्मीद बहुत कम है। क्योंकि, पार्टी के पास राज्यसभा सीट कम और दावेदार ज्यादा हैं। वहीं, पार्टी को एकजुट रखने के लिए पार्टी नेतृत्व पर कई वरिष्ठ नेताओं को राज्यसभा भेजने का दबाव है। ऐसे में पार्टी के लिए युवा नेताओं को राज्यसभा भेजना आसान नहीं है।
कांग्रेस के पास राज्यसभा के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। सभी नेता दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ, सहयोगी दल भी कांग्रेस को आंख दिखा रहे हैं। झारखंड में जेएमएम ने अभी तक साफ नहीं किया है कि प्रदेश सरकार में शामिल कांग्रेस को सीट देने के लिए तैयार है। इस निर्णय के लिए जेएमएम ने 28 मई को अपने विधायकों की बैठक बुलाई है। इससे कांग्रेस की नाराजगी बढ़ी है।
झारखंड में जेएमएम से तकरार
इसके बीच, झारखंड से राज्यसभा के लिए दावेदार लगातार अपनी पैरवी कर रहे हैं। पार्टी नेतृत्व झारखंड से किसी केंद्रीय नेता को राज्यसभा भेजना चाहता है। इस दौड़ में पार्टी महासचिव अजय माकन भी शामिल है। वहीं, झारखंड से ताल्लुक रखने वाले अजॉय कुमार और फुरकान अंसारी सहित कुछ और भी दावेदार हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसका निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष लेंगी। वहीं, कर्नाटक से पार्टी वरिष्ठ नेता जयराम रमेश को राज्यसभा का उम्मीदवार बना सकती है।
चिदंबरम की दावेदारी पर भी सवाल
तमिलनाडु में डीएमके कांग्रेस को एक सीट देने के लिए तैयार है। पार्टी वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम को तमिलनाडु से राज्यसभा भेजना चाहती है। पर, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के एस अझागिरी और पूर्व सांसद विश्वनाथन सहित कई और भी दावेदार हैं। इसी तरह राजस्थान से पार्टी को तीन सीट मिल सकती है, पर राजस्थान से मुख्य्मंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ तेज होती विधायकों की नाराजगी ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है।
आजाद के नाम पर राजस्थान में रार
कांग्रेस वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को राजस्थान से राज्यसभा भेजना चाहती है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि उदयपुर शिविर में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस बारे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से चर्चा भी की थी। पर कई स्थानीय नेता विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि चुनाव से ठीक पहले किसी बाहरी व्यक्ति को राज्यसभा भेजने से गलत संदेश जाएगा। पार्टी पहले ही राजस्थान से पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल को राज्यसभा भेज चुकी है।
आजाद, आनंद, चिदंबरम और जयराम... राज्यसभा सीट के लिए ये बुजुर्ग लगा सकते हैं चौका, अगर छग के हिस्से एक सीट आती है तो छाया वर्मा हो सकती है रिपीट
राजस्थान के उदयपुर में इसी महीने हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में पार्टी के उदय के लिए कुछ फैसले लिए गए थे। इनमें से ही एक फैसला यह था कि युवाओं को बड़े पैमाने पर भागीदारी दी जाएगी। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। देश के 11 राज्यों में राज्यसभा की 55 सीटें खाली हो रही हैं। इनमें से 11 सीटों पर कांग्रेस जीतने की स्थिति में है, लेकिन इस रेस शुरू हो गई है। पार्टी के ज्यादातर अनुभवी चेहरे अपनी दावेदारी जता रहे हैं। ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि युवाओं को मौका देने के कांग्रेस के संकल्प का क्या होगा।
कपिल सिब्बल के जाने से बढ़ा लीडरशिप पर दबाव : यही नहीं पार्टी लीडरशिप भी कपिल सिब्बल के एग्जिट के बाद दबाव में है, जिन्होंने 16 मई को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद चुने जाने के लिए समाजवादी पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भी दाखिल कर दिया है। एक तरफ मुकुल वासनिक महाराष्ट्र से राज्यसभा जाने की रेस में हैं तो वहीं पूर्व वित्त एवं गृह मंत्री पी. चिदंबरम, जयराम रमेशन, अंबिका सोनी, विवेक तन्खा, प्रदीप टम्टा और छाया वर्मा का भी कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इन सभी नेताओं को एक बार फिर से राज्यसभा जाने की उम्मीद है।
वहीं इसी उद्देश्य से प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया टीम 28 मई से यहां नागपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय सोशल मीडिया शिविर का आयोजन कर रहा है। दो दिवसीय राष्ट्रीय शिविर के बारे में जानकारी देते हुए एमपीसीसी महासचिव और राज्य सोशल मीडिया सेल के प्रमुख विशाल मुत्तेमवार ने कहा कि शिविर में पहले दिन स्थानीय विधायक, सोशल मीडिया सेल के राज्य पदाधिकारी मौजूद रहेंगे।