राजधानी में चर्चा: गुर्गों की प्रायोजित गिरफ्तारी दिखा कर कार्रवाई का ढिंढोरा
- बड़े गिरोहबाजों पर हाथ नहीं डाल रही पुलिस
- गुर्गों की प्रायोजित गिरफ्तारी दिखा कर कार्रवाई का ढिंढोरा
- शहर में सट्टा-जुआ से लेकर ड्रग तस्करी का बड़े रैकेट सक्रिय
- अपराधियों, अवैध कारोबारियों को छुटभैय्ये नेताओं का संरक्षण
- सटोरियों-खाईवालों सहारे दुकानदारी चला रहे छुटभैय्ये नेता
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। राजधानी में सट्टा और नशे का कारोबार लगातार बढ़ते जा रहा है। होटलों-पबों से लेकर गली-मोहल्लों में सट्टा खिलाया जा रहा है। नशे का सामान भी आसानी से इसके लतियों और शौकीनों तक पहुंच रहा है। शहर में बढ़ते अपराधों के बीच इन अवैध कारोबारों का लगातार विस्तार हो रहा है। बड़ी संख्या में युवा और नाबालिग गिरोह बाजों के लिए ठीहों में सट्टा लिखने और ड्रग सप्लाई चेन से जुड़े हैं। इन युवाओं और नाबालिगों में कानून या पकड़े जाने का भी खौफ नहीं है, क्योंकि इन्हें मालूम है कि चंद दिनों में ही ये जेल से बाहर आ जाएंगे। साथ ही इन्हें गिरोह बाजों से जेल जाने के एवज में हजारों रुपए इनाम मिलता है सो अलग। इन अपराधों के लिए सख्त धाराएं नहीं होने तथा आसानी से जमानत मिलने से युवाओं को यह अपराध से ज्यादा ठसन और कमाई का जरिया लगने लगा है। यही कारण है कि इन गतिविधियों में लिप्त युवा जेल जाने से भी नहीं कतराते।
राजधानी में अनिल आलू से लेकर रवि-आसिफ का गैंग सट्टा, जुआ से लेकर गांजा और अन्य ड्रग का कारोबार लंबे समय से करते आ रहे हैं। पुलिस इन पर कभी हाथ नहीं डालती और कार्रवाई के नाम पर प्रायोजित तौर पर उनके गुर्गों को पकड़ती और जेल दाखिल कराती है ताकि कार्रवाई हो रही है यह दिखाया जा सके। हफ्ते दस दिन बाद ये गुर्गे जमानत पर जेल से बाहर निकलते हैं और धंधा फिर चलने लगता है। ऐसा नहीं है कि ये गुर्गे अपने आकाओं के नाम पुलिस को नहीं बताते होंगे, बावजूद उन पर पुलिस हाथ नहीं डालती। यही कारण है कि सट्टा-जुआ और नशे का कारोबार पुलिस की कार्रवाई के साथ पेरलल चलते रहता है। इसके आड़ में छुटभैय्ये नेताओं की दुकानदारी भी चलते रहती है।
रविसाहू के गुर्गे सक्रिय
सूत्र बताते है कि रवि साहू ने नेताओं के नाम फायदा उठाकर लंबा चौड़ा कारोबार फैला रखा है। बड़े-बड़े दांव की काईवाली कर रहा है। गोलबाजार बंजारी मंदिर में एक परमानेंट ठिहा रविसाहू ने बना रखा है, जहां छोड़े-बड़े सटोरिए जुटते है। और बड़े-बड़े दांव और पुलिस से सेटिंग के रास्ते निकालने के पैंतरे निकालते है। काली बाड़ी में तो रवि साहू का एकतरफा सट्टा दौड़ रहा है। थाना प्रभारी से लेकर पुलिस के बड़े अधिकारियों को इस मामले का संज्ञान होने के बाद भी रवि के राजनीतिक संरक्षकों के निर्देश से पुलिस हाथ खींच रही है। जिसके कारण रवि साहू को कारोबार दिन दुनी रात चौगुनी बढ़ते जा रहा है।
मोहल्ले वाले हलाकान
