छत्तीसगढ़

धमतरी: फसल अवशेष पैरा और ठूंठ को जलाने तत्काल प्रभाव से लगाया गया प्रतिबंध

Nilmani Pal
13 Nov 2021 10:40 AM GMT
धमतरी: फसल अवशेष पैरा और ठूंठ को जलाने तत्काल प्रभाव से लगाया गया प्रतिबंध
x

धमतरी। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा दिए गए निर्देशानुसार जिले में फसल अवशेष पैरा, ठूंठ को जलाने तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया गया है। उप संचालक, कृषि ने बताया कि किसान द्वारा फसल अवशेष जलाने अथवा जलाते हुए पाए जाने पर नेशनल ग्रीन टिब्यूनल के आदेश अनुसार उनके विरूद्ध कठोर दण्डात्मक अथवा जुर्माना एवं सजा का प्रावधान है, जो किसान के कुल रकबे के अनुसार होगी। बताया गया है कि दो एकड़ कृषि भूमि धारक किसानों पर ढाई हजार रूपए, दो से पांच एकड़ तक कृषि भूमि धारक किसानों पर पांच हजार रूपए जुर्माना तथा पांच एकड़ से अधिक भूमिधारक किसानों पर 15 हजार रूपए पर्यावरणीय जुर्माना एवं सजा का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि ग्रीष्मकालीन धान फसल की कटाई के बाद किसानों द्वारा फसल अवशेष जलाने की वजह से विभिन्न घटनाएं घटित होती रहती हैं, जो वातावरण प्रदूषित करता है। यह मानव जीवन ही नहीं, वरन् पशु, पक्षियां और भूमि के लिए भी हानिकारक है। इसके मद्देनजर उप संचालक ने किसानों से अपील की है कि वे अपने खेतों में पैरा एवं ठूंठ नहीं जलाएं। उन्होंने बताया कि फसल कटाई के बाद खेत में पड़े हुए पैरा को इकट्ठा करने शासन द्वारा बेलर की व्यवस्था की गई है। इससे पैरा इकट्ठा कर नजदीक के गौठानों में देने से पशुओं को निःशुल्क चारा उपलब्ध होगा। यह भी बताया गया है कि फसल अवशेष को खेतों में जलाने से भूमि में लाभदायक जीवाणु नष्ट होने के साथ ही कार्बन डाइऑक्साईड, नाईट्रस ऑक्साईड, मिथेन गैस एवं विभिन्न तरह की जहरीली गैसों से वायु प्रदूषण होता है। साथ ही मृदा स्वास्थ्य बिगडने के अलावा मनुष्यों में दमा, फेफड़े की बीमारी और स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन के लिए किसानों को आवश्यक सुझाव दिए गए हैं। बताया गया है कि फसल कटाई के बाद खेत में पड़े अवशेष के साथ गहरी जुताई कर पानी भरने से फसल अवशेष खाद में तब्दील हो जाते हैं और अगली फसल के लिए मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्व मिलता है। खेत में बचे हुए अवशेषों को जुताई कर खेत में पलटने, इकट्ठा कर वेस्ट डिकम्पोजर या ट्राइकोडर्मा डालकर खाद बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। साथ ही मशरूम उत्पादन के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है। भूमि को फसल अवशेष से मिलने वाले कार्बनिक तत्व, जो कि मृदा में मिलकर खाद के रूप में परिवर्तित होकर फसलों को मिलती है, इससे मृदा संगठन एवं संरचना में सुधार तथा भूमि की जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है। खेत में ही वेस्ट डिकम्पोजर तरल पदार्थ से फसल अवशेषों को सड़ाकर खाद तैयार करने पर रासायनिक खाद खरीदने से बचा जा सकता है। उदाहरण देते हुए बताया गया है कि एक टन पैरा ना जलाकर, डिकम्पोजर से सड़ाकर कम्पोस्ट खाद बनाने पर पांच किलोग्राम नत्रजन, 12 किलोग्राम स्फुर और पांच किलोग्राम पोटाश खाद खेत में तैयार कर कीट-व्याधि और खरपतवारों की रोकथाम की जा सकती है। इससे फसल की लागत कम, उपज अधिक तथा आमदनी में वृद्धि की जा सकती है। अपील की गई है कि किसान मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप फसल अवशेष पैरा, भूसा इत्यादि को प्रबंधन करें और खेत में जलाने की बजाय नजदीक के गौठानों में पशु चारा के लिए उपलब्ध कराएं।

Next Story