कालीबाड़ी क्षेत्र में रहने वाले रहवासियों की मानें तो यहां रवि साहू के गुर्गों ने कारोबार संभाल रखा है, चुनाव के दौरान ही यहीं लोग घर-घर जाकर दारू और पैसा बांटते रहे है। अब यहीं लोग मोहल्ले के चौक में बैठकर सट्टा पट्टी लिख रहे है। मोहल्ले के लड़के सौ रूपए और खाने के चक्कर में अपना पैतृक काम छोड़ कर रवि साहू के गुर्गों के साथ मिलकर सट्टा लिखने का काम कर रहे है। आवारा लड़कों की धमा चौकड़ी के मोहल्ले वाले परेशान है। मोहल्ले वालों को कहना है कि यदि अब कार्रवाई नहीं हुई तो मुख्यमंत्री से शिकायत करेंगे और आंदोलन चलाएंगे। बंजारी चौक में सट्टा और नशा का कारोबार बंजारी वाले दरगाह के पास शास्त्री मार्केट और डीकेएस की ओर जाने वाले मार्ग में खंडहर नुमा मकान के पास आटो में बैठकर खुलेआम गांजा-अफीम और नशीले पदार्थ का कारोबार खुलेआम खुद रवि साहू और उसके गुर्गे करते है। जहां पुलिस सब कुछ देखने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रही है।
पैसे से चलता है धंधा
रवि साहू के गुर्गे खुलेआम चैलेंज करते है कि हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता हम सीधे आधे पैसे पुलिस और नेताओं के देते है। जितने दिन सट्टा बंद रखने के कहते उतने दिन बंद रखते फिर शुरू कर देते है। पुलिस और नेताओं से सेटिंग करने के लिए रविसाहू के लिए बड़े -बड़े अधिकारी लाइजनिंग करते है। इसलिए सट्टा के साथ गांजा-अफीम और नशीले पदार्थ का कारोबार को बेखौफ संचालित करते है। रवि साहू के खास गुर्गे ने बताया कि हमारा खेल पैसों से चलता है। दादा बड़ा न भैया सबसे बड़ा रूपैया वाला गेम है। रवि साहू पुलिस और नेताओं बराबर हर महीने पेटी पहुंचाता है। जिसके कारण पुलिस हाथ डालने से पहले सौ बार सोचती है। पुलिस के छोटे से बड़े अधिकारी और छुटभैया नेता से लेकर मंत्री स्तर तक पैसा पहुंचाने की बात रवि के गुर्गे खुलेआम करते है। रवि के गुर्गों का कहना है कि हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, हम तो नेता और पुलिस के इशारे पर ही कारोबार कर रहे है। जब सट्टा बंद करने को कहते हौ कर देते देते है और जब चालू करने को कहती चालू कर देते है। हमारा रिमोट तो नेता और पुलिस के हाथों में है। हमें तो रोज लाखों छापना है। सट्टा से मिले या गांजा-अफीम या नशीली दवा से हमें कोर्ई फर्क नहीं पड़ता। पैसा आना चाहिए धंधा चलते रहना चाहिए। इन्हें मिलने वाले राजनीतिक संरक्षण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इनके द्वारा आयोजित सामाजिक-धार्मिक आयोजनो में मंत्री नेता भी शिरकत करते हैं और इनका हौसला बढ़ाते हैं। ऐसे अवसरों की तस्वीर दिखाकर ये अपनी पहुंच और रुतबे का रौब दिखाकर अपना धंधा चमकाते हैं।
शहर से लेकर गांवों तक नेटवर्क
खाईवालों ने भी गांव व शहर में अपना-अपना जोन बंटा हुआ है। एक दूसरे के जोन में कोई दखल नहीं देता है। कई इलाकों में तो पुलिसकर्मियों की सांठगांठ से यह कारोबार जोरों पर चल रहा है। कई सटोरिये ऐसे भी हैं जिन्होंने पुलिस की नजरों से बचने के लिए नामी गिरामी होटलों और पॉश कॉलोनियों में अपने ठिकाने बना लिए हैं। ये सटोरिये अपनी हिफाजत के लिए आम ग्राहकों के बाजए कुछ चुनिंदा लोगों के ही दांव बुक कर रहे हैं। नए ग्राहकों की एंट्री पुराने ग्राहकों की गारंटी के बाद ही हो रही है। सटोरियों ने ग्राहकों और खुद के नंबरों को अपने मोबाइल फोन पर फीड किया हुआ है। नए नंबरों को वो रिसीव तक नहीं कर रहे हैं ताकि गोपनीयता बरकरार रहे। लेकिन तू डाल-डाल तो मैं पात- पात की तर्ज पर सटोरिये भी अपनी सजगता दिखा रहे हैं।
शहर में इन जगहों पर खिलाया जा रहा सट्टा
प्रतिबंध के बावजूद शहर में नंबरों का काला खेल खुलेआम खेला और खिलवाया जा रहा है। शहर के ही एक खाईवाल ने जनता से रिश्ता को बताया कि सट्टे का खेल नेटवर्किंग के जरिये खेला जाता है। हमारा सरगना राजधानी रायपुर में बैठकर सारा कुछ ऑपरेट करता है। ये वही सरगना है जो पुलिस को कई दिनों से चकमा दे रहा है। रवि साहू जो कालीबाड़ी में बैठकर अपना कारोबार पूरे शहर भर में चलाते जा रहा है। रायपुर के कुछ खाईवालों का संपर्क राज्य के अन्य शहरों के साथ देश के बड़े शहर कोलकाता, मुम्बई, और इंदौर जैसे जगहों से भी है। इस कारोबार को शहर के पुराना बस स्टैंड, नया बस स्टैंड, अंबेडकर चौक, शास्त्री बाजार, लाखेनगर, कोटा, टिकरापारा, कालीबाड़ी, नेहरू नगर, गाँधी नगर समेत विभिन्न स्थानों से संचालित किया जाटा है।
बड़े बुकी आईडी बांटकर खिला रहे सट्टा
राजधानी में कई बड़े खाईवाल मोहल्लों में छोटे-छोटे सटोरियों को आईडी देकर सट्टा खिला रहे हैं। चूंकि मुखबिरों की नजर बड़े सटोरियों और बड़े दांव लगाने वालों पर होती है इसलिए मुखबिर और पुलिस से बचने के लिए ये सटोरिए छोटे-छोटे गु्रप के लोगों को आईडी देकर दांव लगवाते हैं और पुलिस को चकमा देने में कामयाब रहते हैं। कुछ महीने पहले सिविल लाइन पुलिस ने विशाल नाम के एक बड़े बुकी को गिरफ्तार किया जो अपनी आईडी दो-दो लाख में बेचकर सट्टा खिलाता था। वह प्राय: मुंबई और दूसरे शहरों से सट्टा संचालित करता था। जगह बदल-बदल कर लगा रहे दांव पुलिस की पकड़ से बचने सटोरिए और बुकी अब सट्टा खिलाने का तरीका रोज बदल रहे हैं। सट्टा खिलाने के लिए अब होटल या बड़े घरों को छोड़कर चलती कार में एप के माध्यम से सट्टा खिला रहे हैं। पुलिस ने पिछले दिनों ऐसे कई सटोरियों को गिरफ्तार किया था जो लक्जरी कार में घुम-घुमकर सट्टा खिला रहे थे। राजधानी से बाहर भी दुर्ग और महासमुंद पुलिस ने भी चलती कार में सट्टा खिलाते सटोरियों को पकड़ा था। जगह बदल-बदल कर सट्टा खिलाने से सटोरिए प्राय: पुलिस से बचे रहते हैं। इंटरनेट नेटवर्क के चक्कर में ही एक जगह पर ज्यादा देर तक खड़े रहने पर ही संदेह के आधार पर पुलिस कभी-कभार ऐसे सटोरियों तक पहुंच पाती है।
कारोबारी से हाथापाई, निगरानी बदमाश व सटोरिया गिरफ्तार
राजधानी के रविभवन में एक निगरानी बदमाश ने व्यापारी पर हमला कर दिया। बदमाश फारूखखान ने दुकान संचालक अब्दुल हकीम खान से मारपीट की। गोलबाजार थाना पुलिस ने आरोपित फारूख खान के खिलाफ अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस थाने में अब्दुल हकीम ने रिपोर्ट दर्ज करवाते हुए बताया कि आरोपित शाम करीब चार बजे दुकान पहुंचा। बदमाश ने पीडि़त व्यापारी को बाहर आने को कहा। पूर्व परिचित होने की वजह से पीडि़त उसके साथ चला गया। आरोपित पान दुकान के पास गया। पीछे से व्यापारी भी पहुंचा तो आरोपित ने शराब पीने के लिए पैसा मांगा। व्यापारी ने पैसा देने से मना किया तो आरोपित ने गाली-गलौज शुरू कर दी। पीडि़त व्यापारी जाने लगा तो आरोपित ने हाथापाई की। गोलबाजार पुलिस ने आरोपित के विरुद्ध धारा 294, 323, 327 और 506 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। पुलिस के अनुसार, आरोपित के विरुद्ध पहले भी कई अपराध दर्ज हैं। वह शराब का आदी है। शराब के लिए पैसे न मिलने पर ही उसने ये घटना की है। पुलिस ने कहा कि आरोपित को ढूंढा जा रहा है।
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